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रुद्रप्रयाग में कमाल कर रहा 'जंगली' का रिंगाल, लोगों को दिलाया रोजगार

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Published : Apr 20, 2021, 6:49 PM IST

Updated : Apr 20, 2021, 9:14 PM IST

रिंगाल पहाड़ में पर्यावरण बचाने के साथ रोजगार का साधन भी बन सकता है ये साबित हो गया है. पर्यावरणविद जगत सिंह जंगली ने अपने मिश्रित वन में रिंगाल की झाड़ियां उगाकर नई लकीर खींच दी है.

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रिंगाल से मिला रोजगार

रुद्रप्रयाग: पर्यावरणविद जगत सिंह जंगली का मिश्रित जंगल स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के क्षेत्र में मिसाल कायम कर रहा है. यहां रिंगाल की झाड़ियां उगी हैं, जो रानीगढ़ क्षेत्र के हस्तशिल्पियों के लिए आजीविका का साधन बन रही हैं. ऐसे में जहां लोगों को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार मिल रहा है. वहीं रिंगाल के जंगल में आग लगने की कोई आशंका नहीं रहती है. कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच घर लौट रहे युवाओं के लिए रिंगाल एक रोजगार का जरिया बन सकता है.

रुद्रप्रयाग में कमाल कर रहा 'जंगली' का रिंगाल.

अगस्त्यमुनि ब्लॉक के रानीगढ़ पट्टी के ग्राम पंचायत कोट मल्ला गांव निवासी पर्यावरणविद, विशेषज्ञ सदस्य राष्ट्रीय वनीकरण एवं पर्यावरण विकास बोर्ड भारत सरकार जगत सिंह जंगली अपने मिश्रित जंगल को आमजन से जोड़कर संरक्षण की मिसाल पेश कर रहे हैं. जंगली ने चालीस वर्ष पहले गांव की बंजर भूमि पर मिश्रित वन की स्थापना की थी. आज ये वन स्थानीय लोगों की आजीविका का साधन भी बन रहा है. जंगल का मिश्रित वन पर्यावरण के लिए भी काफी लाभदायक है.

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रिंगाल बहुत काम की चीज है.

जंगलों को आग से बचाएगी रिंगाल

जहां जिले के विभिन्न इलाकों में आग के कारण जंगल राख हो रहे हैं, वहीं जंगली का मिश्रित वन आग की लपटों से कोसों दूर है. इस जंगल में कभी भी आग नहीं लगती है, जो जंगली की मेहनत का ही नतीजा है. जंगली ने अपनी मेहनत की बदौलत एक हरा भरा जंगल तैयार किया है, जो अन्य लोगों के लिए प्रेरणादायक है.

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रिंगाल से बहुपयोगी चीजें बनती हैं.

इस जंगल में विदेशों से भी पर्यटक आते हैं और जंगल की तारीफ किये बिना रह नहीं पाते. अब जंगली की मेहनत से लोगों को रोजगार मिलने के साथ ही उनकी आजीविका भी सुदृढ़ हो रही है. यहां उगने वाला रिंगाल कई स्थानीय परिवारों को रोजगार भी दे रहा है. मिश्रित जंगल में रिंगाल की तीन सौ से ज्यादा झाड़ियां हैं, जिनका चरणबद्ध तरीके से डेढ़ से दो वर्ष में कटान हो रहा है.

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जंगली ने मिश्रित वन में उगा दिया रिंगाल.

इस साल निकली 8 क्विंटल रिंगाल

कुछ दिन पूर्व ही गांव के हस्तशिल्पियों ने झाड़ियों से आठ कुंतल रिंगाल निकाली है. इस रिंगाल से इन लोगों की ओर से टोकरी, डाली, छापड़ी, सूप, हथकंडी, अनाज रखने के लिए कंटेनर्स (कुन्ना), कंडी, पैनदान, फूलदान, टी-ट्रे, कूड़ादान, मैट सहित कई उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं. हस्तशिल्पियों का कहना है कि बीते चार वर्षों से उन्हें मिश्रित जंगल से ही जरूरत के हिसाब से पर्याप्त रिंगाल मिल रहा है.

देश में कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन लगना शुरू हो गया है. इस कारण जिले के युवा घर लौट रहे हैं. रानीगढ़ पट्टी के युवाओं के लिए सुनहरा मौका है कि वे जंगली के मिश्रित वन में जाकर रोजगार की संभावनाओं की तलाश करें.

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रिंगाल ने लोगों को रोजगार दिया है.

ये भी पढ़ें: रिंगाल से बनाते हैं बेहतरीन वस्तुएं, लेकिन नहीं सुधर रही कारीगरों की माली हालत

रिंगाल में रोजगार की संभावना

पर्यावरणविद, विशेषज्ञ सदस्य राष्ट्रीय वनीकरण एवं पर्यावरण विकास बोर्ड भारत सरकार जगत सिंह जंगली ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्रों में रिंगाल के जरिये रोजगार की काफी संभावनाएं मौजूद हैं. यहां के युवाओं को रिंगाल को अपना रोजगार का साधन बनाना चाहिए. उन्होंने बताया कि उनके मिश्रित वन में रिंगाल की तीन सौ झाड़ियां हैं, जो प्रकृति व पर्यावरण संरक्षण के साथ ही स्थानीय हस्तशिल्पियों के रोजगार का जरिया भी बन रही हैं. उनके जीवन के लिए इससे बड़ी उपलब्धि और क्या हो सकती है कि जो जंगल बसाया था, वह आज हर तरफ से क्षेत्र के लोगों के काम आ रहा है.

Ringals Jungle News
उत्तराखंड में रिंगाल की पांच किस्में पाई जाती हैं.

रिंगाल से फायदे

रिंगाल उत्तराखंड के जंगलों में पाया जाने वाला वृक्ष है, जो बांस की प्रजाति का होता है. इसलिए इसे बौना बांस भी कहा जाता है. जहां बांस की लम्बाई 25-30 मीटर होती है, वही रिंगाल 5-8 मीटर लम्बा होता है. रिंगाल एक हजार से सात हजार फीट की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाया जाता है. इसे पानी और नमी की आवश्यकता रहती है.

ये भी पढ़ें: ग्रामीणों की सरकार से मांग, रिंगाल का सामान बेचने को दिलाओ बाजार

उत्तराखंड में पांच प्रकार के रिंगाल

उत्तराखंड में पांच प्रकार के रिंगाल पाये जाते हैं. गोलू रिंगाल, देव रिंगाल, थाम, सरारू और भाटपुत्र रिंगाल. खास बात ये है कि दुनिया के लिए आने वाले वक्त में प्लास्टिक का विकल्प रिंगाल बन सकता है. उन्होंने बताया कि रिंगाल से पलायन पर रोक लग सकती है. उत्तराखंड की इस पारंपरिक कला को बचाना है, तो रिंगाल एक मजबूत साधन के रूप में उभर सकता है. रिंगाल रोजगार का सबसे बेहतर साधन है.

रुद्रप्रयाग: पर्यावरणविद जगत सिंह जंगली का मिश्रित जंगल स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के क्षेत्र में मिसाल कायम कर रहा है. यहां रिंगाल की झाड़ियां उगी हैं, जो रानीगढ़ क्षेत्र के हस्तशिल्पियों के लिए आजीविका का साधन बन रही हैं. ऐसे में जहां लोगों को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार मिल रहा है. वहीं रिंगाल के जंगल में आग लगने की कोई आशंका नहीं रहती है. कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच घर लौट रहे युवाओं के लिए रिंगाल एक रोजगार का जरिया बन सकता है.

रुद्रप्रयाग में कमाल कर रहा 'जंगली' का रिंगाल.

अगस्त्यमुनि ब्लॉक के रानीगढ़ पट्टी के ग्राम पंचायत कोट मल्ला गांव निवासी पर्यावरणविद, विशेषज्ञ सदस्य राष्ट्रीय वनीकरण एवं पर्यावरण विकास बोर्ड भारत सरकार जगत सिंह जंगली अपने मिश्रित जंगल को आमजन से जोड़कर संरक्षण की मिसाल पेश कर रहे हैं. जंगली ने चालीस वर्ष पहले गांव की बंजर भूमि पर मिश्रित वन की स्थापना की थी. आज ये वन स्थानीय लोगों की आजीविका का साधन भी बन रहा है. जंगल का मिश्रित वन पर्यावरण के लिए भी काफी लाभदायक है.

rudraprayag
रिंगाल बहुत काम की चीज है.

जंगलों को आग से बचाएगी रिंगाल

जहां जिले के विभिन्न इलाकों में आग के कारण जंगल राख हो रहे हैं, वहीं जंगली का मिश्रित वन आग की लपटों से कोसों दूर है. इस जंगल में कभी भी आग नहीं लगती है, जो जंगली की मेहनत का ही नतीजा है. जंगली ने अपनी मेहनत की बदौलत एक हरा भरा जंगल तैयार किया है, जो अन्य लोगों के लिए प्रेरणादायक है.

forest-of-ringal
रिंगाल से बहुपयोगी चीजें बनती हैं.

इस जंगल में विदेशों से भी पर्यटक आते हैं और जंगल की तारीफ किये बिना रह नहीं पाते. अब जंगली की मेहनत से लोगों को रोजगार मिलने के साथ ही उनकी आजीविका भी सुदृढ़ हो रही है. यहां उगने वाला रिंगाल कई स्थानीय परिवारों को रोजगार भी दे रहा है. मिश्रित जंगल में रिंगाल की तीन सौ से ज्यादा झाड़ियां हैं, जिनका चरणबद्ध तरीके से डेढ़ से दो वर्ष में कटान हो रहा है.

mixed forest
जंगली ने मिश्रित वन में उगा दिया रिंगाल.

इस साल निकली 8 क्विंटल रिंगाल

कुछ दिन पूर्व ही गांव के हस्तशिल्पियों ने झाड़ियों से आठ कुंतल रिंगाल निकाली है. इस रिंगाल से इन लोगों की ओर से टोकरी, डाली, छापड़ी, सूप, हथकंडी, अनाज रखने के लिए कंटेनर्स (कुन्ना), कंडी, पैनदान, फूलदान, टी-ट्रे, कूड़ादान, मैट सहित कई उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं. हस्तशिल्पियों का कहना है कि बीते चार वर्षों से उन्हें मिश्रित जंगल से ही जरूरत के हिसाब से पर्याप्त रिंगाल मिल रहा है.

देश में कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन लगना शुरू हो गया है. इस कारण जिले के युवा घर लौट रहे हैं. रानीगढ़ पट्टी के युवाओं के लिए सुनहरा मौका है कि वे जंगली के मिश्रित वन में जाकर रोजगार की संभावनाओं की तलाश करें.

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रिंगाल ने लोगों को रोजगार दिया है.

ये भी पढ़ें: रिंगाल से बनाते हैं बेहतरीन वस्तुएं, लेकिन नहीं सुधर रही कारीगरों की माली हालत

रिंगाल में रोजगार की संभावना

पर्यावरणविद, विशेषज्ञ सदस्य राष्ट्रीय वनीकरण एवं पर्यावरण विकास बोर्ड भारत सरकार जगत सिंह जंगली ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्रों में रिंगाल के जरिये रोजगार की काफी संभावनाएं मौजूद हैं. यहां के युवाओं को रिंगाल को अपना रोजगार का साधन बनाना चाहिए. उन्होंने बताया कि उनके मिश्रित वन में रिंगाल की तीन सौ झाड़ियां हैं, जो प्रकृति व पर्यावरण संरक्षण के साथ ही स्थानीय हस्तशिल्पियों के रोजगार का जरिया भी बन रही हैं. उनके जीवन के लिए इससे बड़ी उपलब्धि और क्या हो सकती है कि जो जंगल बसाया था, वह आज हर तरफ से क्षेत्र के लोगों के काम आ रहा है.

Ringals Jungle News
उत्तराखंड में रिंगाल की पांच किस्में पाई जाती हैं.

रिंगाल से फायदे

रिंगाल उत्तराखंड के जंगलों में पाया जाने वाला वृक्ष है, जो बांस की प्रजाति का होता है. इसलिए इसे बौना बांस भी कहा जाता है. जहां बांस की लम्बाई 25-30 मीटर होती है, वही रिंगाल 5-8 मीटर लम्बा होता है. रिंगाल एक हजार से सात हजार फीट की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाया जाता है. इसे पानी और नमी की आवश्यकता रहती है.

ये भी पढ़ें: ग्रामीणों की सरकार से मांग, रिंगाल का सामान बेचने को दिलाओ बाजार

उत्तराखंड में पांच प्रकार के रिंगाल

उत्तराखंड में पांच प्रकार के रिंगाल पाये जाते हैं. गोलू रिंगाल, देव रिंगाल, थाम, सरारू और भाटपुत्र रिंगाल. खास बात ये है कि दुनिया के लिए आने वाले वक्त में प्लास्टिक का विकल्प रिंगाल बन सकता है. उन्होंने बताया कि रिंगाल से पलायन पर रोक लग सकती है. उत्तराखंड की इस पारंपरिक कला को बचाना है, तो रिंगाल एक मजबूत साधन के रूप में उभर सकता है. रिंगाल रोजगार का सबसे बेहतर साधन है.

Last Updated : Apr 20, 2021, 9:14 PM IST
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