रुद्रप्रयाग/टिहरी/रामनगर/लक्सर: यूक्रेन से वापस लौटने के बाद जहां छात्रों के परिजनों में खुशी बनी हुई है. वहीं, छात्र अपने साथ बीती उस घटना को याद कर आंसू बहा रहे हैं. यूक्रेन से लौटे अगस्त्यमुनि निवासी अंकित चन्द्र ने बताया कि ट्रेन में चढ़ने को लेकर मदद की गुहार लगाने पर जवानों ने उनके साथ काफी बदसलूकी की. साथ की लड़कियों के कपड़े तक फाड़ दिए. यह दृश्य बार-बार याद कर आंखों में आंसू आ जाते हैं.
उन्होंने बताया कि भारत सरकार से बॉर्डर से पहले कुछ नहीं हो रहा है. बॉर्डर तक आने के बाद ही छात्रों को मदद मिल रही है. बॉर्डर से पहले बहुत रिस्क है. उन्होंने भारत सरकार से मांग करते हुए कहा कि उनके साथ के अभी भी सैकड़ों छात्र यूक्रेन में फंसे हुए हैं, जो बंकरों में रहकर रात काट रहे हैं. उन्हें भी किसी भी हाल में वापस लाने का प्रयास किया जाए.
सैनिकों ने फाड़े कपड़े: अंकित चंद्र ने बताया कि बंकर से निकलने के बाद जब ट्रेन पकड़ने को निकले तो रेलवे स्टेशन पर पहुंचने पर ट्रेन में नहीं चढ़ने दिया गया. यहां तैनात जवानों ने कहा कि यूक्रेन के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मदद मांगी. लेकिन पीएम मोदी ने कोई मदद नहीं की. ऐसे में वे इंडियन छात्रों की मदद भी नहीं कर सकते. जवानों ने कहा कि जब तुम्हारा देश ही हमारी मदद नहीं कर रहा है, हम भी क्यों करें. जवानों ने सामान भी बाहर फेंक दिया और कपड़े भी फाड़ दिए. फटे हुए कपड़ों में छात्र बार्डर तक पहुंचे.
यूक्रेन में फंसे रुद्रप्रयाग जनपद के चार छात्रों के साथ एक अन्य व्यक्ति भी अपने घर पहुंच गया है. इनमें अगस्त्यमुनि निवासी अंकित चन्द्रास और अवंतिका भट्ट, ऊखीमठ निवासी लिपिक्षा कुंवर और उत्कर्ष शुक्ला एवं बच्छणस्यू पट्टी के धूम सिंह के घर पहुंचने से परिजनों में खुशी बनी हुई है. घर लौटने पर इन सभी ने भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का धन्यवाद किया है. साथ ही छात्रों ने भारत सरकार से कहा कि उनके साथ के अभी भी और भी छात्र यूक्रेन में फंसे हुए हैं, जो बंकरों में रहकर रात काट रहे हैं. उन्हें भी किसी भी हाल में वापस लाया जाए.
टिहरी जनपद में भी यूक्रेन से पारस रौतेला, मनीष, सौम्य और सिद्धि सकुशल अपने घर पहुंच गये हैं. यूक्रेन से टिहरी लौटे पारस रौतेला ने ईटीवी भारत को बताया कि कई दिनों तक वह शेल्टर में रहने को मजबूर थे. भारत सरकार ने ऑपरेशन गंगा के तहत यूक्रेन में फंसे स्टूडेंट्स को सकुशल वतन लाया गया है. उन्होंने कहा कि टिहरी जिले के कई लोग यूक्रेन और इसके बॉर्डर के आसपास स्थित कैंपों में मौजूद हैं. रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच भारतीयों के वतन वापसी का सिलसिला जारी है.
लक्सर से देवानीक भी सकुशल वापस लौटे: भारत सरकार के प्रयासों के चलते लक्सर के अकोढा कला निवासी छात्र देवानीक चौधरी भी यूक्रेन से सकुशल अपने घर पहुंच गये हैं. देवानीक यूक्रेन के पोलतावा शहर में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे थे. पोलतावा से लक्सर लौटने पर परिजनों और गांववालों ने देवानीक का फूलमालाओं से स्वागत किया. देवानीक ने बताया कि यूक्रेन में हालात काफी खराब हो गये हैं. यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्र और वहां के स्थानीय निवासी डर के साए में रहने को मजबूर हैं.
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यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने गई एमबीबीएस की छात्रा सौम्या भी आज अपने घर लौट आई है. सौम्या यूक्रेन के नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी के खारकीव में मेडिकल की पढ़ाई कर रही थी. सौम्य के पिता दीपक गौड़ सरकारी वकील हैं, जबकि माता इंदू दीपक गवर्नमेंट टीचर है.
यूक्रेन में फंसी सौम्या ने बताया कि वह अपने दोस्तों के साथ मकान के बंकर में 5 दिन तक छुपी रही. खाने पीने का सामान खत्म हो चुका था. सौम्या ने बताया कि वह लगातार पांच दिनों तक भूखे रही. ऐसे में रात गुजारना भी मुश्किल हो रहा था. ऐसे में वह काफी जद्दोजहद के बाद वापस लौटी है. सौम्या और उनके परिजनों ने भारत सरकार को आभार व्यक्त किया है.