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रुद्रप्रयाग: चार दिसंबर से तरवाड़ी में होगा बाणों का कौथिग - Dhoom of Pandava dance

आगामी चार दिसंबर से तरवाड़ी में नियमित रूप से बाणों का कौथिग विधिवत रूप से आयोजित किया जाएगा. मेला देखने के लिए दूर-दराज क्षेत्रों के ग्रामीण पहुंच रहे हैं.

kauthig mela
कौथिग मेले का आयोजन
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Published : Dec 2, 2020, 1:28 PM IST

रुद्रप्रयाग: जिला मुख्यालय से महज कुछ ही दूरी पर ग्राम पंचायत दरमोला के राजस्व गांव तरवाडी में आगामी चार दिसंबर से नियमित रूप से बाणों का कौथिग विधिवत रूप से शुरू किया जाएगा. इसके साथ ही 17 दिसंबर को रात्रि जागरण के साथ ही 18 दिसंबर को पांडव नृत्य का विधिवत समापन होगा. पांडव नृत्य देखने के लिए दूर-दराज क्षेत्रों के ग्रामीण पहुंच रहे हैं.

हर साल की तरह इस साल भी एकादशी पर्व पर 25 नंवबर से तरवाडी गांव में गंगा स्नान के साथ पांडव नृत्य का विधिवत शुभारंभ हो चुका है. ग्राम पंचायत में एक वर्ष दरमोला व दूसरे वर्ष तरवाडी गांव में पांडव नृत्य का आयोजन होता है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. इन दिनों तरवाडी गांव में पांडव नृत्य की धूम है. ऐसे में हर दिन पुजारी द्वारा बदरीनाथ, शंकरनाथ, नागराजा, तुंगनाथ, चामुंडा देवी समेत कई देव निशानों व पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों की सुबह व शाम को पूजा अर्चना व आरती की जा रही है. जिसके बाद ही पांडव नृत्य शुरू कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें : रुद्रप्रयाग के मुख्य बाजार में आवासीय भवन गिरा, लोगों ने भागकर बचाई जान

कार्यक्रम में पांडवों के अस्त्र-शस्त्र को बाहर निकालने की तिथि व सिरोता के साथ समापन की तिथि पंचांग गणना के अनुसार तय की जाती है. इस बार देवताओं की राशि के अनुसार चार दिसंबर को पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों को बाहर निकालकर बाणों का कौथिग विधिवत शुरू हो जाएगा. जिसके बाद 16 दिसंबर को नौगरी का कौथिग, 17 दिसंबर को सिरोता एवं 18 दिसंबर को पांडव नृत्य का फल वितरण के साथ समापन किया जाएगा.

रुद्रप्रयाग: जिला मुख्यालय से महज कुछ ही दूरी पर ग्राम पंचायत दरमोला के राजस्व गांव तरवाडी में आगामी चार दिसंबर से नियमित रूप से बाणों का कौथिग विधिवत रूप से शुरू किया जाएगा. इसके साथ ही 17 दिसंबर को रात्रि जागरण के साथ ही 18 दिसंबर को पांडव नृत्य का विधिवत समापन होगा. पांडव नृत्य देखने के लिए दूर-दराज क्षेत्रों के ग्रामीण पहुंच रहे हैं.

हर साल की तरह इस साल भी एकादशी पर्व पर 25 नंवबर से तरवाडी गांव में गंगा स्नान के साथ पांडव नृत्य का विधिवत शुभारंभ हो चुका है. ग्राम पंचायत में एक वर्ष दरमोला व दूसरे वर्ष तरवाडी गांव में पांडव नृत्य का आयोजन होता है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. इन दिनों तरवाडी गांव में पांडव नृत्य की धूम है. ऐसे में हर दिन पुजारी द्वारा बदरीनाथ, शंकरनाथ, नागराजा, तुंगनाथ, चामुंडा देवी समेत कई देव निशानों व पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों की सुबह व शाम को पूजा अर्चना व आरती की जा रही है. जिसके बाद ही पांडव नृत्य शुरू कर रहे हैं.

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कार्यक्रम में पांडवों के अस्त्र-शस्त्र को बाहर निकालने की तिथि व सिरोता के साथ समापन की तिथि पंचांग गणना के अनुसार तय की जाती है. इस बार देवताओं की राशि के अनुसार चार दिसंबर को पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों को बाहर निकालकर बाणों का कौथिग विधिवत शुरू हो जाएगा. जिसके बाद 16 दिसंबर को नौगरी का कौथिग, 17 दिसंबर को सिरोता एवं 18 दिसंबर को पांडव नृत्य का फल वितरण के साथ समापन किया जाएगा.

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