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रुद्रप्रयाग के जंगलों में धधक रही आग, कलक्ट्रेट भवन तक पहुंची लपटें

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Published : May 29, 2019, 5:52 PM IST

रुद्रप्रयाग के जंगलों में आग हुई बेकाबू. ग्रामीण और शहरी इलकों तक पहुंचने लगी आग की लपटें. वनाग्नि के धुएं की वजह से लोग हो रहे बीमार.

रुद्रप्रयाग के जंगलों में धधक रही आग.

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग दिनों-दिन भड़कती जा रही है. चारों ओर धुंध ही धुंध है. रुद्रप्रयाग के जखोली, अगस्त्यमुनि व ऊखीमठ विकासखंड के जंगलों में लगी आग ग्रामीणों की दहलीज से शहरी इलाकों तक पहुंच गई है. कलक्ट्रेट भवन, पुलिस अधीक्षक आवास के साथ ही आसपास बने आवासीय भवन तक भी ये आग की लपटें पहुंच गई हैं. बावजूद वन महकमा कोई कदम नहीं उठा रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग को सूचना देने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. जिले की कई हेक्टेयर वन संपदा राख हो चुकी है, जबकि जंगली जानवरों के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.

रुद्रप्रयाग के जंगलों में धधक रही आग.

आग के धुएं से चारों ओर कोहरा सा बना हुआ है. इसके कारण लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. चारों ओर फैली धुंध से दोपहर तक मौसम नहीं खुल रहा है. इस वजह से देश-विदेश से आने वाले तीर्थयात्रियों को सफर करने और सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जिला अस्पताल के साथ ही अन्य स्वास्थ्य केन्द्रों में ओपीडी की संख्या भी बढ़ गयी है.

पढ़ें- 30 मई को घोषित होंगे उत्तराखंड बोर्ड के परिणाम, यहां देखें रिजल्ट

ग्रामीणों के सामने चारापत्ती की समस्या भी खड़ी हो गई है. इसके अलावा बढ़ती आग और तपिश की वजह से प्राकृतिक जल स्त्रोत भी सूखने के कगार पर हैं. ग्रामीण खुद आग बुझाने की कोशिश में लगे हुए हैं, लेकिन पारे में उछाल और गर्म हवाओं की वजह से आग और ज्यादा बढ़ रही है. लोगों का कहना है कि ग्रामीण बिना संसाधनों के आग पर काबू पाने में नाकाम साबित हो रहे हैं, दूसरी ओर वन महकमा संसाधन होने के बाद भी उसका उपयोग नहीं कर रहा है.

सरकार में वन पंचायत के अध्यक्ष (राज्य मंत्री) बीरेन्द्र बिष्ट का कहना है कि आग को बुझाने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि वन महकमे के पास संसाधनों की कमी है, जिसे दूर करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि अधिकारी व कर्मचारी आग को बुझाने के प्रयास में जुटे हुए हैं. घरों तक आग न पहुंचे और मवेशियों को कोई नुकसान न हो, इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.

पढ़ें- बाइक पर ट्रिपलिंग पर जा रहे युवकों को अज्ञात वाहन ने मारी टक्कर, दो की दर्दनाक मौत

वहीं, जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल का कहना है कि शासन स्तर से निर्देश हैं कि आग की घटना को आपदा की घटना की तरह लिया जाये. जिला का पूरा तंत्र फॉरेस्ट फायर की घटनाओं को रोकने में लगा हुआ है. वन विभाग ने आगजनी से निपटने के लिए कंट्रोल रूम भी बनाये हैं. वृहद स्तर पर आग की घटना होने पर वन विभाग की ओर से मांग करने पर जिला आपदा प्रबंधन विभाग भी मदद करेगा. लेकिन, अबतक वन विभाग की ओर से कोई मांग नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि आग की घटनाओं पर नजर रखी जा रही है और तुरंत मामलों की सूचना वन महकमे तक पहुंचाई जाती है.

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग दिनों-दिन भड़कती जा रही है. चारों ओर धुंध ही धुंध है. रुद्रप्रयाग के जखोली, अगस्त्यमुनि व ऊखीमठ विकासखंड के जंगलों में लगी आग ग्रामीणों की दहलीज से शहरी इलाकों तक पहुंच गई है. कलक्ट्रेट भवन, पुलिस अधीक्षक आवास के साथ ही आसपास बने आवासीय भवन तक भी ये आग की लपटें पहुंच गई हैं. बावजूद वन महकमा कोई कदम नहीं उठा रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग को सूचना देने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. जिले की कई हेक्टेयर वन संपदा राख हो चुकी है, जबकि जंगली जानवरों के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.

रुद्रप्रयाग के जंगलों में धधक रही आग.

आग के धुएं से चारों ओर कोहरा सा बना हुआ है. इसके कारण लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. चारों ओर फैली धुंध से दोपहर तक मौसम नहीं खुल रहा है. इस वजह से देश-विदेश से आने वाले तीर्थयात्रियों को सफर करने और सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जिला अस्पताल के साथ ही अन्य स्वास्थ्य केन्द्रों में ओपीडी की संख्या भी बढ़ गयी है.

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ग्रामीणों के सामने चारापत्ती की समस्या भी खड़ी हो गई है. इसके अलावा बढ़ती आग और तपिश की वजह से प्राकृतिक जल स्त्रोत भी सूखने के कगार पर हैं. ग्रामीण खुद आग बुझाने की कोशिश में लगे हुए हैं, लेकिन पारे में उछाल और गर्म हवाओं की वजह से आग और ज्यादा बढ़ रही है. लोगों का कहना है कि ग्रामीण बिना संसाधनों के आग पर काबू पाने में नाकाम साबित हो रहे हैं, दूसरी ओर वन महकमा संसाधन होने के बाद भी उसका उपयोग नहीं कर रहा है.

सरकार में वन पंचायत के अध्यक्ष (राज्य मंत्री) बीरेन्द्र बिष्ट का कहना है कि आग को बुझाने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि वन महकमे के पास संसाधनों की कमी है, जिसे दूर करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि अधिकारी व कर्मचारी आग को बुझाने के प्रयास में जुटे हुए हैं. घरों तक आग न पहुंचे और मवेशियों को कोई नुकसान न हो, इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.

पढ़ें- बाइक पर ट्रिपलिंग पर जा रहे युवकों को अज्ञात वाहन ने मारी टक्कर, दो की दर्दनाक मौत

वहीं, जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल का कहना है कि शासन स्तर से निर्देश हैं कि आग की घटना को आपदा की घटना की तरह लिया जाये. जिला का पूरा तंत्र फॉरेस्ट फायर की घटनाओं को रोकने में लगा हुआ है. वन विभाग ने आगजनी से निपटने के लिए कंट्रोल रूम भी बनाये हैं. वृहद स्तर पर आग की घटना होने पर वन विभाग की ओर से मांग करने पर जिला आपदा प्रबंधन विभाग भी मदद करेगा. लेकिन, अबतक वन विभाग की ओर से कोई मांग नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि आग की घटनाओं पर नजर रखी जा रही है और तुरंत मामलों की सूचना वन महकमे तक पहुंचाई जाती है.

धूं-धूं कर जल रहे हैं जंगल, सोया है वन महकमा
देवभूमि में आग की घटनाओं से मनुष्य, मवेशी और जंगली जानवर परेशान
तीर्थयात्रियों पर पड़ रहा जंगलों की आग का असर
दोपहर तक भी नहीं खुल रहा मौसम, आग के धंुए से चारों ओर फैल रहा कोहरा
जिला चिकित्सालय सहित स्वास्थ्य केन्द्रों में मरीजों की संख्या बढ़ी
आंख की जलन और सांस लेने में हो रही हैं दिक्कतें
उत्तराखण्ड डेस्क
स्लग - आग से परेशानी
रिपोर्ट - रोहित डिमरी/29 मई 2019/रुद्रप्रयाग/एवीबीबी
एंकर -  रुद्रप्रयाग जनपद के जंगल धधक रहे हैं। चारों ओर धुंध ही धुंध फैली हुई है। धुंध के कारण लोगों के आंखों में जलन की शिकायत आ रही है। यहां तक कि सांस लेने में भी दिक्कतें हो रही है। जिला अस्पताल के साथ ही अन्य स्वास्थ्य केन्द्रों में ओपीडी की संख्या भी बढ़ गयी है और वन महकमा है कि चैन की नींद सोया हुआ है। जंगलों में लगी आग का असर तीर्थयात्रियों पर भी पड़ रहा है। चारों ओर फैली धुंध के कारण दोपहर तक भी मौसम नहीं खुल पा रहा है, जिस कारण देश-विदेश से आने वाले तीर्थयात्रियों को सफर करना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में वे देवभूमि से अच्छा संदेश लेकर नहीं जा रहे हैं। पेश है खास रिपोर्ट -
वीओ -1- इन दिनांे रुद्रप्रयाग जनपद के जखोली, अगस्त्यमुनि व ऊखीमठ विकासखण्ड के जंगल धूूं-धूं कर जल रहे हैं। आग के कारण चारों ओर धुंआ ही धुंआ दिखाई दे रहा है। जंगलों में लगी आग शहरी इलाकों से ग्रामीणों की दहलीज तक पहुंच गई है। कलक्ट्रेट भवन, पुलिस अधीक्षक आवास के साथ ही आस पास बने आवासीय भवनों तक आग की लपटे आ चुकी हैं और आग से धुंआ फैला हुआ है, बावजूद इसके वन महकमा कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है। वन विभाग को सूचना देने पर भी कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है। वन विभाग के अधिकारियों से लेकर कर्मचारी वनों को जलते हुए देख रहे हैं, लेकिन बुझाने का प्रयास नहीं किया जा रहा है। जिले की कई हेक्टेयर वन सम्पदा राख हो चुकी है, जबकि जंगली जानवरों का अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। ग्रामीणों के सामने चारापत्ती की समस्या भी खड़ी हो गई है तो प्राकृतिक जल स्त्रोत भी सूखने के कगार पर हैं। इन सब चीजों के बावजूद आग को बुझाने के प्रयास नहीं किये जा रहे हैं। ग्रामीण जनता स्वयं ही आग बुझाने में लगी हुई है, मगर बिना संसाधनों के आग पर काबू पाया जाना मुश्किल है। वन महकमे के पास संसाधन तो हैं, लेकिन वे संसाधन उपयोग में नहीं लाये जा रहे हैं।
सरकार में वन पंचायत के अध्यक्ष (राज्य मंत्री) बीरेन्द्र बिष्ट का कहना है कि आग को बुझाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने माना कि वन महकमे के पास संसाधनों की कमी है। उन कमियों को दूर करने के प्रयास किये जा रहे हैं। अधिकारियों का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि अधिकारी व कर्मचारी आग को बुझाने के प्रयास में जुटे हुए हैं। घरों तक आग न पहुंचे और मवेशियों को कोई नुकसान न हो, इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, लेकिन राज्यमंत्री जी का यह बयान जनता की समझ से परे लग रहा है।
बाइट - बीरेन्द्र बिष्ट, राज्यमंत्री
वीओ -2- जंगलों में लग रही आग से शहरी एवं ग्रामीण इलाकों की जनता के साथ ही तीर्थयात्रियों को भी भारी परेशानी हो रही है। जिला अस्पताल के साथ ही अन्य स्वास्थ्य केन्द्रों में मरीजों की संख्या बढ़ रही है। सबसे अधिक मरीज आंखों में जलन और सांस लेने की समस्या को बता रहे हैं। घर के बाहर आने पर आंखों में जलन होने से आंखे लाल हो रही है। यह सबकुछ वनों में लग रही आग के कारण हो रहा है। जंगलों की आग ने लोगों को बीमार कर दिया है। जिला अस्पताल में ओपीडी की संख्या बढ़ने से वार्डों की कमी पड़ गई है। मरीजों को भर्ती करने के लिए जगह नहीं है। स्वस्थ लोग बीमार पड़ रहे हैं। इसके अलावा जंगलों में लगी आग का असर तीर्थयात्रियों पर भी पड़ रहा है। चारों ओर फैली धुंध के कारण दोपहर तक भी मौसम नहीं खुल पा रहा है, जिस कारण देश-विदेश से आने वाले तीर्थयात्रियों को सफर करना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में वे देवभूमि से अच्छा संदेश लेकर नहीं जा रहे हैं।
बाइट - दीपक सिलोड़ी, मरीज
बाइट - डाॅ दिग्विजय रावत, चिकित्सक
वीओ -3- वहीं जिलाधिकारी का कहना है कि शासन स्तर से निर्देश हैं कि आग की घटना को आपदा की घटना की तरह लिया जाय। जिला का पूरा तंत्र आग की घटना पर कार्य करेगा। शुरूआती आग की घटनाओं में वन विभाग ने कंट्रोल रूम लगाया है। वृहद स्तर पर आग की घटना होने पर वन विभाग की ओर से मांग करने पर जिला आपदा प्रबंधन विभाग भी कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि आग की घटनाओं पर नजर रखी जा रही है और त्वरित गति से सूचना वन महकमे तक पहुंचाई जा रही है।
बाइट- मंगेश घिल्डियाल, जिलाधिकारी
वीओ फाइनल- बहरहाल, कुल मिलाकर देखा जाय वनाग्नि की घटना को लेकर वन महकमा किसी भी स्तर से सजग नहीं दिखाई दे रहा है। जंगलों में लगी आग से मनुष्य से लेकर मवेशी और जंगली जानवर परेशान हैं। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु भी आग की समस्या से जूझ रहे है। ऐसे में समय रहते आग पर काबू नहीं पाया गया तो वो दिन दूर नहीं जब जंगलों की आग से शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में हाहाकार मचना शुरू हो जायेगा।  
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