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जन अधिकार मंच ने क्यों लिखी मुख्यमंत्री को चिट्ठी, आइए जानते हैं

कोरोना के चलते पूरे देश में लॉकडाउन है. लॉकडाउन की मार सबसे ज्यादा मजदूरों पर पड़ी है. ऐसे में जन अधिकार मंच ने लॉकडाउन के दौरान बाहर फंसे उत्तराखंड के मजदूरों की समस्याओं से संबंधित पत्र मुखयमंत्री को भेजा है.

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दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों की समस्याओं से संबंधित पत्र.
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Published : Apr 23, 2020, 10:46 AM IST

रुद्रप्रयाग: जन अधिकार मंच ने लॉकडाउन में उत्तराखंड से बाहर फंसे लोगों को घर वापस लाने की वकालत की है. इसी सिलसिले में मंच ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को एक पत्र भी भेजा है. पत्र में जन अधिकार मंच के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों में फंसे उत्तराखंड के मजदूरों के बारे में विस्तार से चर्चा की है. उन्होंने मजदूरों की समस्याओं को जल्द से जल्द खत्म करने की मांग की है.

यह भी पढे़ं-LOCKDOWN: साइकिल से बिहार जाने की तैयारी में 70 मजदूर

पत्र में लिखी गई मुख्य बातें :

  • उत्तराखंड के हजारों निवासी देश के विभिन्न राज्यों में रोजगार के लिए जाते हैं. ये लोग कम आमदनी में भी किसी तरह अपना और अपने परिजनों का पेट पालने को मजबूर हैं.
  • लॉकडाउन के चलते सभी उद्योग, व्यवसाय, खेती, बागवानी जैसी उत्पादक गतिविधियां ठप्प हो जाने से राज्य के हजारों श्रमिक विभिन्न राज्यों तथा उनकी सीमाओं पर फंसे हैं.
  • यातायात के साधन और भोजनालय तथा दुकानें बंद होने के कारण इस समय मजदूरों के सामने जीवन का संकट खड़ा हो गया है.
  • अधिकतर लोगों के संदेश मिल रहे हैं कि उनके पास खाने, रहने की व्यवस्था नहीं है. वापस अपने घरों तक पहुंचने का तो कोई प्रश्न ही नहीं है. उत्तराखंड सरकार द्वारा सम्बंधित राज्य सरकारों से ऐसे लोगों के भोजन की व्यवस्था के लिए अनुरोध किया है.
  • बाहर फंसे मजदूरों का पता लगाकर उन्हें जल्द से जल्द घरों तक पहुंचाने की मांग की गई है.
  • पत्र में यह भी मांग की गई है कि अपने अपने घरों, क्षेत्रों में पहुंचे कमजोर लोगों के लिए गांवों के पास ही रोजगार के अवसर विकसित किए जाएं.

अब देखना ये होगा कि जन अधिकार मंच के इस पत्र पर सरकार क्या प्रतिक्रिया देती है.

रुद्रप्रयाग: जन अधिकार मंच ने लॉकडाउन में उत्तराखंड से बाहर फंसे लोगों को घर वापस लाने की वकालत की है. इसी सिलसिले में मंच ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को एक पत्र भी भेजा है. पत्र में जन अधिकार मंच के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों में फंसे उत्तराखंड के मजदूरों के बारे में विस्तार से चर्चा की है. उन्होंने मजदूरों की समस्याओं को जल्द से जल्द खत्म करने की मांग की है.

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पत्र में लिखी गई मुख्य बातें :

  • उत्तराखंड के हजारों निवासी देश के विभिन्न राज्यों में रोजगार के लिए जाते हैं. ये लोग कम आमदनी में भी किसी तरह अपना और अपने परिजनों का पेट पालने को मजबूर हैं.
  • लॉकडाउन के चलते सभी उद्योग, व्यवसाय, खेती, बागवानी जैसी उत्पादक गतिविधियां ठप्प हो जाने से राज्य के हजारों श्रमिक विभिन्न राज्यों तथा उनकी सीमाओं पर फंसे हैं.
  • यातायात के साधन और भोजनालय तथा दुकानें बंद होने के कारण इस समय मजदूरों के सामने जीवन का संकट खड़ा हो गया है.
  • अधिकतर लोगों के संदेश मिल रहे हैं कि उनके पास खाने, रहने की व्यवस्था नहीं है. वापस अपने घरों तक पहुंचने का तो कोई प्रश्न ही नहीं है. उत्तराखंड सरकार द्वारा सम्बंधित राज्य सरकारों से ऐसे लोगों के भोजन की व्यवस्था के लिए अनुरोध किया है.
  • बाहर फंसे मजदूरों का पता लगाकर उन्हें जल्द से जल्द घरों तक पहुंचाने की मांग की गई है.
  • पत्र में यह भी मांग की गई है कि अपने अपने घरों, क्षेत्रों में पहुंचे कमजोर लोगों के लिए गांवों के पास ही रोजगार के अवसर विकसित किए जाएं.

अब देखना ये होगा कि जन अधिकार मंच के इस पत्र पर सरकार क्या प्रतिक्रिया देती है.

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