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जल्दी सड़क बनाने के चक्कर में धड़ल्ले से हो रहा विस्फोट, सूख रहे हैं  प्राकृतिक जल स्रोत

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Published : Aug 2, 2019, 5:38 PM IST

पहाड़ी क्षेत्रों के ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी क्षेत्रों में मानवीय हस्तक्षेप से प्राकृतिक जल स्रोत सूखने लगे हैं. यह समस्या पहाड़ी इलाकों में सड़क निर्माण में अधिक विस्फोट किए जाने से पैदा हो रही है.

रुद्रप्रयाग के पहाड़ी क्षेत्रों में पानी की समस्या.

रुद्रप्रयाग: पहाड़ी क्षेत्रों से लेकर शहरी क्षेत्र जल स्रोतों पर निर्भर हैं. यहां तक कि जंगली जानवर भी इन प्राकृतिक स्रोतों से अपनी प्यास बुझाते हैं. अब ये प्राकृतिक जल स्रोत सूखने लगे हैं. पानी के अभाव से ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. यह एक ऐसा संकेत है जिससे हमारा भविष्य भी खतरे में पड़ सकता है.

पहाड़ी क्षेत्रों में मानवीय छेड़छाड़ के कारण जल का संकट पैदा हो रहा है. धीरे-धीरे प्राकृतिक जल स्रोत सूख रहे हैं और लोग दिन-प्रतिदिन बढ़ते पेयजल संकट के कारण बूंद-बूंद पानी के लिए मोहताज हो रहे हैं. रुदप्रयाग जिले की ग्राम पंचायत खांखरा के छांतीखाल गांव के ग्रामीण वर्षों से गांव के ऊपर स्थित प्राकृतिक जल स्रोत पर निर्भर थे.

रुद्रप्रयाग के पहाड़ी क्षेत्रों में पानी की समस्या.

ग्रामीण मीना देवी और ऊषा देवी ने बताया कि इस जल स्रोत से पेयजल के साथ ही खेतों की सिंचाई भी की जाती थी. बीते पांच साल पहले गांव में विकास के लिए सड़क को जल्दी बनाने के लिए ठेकेदार ने ज्यादा ब्लास्ट करवा दिए. इससे जल स्रोत धीरे-धीरे सूखने लगे. अब स्थिति यह है कि गांव के जल स्रोत में एक बूंद पानी भी नहीं आ रहा है.

यह भी पढ़ें: 24 घंटे से बंद है चंपावत-टनकपुर NH-9, पहाड़ों से लगातार गिर रहे हैं पत्थर

यह परेशानी सिर्फ रुद्रप्रयाग के छांतीखाल गांव की नहीं है, बल्कि ऐसे सैकड़ों गांव पहाड़ में हैं, जहां प्राकृतिक जल स्रोत किसी न किसी कारण से सूख गए हैं. यही नहीं सरकार की ओर से बनाई गई पेयजल लाइनों के जल स्रोत भी धीरे-धीरे सूख रहे हैं. आंकडों की अगर बात की जाय तो जल संस्थान रुद्रप्रयाग के अंतर्गत 278 पेयजल योजनाओं के 300 पेयजल स्रोत हैं. इनमें से 28 स्रोत सूखने के कगार पर हैं. वहीं स्वजल योजना के भी एक हजार 642 जल स्रोत हैं, जिसमें से करीब दस प्रतिशत जल स्रोत सूख चुके हैं.

इस मामले में डीएम मंगेश घिल्डियाल का कहना है कि इस बार 54 ग्राम पंचायतों में लोगों की सहभागिता से जल संरक्षण का कार्य करवाया गया है. उन्होंने कहा कि अगर सड़क निर्माण में विस्फोट करने से जल स्रोत सूख रहे हैं, तो इसकी जिम्मेदारी विभाग की ही होगी. उन्होंने कहा कि ग्रामीणों की पेयजल समस्या को दूर किया जायेगा.

रुद्रप्रयाग: पहाड़ी क्षेत्रों से लेकर शहरी क्षेत्र जल स्रोतों पर निर्भर हैं. यहां तक कि जंगली जानवर भी इन प्राकृतिक स्रोतों से अपनी प्यास बुझाते हैं. अब ये प्राकृतिक जल स्रोत सूखने लगे हैं. पानी के अभाव से ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. यह एक ऐसा संकेत है जिससे हमारा भविष्य भी खतरे में पड़ सकता है.

पहाड़ी क्षेत्रों में मानवीय छेड़छाड़ के कारण जल का संकट पैदा हो रहा है. धीरे-धीरे प्राकृतिक जल स्रोत सूख रहे हैं और लोग दिन-प्रतिदिन बढ़ते पेयजल संकट के कारण बूंद-बूंद पानी के लिए मोहताज हो रहे हैं. रुदप्रयाग जिले की ग्राम पंचायत खांखरा के छांतीखाल गांव के ग्रामीण वर्षों से गांव के ऊपर स्थित प्राकृतिक जल स्रोत पर निर्भर थे.

रुद्रप्रयाग के पहाड़ी क्षेत्रों में पानी की समस्या.

ग्रामीण मीना देवी और ऊषा देवी ने बताया कि इस जल स्रोत से पेयजल के साथ ही खेतों की सिंचाई भी की जाती थी. बीते पांच साल पहले गांव में विकास के लिए सड़क को जल्दी बनाने के लिए ठेकेदार ने ज्यादा ब्लास्ट करवा दिए. इससे जल स्रोत धीरे-धीरे सूखने लगे. अब स्थिति यह है कि गांव के जल स्रोत में एक बूंद पानी भी नहीं आ रहा है.

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यह परेशानी सिर्फ रुद्रप्रयाग के छांतीखाल गांव की नहीं है, बल्कि ऐसे सैकड़ों गांव पहाड़ में हैं, जहां प्राकृतिक जल स्रोत किसी न किसी कारण से सूख गए हैं. यही नहीं सरकार की ओर से बनाई गई पेयजल लाइनों के जल स्रोत भी धीरे-धीरे सूख रहे हैं. आंकडों की अगर बात की जाय तो जल संस्थान रुद्रप्रयाग के अंतर्गत 278 पेयजल योजनाओं के 300 पेयजल स्रोत हैं. इनमें से 28 स्रोत सूखने के कगार पर हैं. वहीं स्वजल योजना के भी एक हजार 642 जल स्रोत हैं, जिसमें से करीब दस प्रतिशत जल स्रोत सूख चुके हैं.

इस मामले में डीएम मंगेश घिल्डियाल का कहना है कि इस बार 54 ग्राम पंचायतों में लोगों की सहभागिता से जल संरक्षण का कार्य करवाया गया है. उन्होंने कहा कि अगर सड़क निर्माण में विस्फोट करने से जल स्रोत सूख रहे हैं, तो इसकी जिम्मेदारी विभाग की ही होगी. उन्होंने कहा कि ग्रामीणों की पेयजल समस्या को दूर किया जायेगा.

Intro:मानवीय हस्तक्षेप से सूखने लगे प्राकृतिक जल स्त्रोत
सड़क निर्माण में विस्फोट किये जाने से छांतीखाल गांव में जल स्त्रोत सूखा
पानी की समस्या से जूझ रहे ग्रामीण,
रुद्रप्रयाग। पहाड़ के ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी क्षेत्र प्राकृतिक जल स्त्रोतों पर निर्भर हैं। यहां तक कि जंगली जानवर भी इन प्राकृतिक स्त्रोतों से अपनी प्यास बुझाते हैं, मगर अब ये प्राकृतिक जल स्त्रोत सूखने लगे हैं और ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यह एक ऐसा संकेत है जिससे लगता है कि अगर जल ही खतरे में है तो मानव का भविष्य भी खतरे में है। Body:जल ही जीवन है और जल के बिना कुछ नहीं है, मगर पहाहों में मानवीय छेड़छाड़ के कारण अब यही जल संकट में है। धीरे-धीरे प्राकृतिक जल स्रोत सूख रहे हैं और लोग अब दिन-प्रतिदिन बढ़ते पेयजल संकट के कारण बूंद-बूद के लिए मोहताज हो रहे हैं। रुदप्रयाग जिले की ग्राम पंचायत खांखरा के छांतीखाल गांव के ग्रामीण वर्षो से गांव के ऊपर स्थित प्राकृतिक जल स्रोत पर निर्भर थे। पूर्वजों द्वारा अपने ईष्ट देव नागेन्द्र देवता के नाम पर रखे इस जल स्रोत से पेयजल के साथ ही खेतों की सिंचाई की जाती थी, लेकिन बीते पांच वर्ष पूर्व गांव में विकास के लिए सड़क बनाई तो सड़क को जल्द बनाने के चक्कर में ठेकेदार ने ब्लास्टिंग का प्रयोग ज्यादा किया, जिससे जल स्रोत सूखने लगा और अब स्थिति यह है कि गांव के जल स्रोत में एक बंूद पानी भी नहीं आ रहा है।
ये परेशानी अकेले रुद्रप्रयाग के छांतीखाल गांव की नहीं, बल्कि ऐसे सैकड़ों गांव पहाड़ में हैं, जहां प्राकृतिक जल स्रोत किसी न किसी कारण से सूख गये हैं। यही नहीं सरकार की ओर से बनाई गई पेयजल लाइनों के जल स्रोत भी धीरे-धीरे सूख रहे हैं। आंकडो की अगर बात की जाय तो जल संस्थान रुद्रप्रयाग के अन्तर्गत 278 पेयजल योजनाओं के 300 पेयजल स्रोत हैं, जिनमें से 28 स्रोत सूखने के कगार पर हैं। वही स्वजल योजना के भी 1,642 जल स्रोत हैं, जिसमें से करीब दस प्रतिशत स्रोत सूख चुके हैं।
ग्रामीण मीना देवी, ऊषा देवी ने कहा कि जल स्त्रोत सूखने से पानी की समस्या गहरा गई है। सड़क कटिंग के दौरान विभागीय ठेकेदार ने विस्फोटों का अत्यधिक प्रयोग किया, जिससे आज यह समस्या पैदा हो गई है। Conclusion:मामले में डीएम मंगेश घिल्डियाल का कहना है कि इस बार 54 ग्राम पंचायतांे में लोगों की सहभागिता से जल संरक्षण का कार्य करवाया गया है। अगर सड़क निर्माण में विस्फोट करने से जल स्रोत सूख रहे हैं तो इसकी जिम्मेदारी विभाग की ही होगी। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों की पेयजल समस्या को दूर किया जायेगा।
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