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अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण विशेषज्ञ वैज्ञानिक डाॅ. एचएस कप्रवाण का निधन

रविवार को अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण विशेषज्ञ वैज्ञानिक डाॅ. एचएस कप्रवाण का निधन हो गया. वो पिछले काफी दिनों से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे.

Rudraprayag
पर्यावरण विशेषज्ञ वैज्ञानिक का निधन
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Published : May 2, 2021, 10:39 PM IST

रुद्रप्रयाग: अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण विशेषज्ञ वैज्ञानिक डाॅ. एचएस कप्रवाण का रविवार को निधन हो गया. बताया जा रहा है कि वो पिछले काफी समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे. उन्होंने ग्रेटर नोएडा के प्रकाश अस्पताल में अंतिम सांस ली.

पत्रकार श्याम लाल सुंदरियाल ने बताया कि IPCC की विभिन्न समितियों के साथ जुड़कर जलवायु परिवर्तन से जुड़े निष्कर्ष निकालने में एचएस कप्रवाण का अहम योगदान रहा है. इसके अलावा 2007 में संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में बाली में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने के लिए एक बैठक आयोजित की गई थी. इस बैठक में मुख्य लेखाकार के रूप में डाॅ. कप्रवाण की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

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पत्रकार सुंदरियाल ने बताया कि साल 2013 में केदारनाथ में आई आपदा और साल 2021 में नीतिघाटी में आई प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी डाॅ. कप्रवाण ने साल 2005-06 में ही कर चुके थे. वो उत्तराखंड हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं पर हो रहे व्यापक जलवायु परिवर्तन के नतीजों पर हमेशा से चेताते रहे हैं. सुंदरियाल ने कहा कि डाॅ. कप्रवाण के असामयिक निधन से देश ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर अपूर्णीय क्षति हुई है, जिसे भरा नहीं जा सकता है.

रुद्रप्रयाग: अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण विशेषज्ञ वैज्ञानिक डाॅ. एचएस कप्रवाण का रविवार को निधन हो गया. बताया जा रहा है कि वो पिछले काफी समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे. उन्होंने ग्रेटर नोएडा के प्रकाश अस्पताल में अंतिम सांस ली.

पत्रकार श्याम लाल सुंदरियाल ने बताया कि IPCC की विभिन्न समितियों के साथ जुड़कर जलवायु परिवर्तन से जुड़े निष्कर्ष निकालने में एचएस कप्रवाण का अहम योगदान रहा है. इसके अलावा 2007 में संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में बाली में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने के लिए एक बैठक आयोजित की गई थी. इस बैठक में मुख्य लेखाकार के रूप में डाॅ. कप्रवाण की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

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पत्रकार सुंदरियाल ने बताया कि साल 2013 में केदारनाथ में आई आपदा और साल 2021 में नीतिघाटी में आई प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी डाॅ. कप्रवाण ने साल 2005-06 में ही कर चुके थे. वो उत्तराखंड हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं पर हो रहे व्यापक जलवायु परिवर्तन के नतीजों पर हमेशा से चेताते रहे हैं. सुंदरियाल ने कहा कि डाॅ. कप्रवाण के असामयिक निधन से देश ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर अपूर्णीय क्षति हुई है, जिसे भरा नहीं जा सकता है.

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