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गर्भवती महिलाओं के लिए वरदान बना 'मां' एप

गर्भवती महिलाओं की मॉनिटरिंग के लिए जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग ने अक्टूबर 2018 में मोबाइल एप 'मां' लॉन्च किया था. सवा साल में एप से नियमित मॉनिटरिंग के जरिए 460 हाई रिस्क वाली गर्भवती महिलाओं के सुरक्षित प्रसव कराए गए हैं. ये एप कोरोना काल में भी फायदेमंद साबित हो रहा है.

रुद्रप्रयाग
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Published : Jun 10, 2020, 4:05 PM IST

Updated : Jun 16, 2020, 5:31 PM IST

रुद्रप्रयाग: स्वास्थ्य विभाग गर्भवती महिलाओं के सुरक्षित प्रसव को लेकर गंभीर है. तभी गर्भवती महिलाओं के लिए स्वास्थ्य विभाग ने मोबाइल एप 'मां' लॉन्च किया था. इस एप के जरिए अभीतक 435 सुरक्षित प्रसव कराये जा चुके हैं.

विषम भौगोलिक परिस्थितियों में उत्तराखंड में अकसर देखने को मिलता है कि दूरस्थ क्षेत्रों में गर्भवती महिला समय से हॉस्पिटल नहीं पहुंच पाती है. ऐसे में कई बार उनकी जान को खतरा बना रहता है. कई बार सड़क पर ही बच्चे को जन्म देना पड़ता है. रुद्रप्रयाग जिले की बात करें तो यहां मातृ और शिशु मृत्यु दर देश के अन्य जिलों से काफी कम है. लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में अक्सर असुरक्षा का भाव बना रहता है.

पढ़ें- मेडिकल कॉलेज में लंबे समय से नदारद चल रहे दो डॉक्टर समेत छह कर्मचारी बर्खास्त

ऐसे में गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने मोबाइल एप 'मां' लॉन्च किया था. इस एप से दूरस्थ क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं के साथ ही उनके शिशु की जान बचायी जा सकती है. रुद्रप्रयाग स्वास्थ्य विभाग के दावे के मुताबिक एप लॉन्च होने के बाद जिले में एक भी गर्भवती महिला की मौत नहीं हुई है. कोरोना महामारी में इस एप के जरिए गर्भवती महिलाओं की मॉनिटरिंग हो रही है.

सीएमओ रुद्रप्रयाग डॉ एसके झा ने कहा कि 'मां' एप का मुख्य उद्देश्य दूरस्थ, आपदाग्रस्त और बर्फबारी वाले इलाकों की गर्भवती महिलाओं को सुविधाएं देकर उनका सुरक्षित प्रसव कराया जाना है. 'मां' एप के लॉन्च होने के बाद इन क्षेत्रों में किसी भी गर्भवती महिला की मौत नहीं हुई है. वर्तमान में एप के जरिये 238 महिलाओं की निगरानी की जा रही है. इसमें अगस्त्यमुनि ब्लाॅक से 109, जखोली से 48 व ऊखीमठ से 81 गर्भवती महिलाएं हैं. इनमें 39 महिलाओं का अगले माह प्रसव होना है. ऐसे में स्वास्थ्य महकमा काफी सतर्कता से कार्य कर रहा है.

'मां' एप में गर्भवती महिलाओं के अलावा उनके पति, संबंधित अस्पताल की एएनएम, डाॅक्टर, जिला अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ, सहायक चिकित्सक, स्टाफ नर्स, सीएमओ और जिलाधिकारी को शामिल किया गया है. गर्भवती महिला के पंजीकरण के बाद टीकाकरण के साथ बच्चे की तीसरे, पांचवें व सातवें माह होने वाली जांच रिपोर्ट एप पर जारी की जा रही है.

पढ़ें- तीर्थ पुरोहितों ने केदारनाथ यात्रा शुरू करने का किया विरोध

गर्भ में पल रहे शिशु को दिक्कत होने पर विशेषज्ञों की मदद से इलाज किया जा रहा है. प्रसव की तिथि से एक माह पहले से गर्भवती महिला के परिजनों, आशा, एएनएम और चिकित्सक के मोबाइल पर संदेश जारी होता है.

सीएमओ डाॅ. झा ने बताया कि अक्टूबर 2018 में मोबाइल एप 'मां' लॉन्च किया गया था, जो दूरस्थ इलाकों की गर्भवती महिलाओं के लिए लाभकारी सिद्ध हो रहा है. गर्भवती महिलाओं की एएनएम और आशा कार्यकर्ता की ओर से माॅनिटरिंग की जा रही है. एएनएम को विभाग की ओर से विशेष जांच किट दी गई है, जिसमें वे सभी उपकरण हैं जो गर्भवती महिला की जांच के लिए उपयोग में लाए जाते हैं.

रुद्रप्रयाग: स्वास्थ्य विभाग गर्भवती महिलाओं के सुरक्षित प्रसव को लेकर गंभीर है. तभी गर्भवती महिलाओं के लिए स्वास्थ्य विभाग ने मोबाइल एप 'मां' लॉन्च किया था. इस एप के जरिए अभीतक 435 सुरक्षित प्रसव कराये जा चुके हैं.

विषम भौगोलिक परिस्थितियों में उत्तराखंड में अकसर देखने को मिलता है कि दूरस्थ क्षेत्रों में गर्भवती महिला समय से हॉस्पिटल नहीं पहुंच पाती है. ऐसे में कई बार उनकी जान को खतरा बना रहता है. कई बार सड़क पर ही बच्चे को जन्म देना पड़ता है. रुद्रप्रयाग जिले की बात करें तो यहां मातृ और शिशु मृत्यु दर देश के अन्य जिलों से काफी कम है. लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में अक्सर असुरक्षा का भाव बना रहता है.

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ऐसे में गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने मोबाइल एप 'मां' लॉन्च किया था. इस एप से दूरस्थ क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं के साथ ही उनके शिशु की जान बचायी जा सकती है. रुद्रप्रयाग स्वास्थ्य विभाग के दावे के मुताबिक एप लॉन्च होने के बाद जिले में एक भी गर्भवती महिला की मौत नहीं हुई है. कोरोना महामारी में इस एप के जरिए गर्भवती महिलाओं की मॉनिटरिंग हो रही है.

सीएमओ रुद्रप्रयाग डॉ एसके झा ने कहा कि 'मां' एप का मुख्य उद्देश्य दूरस्थ, आपदाग्रस्त और बर्फबारी वाले इलाकों की गर्भवती महिलाओं को सुविधाएं देकर उनका सुरक्षित प्रसव कराया जाना है. 'मां' एप के लॉन्च होने के बाद इन क्षेत्रों में किसी भी गर्भवती महिला की मौत नहीं हुई है. वर्तमान में एप के जरिये 238 महिलाओं की निगरानी की जा रही है. इसमें अगस्त्यमुनि ब्लाॅक से 109, जखोली से 48 व ऊखीमठ से 81 गर्भवती महिलाएं हैं. इनमें 39 महिलाओं का अगले माह प्रसव होना है. ऐसे में स्वास्थ्य महकमा काफी सतर्कता से कार्य कर रहा है.

'मां' एप में गर्भवती महिलाओं के अलावा उनके पति, संबंधित अस्पताल की एएनएम, डाॅक्टर, जिला अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ, सहायक चिकित्सक, स्टाफ नर्स, सीएमओ और जिलाधिकारी को शामिल किया गया है. गर्भवती महिला के पंजीकरण के बाद टीकाकरण के साथ बच्चे की तीसरे, पांचवें व सातवें माह होने वाली जांच रिपोर्ट एप पर जारी की जा रही है.

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गर्भ में पल रहे शिशु को दिक्कत होने पर विशेषज्ञों की मदद से इलाज किया जा रहा है. प्रसव की तिथि से एक माह पहले से गर्भवती महिला के परिजनों, आशा, एएनएम और चिकित्सक के मोबाइल पर संदेश जारी होता है.

सीएमओ डाॅ. झा ने बताया कि अक्टूबर 2018 में मोबाइल एप 'मां' लॉन्च किया गया था, जो दूरस्थ इलाकों की गर्भवती महिलाओं के लिए लाभकारी सिद्ध हो रहा है. गर्भवती महिलाओं की एएनएम और आशा कार्यकर्ता की ओर से माॅनिटरिंग की जा रही है. एएनएम को विभाग की ओर से विशेष जांच किट दी गई है, जिसमें वे सभी उपकरण हैं जो गर्भवती महिला की जांच के लिए उपयोग में लाए जाते हैं.

Last Updated : Jun 16, 2020, 5:31 PM IST
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