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इतिहास में तीसरी बार वाहन से जाएगी बाबा केदार की डोली, जानिए वजह

इतिहास में तीसरी बार बाबा केदार की डोली वाहन से जाएगी. इससे पहले साल 1977 में डोली को वाहन से ले जाया गया था. जानिए इसकी मुख्य वजह...

kedarnath doli
केदारनाथ डोली
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Published : Apr 23, 2020, 2:05 PM IST

Updated : Apr 23, 2020, 11:57 PM IST

रुद्रप्रयागः भगवान आशुतोष के ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग भगवान केदारनाथ के कपाट 29 अप्रैल को खोले जा रहे हैं. आगामी 26 अप्रैल को केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल से रवाना होगी. जो वाहन के जरिए सीधे गौरीकुंड जाएगी. बीते सालों तक डोली का पहला रात्रि प्रवास फाटा में हुआ करता था. जबकि, इस बार डोली वाहन से सीधे अपने अंतिम पड़ाव गौरीकुंड पहुंचेगी और दूसरे दिन गौरीकुंड से केदारनाथ के बीच प्रवास करने के बाद 28 को केदारनाथ पहुंचेगी.

बता दें कि कोरोना वैश्विक महामारी के कारण देश में लॉकडाउन चल रहा है. जिस कारण मठ-मंदिरों में दर्शनों पर रोक लगाई गई है. सरकार की ओर से नियम लागू किए गए हैं कि मठ मंदिरों में पुजारी पूजा-अर्चना करेंगे, लेकिन कोई भी श्रद्धालु दर्शन नहीं करेगा. देशभर में आगामी तीन मई तक लॉक डाउन घोषित किया गया है, जबकि 29 अप्रैल को बाबा केदार के कपाट खुलने हैं.

वाहन से जाएगी बाबा केदार की डोली

ये भी पढ़ेंः लॉकडाउन में उत्तराखंड पुलिस का 'ऑपेरेशन राहत' मिटा रहा जरूरतमंदों की भूख, 'WAR' रूम पहुंचा ईटीवी भारत

ऐसे में प्रशासन ने हक-हकूकधारी, रावल, वेदपाठी की राय-शुमारी के बाद इस बार भगवान केदार की डोली को सीधे वाहन के जरिए यात्रा के अंतिम पड़ाव गौरीकुंड ले जाने का निर्णय लिया है. बीते सालों में जहां भगवान केदारनाथ की डोली के शीतकालीन गद्दीस्थल से हिमालय रवानगी पर ओमकारेश्वर मंदिर में हजारों की संख्या में भक्त उमड़ पड़ते थे, वहीं इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा. डोली को बाहर निकालने पर मुख्य लोग ही मौजूद रहेंगे, जबकि डोली के साथ 16 लोग ही जा पाएंगे.

वहीं, इस बार डोली यात्रा पड़ावों पर नहीं रूकेगी. बीते सालों तक डोली पैदल चलकर पहली रात्रि प्रवास के लिए फाटा-रामुपर पहुंचती थी. वहीं, इस बार डोली को वाहन के जरिए सीधे गौरीकुंड पहुंचाया जाएगा. इससे यात्रा पड़ावों पर डोली के दर्शनों को उमड़ने वाली भीड़ भी नहीं रहेगी और सोशल डिस्टेसिंग का पालन भी हो सकेगा.

डोली पहले दिन गौरीकुंड पहुंचेगी. जहां पर गौरामाई का मंदिर है. गौरामाई मंदिर में रात्रि प्रवास के बाद दूसरे दिन कैलाश के लिए रवाना होगी और इस बार डोली गौरीकुंड से केदारनाथ 18 किमी की पैदल चढ़ाई के बीच लिनचौली स्थान पर रात्रि प्रवास करेगी. जबकि, 28 अप्रैल को डोली केदारनाथ धाम पहुंच जाएगी और 29 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर बाबा केदार के कपाट खोल दिए जाएंगे.

साल 1977 में भी बाबा केदार की डोली को वाहन से ले जाया गया था

यह तीसरी बार है, जब भगवान केदारनाथ की डोली सीधे वाहन के जरिए जाएगी और पड़ावों पर रहने वाली भक्तों की भीड़ नहीं दिखाई देगी. इससे पहले साल 1977 में आपातकाल के समय ऐसा निर्णय लिया गया था, जब भगवान केदारनाथ की डोली को शीतकालीन गद्दीस्थल से सीधे गौरीकुंड ले जाया गया और वापसी में भी डोली को गौरीकुंड से ऊखीमठ तक वाहन में लाया गया.

केदारनाथ के वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित श्रीनिवास पोस्ती ने बताया कि साल 1977 में दो बार ऐसे हालात पैदा हुए कि डोली को वाहन से ले जाना और लाना पड़ा था. इसके बाद तत्कालीन विधायक प्रताप सिंह पुष्पवाण ने इसका विरोध किया और डोली को पुनः पैदल ले जाने की परंपरा शुरू की. यह तीसरी बार है जब बाबा केदारनाथ की डोली वाहन से जाएगी.

रुद्रप्रयागः भगवान आशुतोष के ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग भगवान केदारनाथ के कपाट 29 अप्रैल को खोले जा रहे हैं. आगामी 26 अप्रैल को केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल से रवाना होगी. जो वाहन के जरिए सीधे गौरीकुंड जाएगी. बीते सालों तक डोली का पहला रात्रि प्रवास फाटा में हुआ करता था. जबकि, इस बार डोली वाहन से सीधे अपने अंतिम पड़ाव गौरीकुंड पहुंचेगी और दूसरे दिन गौरीकुंड से केदारनाथ के बीच प्रवास करने के बाद 28 को केदारनाथ पहुंचेगी.

बता दें कि कोरोना वैश्विक महामारी के कारण देश में लॉकडाउन चल रहा है. जिस कारण मठ-मंदिरों में दर्शनों पर रोक लगाई गई है. सरकार की ओर से नियम लागू किए गए हैं कि मठ मंदिरों में पुजारी पूजा-अर्चना करेंगे, लेकिन कोई भी श्रद्धालु दर्शन नहीं करेगा. देशभर में आगामी तीन मई तक लॉक डाउन घोषित किया गया है, जबकि 29 अप्रैल को बाबा केदार के कपाट खुलने हैं.

वाहन से जाएगी बाबा केदार की डोली

ये भी पढ़ेंः लॉकडाउन में उत्तराखंड पुलिस का 'ऑपेरेशन राहत' मिटा रहा जरूरतमंदों की भूख, 'WAR' रूम पहुंचा ईटीवी भारत

ऐसे में प्रशासन ने हक-हकूकधारी, रावल, वेदपाठी की राय-शुमारी के बाद इस बार भगवान केदार की डोली को सीधे वाहन के जरिए यात्रा के अंतिम पड़ाव गौरीकुंड ले जाने का निर्णय लिया है. बीते सालों में जहां भगवान केदारनाथ की डोली के शीतकालीन गद्दीस्थल से हिमालय रवानगी पर ओमकारेश्वर मंदिर में हजारों की संख्या में भक्त उमड़ पड़ते थे, वहीं इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा. डोली को बाहर निकालने पर मुख्य लोग ही मौजूद रहेंगे, जबकि डोली के साथ 16 लोग ही जा पाएंगे.

वहीं, इस बार डोली यात्रा पड़ावों पर नहीं रूकेगी. बीते सालों तक डोली पैदल चलकर पहली रात्रि प्रवास के लिए फाटा-रामुपर पहुंचती थी. वहीं, इस बार डोली को वाहन के जरिए सीधे गौरीकुंड पहुंचाया जाएगा. इससे यात्रा पड़ावों पर डोली के दर्शनों को उमड़ने वाली भीड़ भी नहीं रहेगी और सोशल डिस्टेसिंग का पालन भी हो सकेगा.

डोली पहले दिन गौरीकुंड पहुंचेगी. जहां पर गौरामाई का मंदिर है. गौरामाई मंदिर में रात्रि प्रवास के बाद दूसरे दिन कैलाश के लिए रवाना होगी और इस बार डोली गौरीकुंड से केदारनाथ 18 किमी की पैदल चढ़ाई के बीच लिनचौली स्थान पर रात्रि प्रवास करेगी. जबकि, 28 अप्रैल को डोली केदारनाथ धाम पहुंच जाएगी और 29 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर बाबा केदार के कपाट खोल दिए जाएंगे.

साल 1977 में भी बाबा केदार की डोली को वाहन से ले जाया गया था

यह तीसरी बार है, जब भगवान केदारनाथ की डोली सीधे वाहन के जरिए जाएगी और पड़ावों पर रहने वाली भक्तों की भीड़ नहीं दिखाई देगी. इससे पहले साल 1977 में आपातकाल के समय ऐसा निर्णय लिया गया था, जब भगवान केदारनाथ की डोली को शीतकालीन गद्दीस्थल से सीधे गौरीकुंड ले जाया गया और वापसी में भी डोली को गौरीकुंड से ऊखीमठ तक वाहन में लाया गया.

केदारनाथ के वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित श्रीनिवास पोस्ती ने बताया कि साल 1977 में दो बार ऐसे हालात पैदा हुए कि डोली को वाहन से ले जाना और लाना पड़ा था. इसके बाद तत्कालीन विधायक प्रताप सिंह पुष्पवाण ने इसका विरोध किया और डोली को पुनः पैदल ले जाने की परंपरा शुरू की. यह तीसरी बार है जब बाबा केदारनाथ की डोली वाहन से जाएगी.

Last Updated : Apr 23, 2020, 11:57 PM IST
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