रुद्रप्रयाग: भगवान केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्णमंडित करने वाले प्रकरण में केदारनाथ के पूर्व विधायक मनोज रावत के नेतृत्व में सात सदस्यीय दल ने मंदिर के गर्भ गृह का निरीक्षण किया. वहीं, वापस लौटने के बाद बीकेटीसी और सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सभी लोग इस घटनाक्रम से चिंतित हैं और गहराई से स्वतंत्र और उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं.
केदारनाथ से लौटने के बाद पूर्व विधायक मनोज रावत ने रुद्रप्रयाग स्थित ज्वाल्पा पैलेस में प्रेस वार्ता की. इस दौरान उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की बाबा केदार में बहुत आस्था है. उन्होंने ही 2013 की आपदा के बाद केदारनाथ यात्रा को यात्रा योग्य बनाया और केदारपुरी का पुनर्निर्माण किया, इसलिए पूर्व सीएम के निर्देशों पर केदारनाथ जाकर वस्तुस्थिति की जानकारी ली गई.
मनोज रावत ने कहा कि गर्भ गृह में कथित सोना रंगत खो रहा है. केदार ज्योर्तिलिंग के साथ लगी झलेरी चांदी के रंग में बदल रही हैं. झलेरी के बाहर लगी प्लेटें, जिनके ऊपर अब प्लास्टिक की शीट लगा दी गई है, वह जिन स्थानों पर कम घिसी है, वहां पीतल के रंग की है. जिन स्थानों पर अधिक घिस गई है, उन स्थानों पर तांबे के रंग की हो गई हैं. उन्होंने कहा कि दीवारों पर भी खुरचने पर कथित रूप से लगी सोने की प्लेटों से सोना खुरच कर झड़ रहा है. कई स्थानों पर वह झड़ चुका है. कथित रूप से लगी सोने की प्लेटों को जोड़ने का काम बहुत ही निम्न स्तरीय है और डिजाइन में कहीं भी मेल नहीं खा रहा है.
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उन्होंने कहा कि केदारसभा का कहना था कि सोने की मात्रा का संदेह मंदिर समिति के कार्यकलापों से ही उठा है. अगर मंदिर समिति सोना लगाते समय ही लगाई जाने वाली धातु और उसे लगाए जाने की पद्धति को सार्वजनिक रूप से बता देती, तो आम लोगों में कोई शंका नहीं रहती. केदार घाटी के विभिन्न संगठन और प्रबुद्धजनों का मानना था कि अभी भी इस घटना के संबध में दो प्रेस नोट बदरीनाथ केदारनाथ समिति ने जारी किए हैं. सभी का मानना है कि बीकेटीसी अध्यक्ष के स्थान पर पूरी समिति को सामने आकर कथित रूप से स्वर्ण मंडित करने के प्रस्ताव से लेकर उस पर मंदिर समिति का निर्णय, सोने की मात्रा, उसकी सत्यता, शुद्धता और विभिन्न तथ्यों को समिति के अभिलेखों के साथ सार्वजनिक करना चाहिए.
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