रुद्रप्रयाग: चारधाम यात्रा में ई-पास की अनिवार्यता को समाप्त करने को लेकर केदारघाटी के तीर्थ पुरोहित, व्यापारी एवं मजदूरों ने यात्रा पड़ावों के मुख्य बाजारों में प्रदर्शन करते हुए सांकेतिक धरना दिया. इस दौरान स्थानीय लोगों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी कर जल्द से जल्द ई-पास की अनिवार्यता को समाप्त करने की मांग की.
बता दें, नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश सरकार ने 18 सितम्बर से चारधाम यात्रा शुरू की. इसके बाद से अब तक करीब 10 हजार के करीब तीर्थ यात्री केदारनाथ धाम पहुंच चुके हैं. ई-पास की अनिवार्यता के कारण सीमित संख्या में तीर्थयात्री केदारनाथ धाम पहुंच रहे हैं, जिस कारण यात्रियों की संख्या काफी कम है. अगर ई-पास की अनिवार्यता नहीं होती, तो अब तक यह आंकड़ा पचास हजार के पार हो जाता. लेकिन इस बार ई-पास की अनिवार्यता ने केदारघाटी के लोगों में रोष पैदा कर दिया है.
सीमित संख्या में तीर्थयात्रियों के आने से व्यापारियों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है. सरकार की ओर से एक दिन में 800 तीर्थयात्रियों को ही केदारनाथ धाम भेजा जा रहा है. इस कारण सभी यात्री सीधे सोनप्रयाग पहुंच रहे हैं और यहां केदारनाथ धाम को निकल रहे हैं. ऐसे में गुप्तकाशी, फाटा, रामपुर, सीतापुर, नारायणकोटी सहित अन्य यात्रा पड़ावों में वीरानी छाई हुई है. यहां के व्यापारियों में मायूसी देखने को मिल रही है.
ऐसे में केदारघाटी एसोसिएशन के बैनर तले आज तीर्थ पुरोहित, व्यापारी एवं मजदूरों ने विभिन्न यात्रा पड़ावों पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए सांकेतिक धरना दिया. इससे पहले 28 सितम्बर को भी केदारघाटी को बंद रखा गया था और ई-पास की अनिवार्यता को समाप्त करने की मांग की गई थी, लेकिन व्यापारियों की इस मांग पर सरकार कोई निर्णय नहीं ले रही हैं. इस कारण केदारघाटी के व्यापारियों में आक्रोश बना हुआ है.
केदारघाटी होटल एसोसिएशन के महासचिव नितिन जमलोकी ने कहा कि ई-पास की अनिवार्यता के कारण केदारघाटी के विभिन्न यात्रा पड़ावों पर आजीविका चला रहे लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है. सीमित संख्या में तीर्थयात्री पहुंच रहे हैं, जो सीधे सोनप्रयाग से केदारनाथ निकल रहे हैं, जबकि ई-पास के बिना जो तीर्थयात्री जिले में पहुंच रहे हैं उन्हें कुंड और सिरोबगड़ में रोका जा रहा है. यहां तक कि उन्हें केदारघाटी में भी घुसने नहीं दिया जा रहा है.
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उन्होंने कहा कि पुलिस-प्रशासन का रवैया भी यात्रियों के साथ सही नहीं है. उन्होंने कहा कि 6 माह यात्रा से रोजगार करके केदारघाटी के लोग अपने सालभर का गुजारा करते हैं. दो साल से कोरोना महामारी के कारण यात्रा ठप है. अब यात्रा खुलने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि उन्हें थोड़ा बहुत रोजगार मिलेगा, जिससे वे अपनी आजीविका चला सकेंगे लेकिन सरकार ने केदारघाटी के लोगों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. अगर जल्द ही ई-पास की अनिवार्यता को समाप्त नहीं किया गया तो केदारघाटी की जनता पुनः बाजारों को बंद करने के लिए बाध्य हो जाएगी.
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जिलाधिकारी ने किया यात्रा मार्गों का निरीक्षण: केदारनाथ धाम में बेहतर यात्रा संचालन सुविधा के दृष्टिगत जिलाधिकारी मनुज गोयल ने रुद्रप्रयाग से सोनप्रयाग तक यात्रा मार्ग का निरीक्षण किया. यात्रा मार्ग के अगस्त्यमुनि, कुंड, गुप्तकाशी, फाटा, सोनप्रयाग आदि स्थानों में स्थापित की गई चौकियों का निरीक्षण करते हुए जिलाधिकारी गोयल ने यहां तैनात कार्मिकों को निर्देशित करते हुए कहा कि धाम में प्रवेश करने से पहले यात्रियों का ई-पास क्रॉस चेक किया जाए. साथ ही यात्रियों से संबंधित सूचनाओं को लेकर तिथिवार रजिस्टर मेंटेन किए जाए.
जिलाधिकारी ने निरीक्षण के दौरान गुप्तकाशी स्थित बैरियर में शौचालय व उचित पेयजल के लिए उप जिलाधिकारी ऊखीमठ को निर्देश दिए. उन्होंने धाम के अहम पड़ाव सोनप्रयाग में आवश्यक व्यवस्थाओं को लेकर उपजिलाधिकारी एवं यहां तैनात पुलिस व अन्य संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए.
उन्होंने कहा कि यात्रा मार्ग पर संचालित होने वाले घोड़े-खच्चरों का भी नियमानुसार संचालन सुनिश्चित किए जाने के लिए धाम के अंतर्गत सेक्टर मजिस्ट्रेट तैनात किए जाएंगे. सोनप्रयाग में कार्यदायी संस्था यूपीआरएनएन निर्माण निगम द्वारा निर्मित पार्किंग को लेकर संबंधित संस्था को निर्देशित करते हुए कहा कि पार्किंग में वाहनों के प्रवेश और निकासी के लिए अलग-अलग स्थान सुनिश्चित किए जाएं. साथ ही पार्किंग के चारों ओर विद्युत व्यवस्था भी आवश्यक रूप से उपलब्ध कराई जाए.
डीएम ने उप जिलाधिकारी ऊखीमठ को तैनात अन्य संबंधित अधिकारियों से लगातार समन्वय स्थापित करते हुए बेहतर यात्रा संचालन के निर्देश दिए. साथ ही कहा कि श्रद्धालुओं की संख्या सीमित होने के चलते बेहतर यात्रा संचालन का प्रयास होना चाहिए. उन्होंने जिला प्रशासन द्वारा यात्रियों को हर तरह के सहयोग देने की बात कही.