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रुद्रप्रयाग में उफान पर नदियां, कई घाट जलमग्न - अलकनंदा और मंदाकिनी नदी किनारे घाट जलमग्न हो गए

तेज बारिश और नदियों के बढ़ते जलस्तर के चलते अलकनंदा और मंदाकिनी नदी किनारे घाट जलमग्न हो गए हैं.

ghats have been submerged
रुद्रप्रयाग में उफान पर नदियां
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Published : Jul 28, 2020, 7:31 PM IST

रुद्रप्रयाग: तेज बारिश और नदियों के बढ़ते जलस्तर के चलते रुद्रप्रयाग के कई घाट जलमग्न हो गए हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि राज्य सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च कर अलकनंदा और मंदाकिनी नदी किनारे घाट बनाए हैं. जो साल के 8 महीने रेत से भरे रहते हैं और मॉनसून के दौरान जलमग्न हो जाते हैं. ऐसे में पर्यटकों और स्थानीय लोगों को इन घाटों का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है.

अलकनंदा और मंदाकिनी नदी किनारे घाट जलमग्न.

2017-18 में नमामि गंगे परियोजना के तहत अलकनंदा और मंदाकिनी नदी किनारे करोड़ों रुपए खर्च करके स्नान घाट बनाये गये हैं. मॉनसून में अलकनंदा और मंदाकिनी नदी का जलस्तर बढ़ते ही यह घाट जलमग्न हो जाते हैं. लगभग दो माह तक पानी में डूबे रहने के बाद जब जलस्तर घटेगा को घाटों सिर्फ मलबा ही नजर आएगा.

ये भी पढ़ें: धूपम केक से हवा में मरेगा कोरोना वायरस! उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय का दावा

रुद्रप्रयाग में अलकनंदा और मंदाकिनी नदी किनारे पर्यटकों को लुभाने के लिए इन घाटों का निर्माण किया गया था. लेकिन अनदेखी और लापरवाही के चलते घाट अब क्षतिग्रस्त होते जा रहे हैं. जिसकी वजह से स्थानीय लोगों में रोष है.

रुद्रप्रयाग: तेज बारिश और नदियों के बढ़ते जलस्तर के चलते रुद्रप्रयाग के कई घाट जलमग्न हो गए हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि राज्य सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च कर अलकनंदा और मंदाकिनी नदी किनारे घाट बनाए हैं. जो साल के 8 महीने रेत से भरे रहते हैं और मॉनसून के दौरान जलमग्न हो जाते हैं. ऐसे में पर्यटकों और स्थानीय लोगों को इन घाटों का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है.

अलकनंदा और मंदाकिनी नदी किनारे घाट जलमग्न.

2017-18 में नमामि गंगे परियोजना के तहत अलकनंदा और मंदाकिनी नदी किनारे करोड़ों रुपए खर्च करके स्नान घाट बनाये गये हैं. मॉनसून में अलकनंदा और मंदाकिनी नदी का जलस्तर बढ़ते ही यह घाट जलमग्न हो जाते हैं. लगभग दो माह तक पानी में डूबे रहने के बाद जब जलस्तर घटेगा को घाटों सिर्फ मलबा ही नजर आएगा.

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रुद्रप्रयाग में अलकनंदा और मंदाकिनी नदी किनारे पर्यटकों को लुभाने के लिए इन घाटों का निर्माण किया गया था. लेकिन अनदेखी और लापरवाही के चलते घाट अब क्षतिग्रस्त होते जा रहे हैं. जिसकी वजह से स्थानीय लोगों में रोष है.

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