ETV Bharat / state

केदारघाटी में बर्फबारी और बारिश न होने से किसान चिंतित - ग्लोबल वार्मिंग की समस्या

दिसंबर के आखिरी सप्ताह में केदारघाटी में बर्फबारी और बारिश नहीं होने से किसान और पर्यावरणविद् चिंतित है. काश्तकारों की फसले समाप्ति की कगार पर है. गेहूं, जौ, सरसो, मटर की फसल सहित सब्जी उत्पादन में खासा असर देखने को मिल रहा है.

Kedar Valley in the grip of cold wave
बर्फबारी और बारिश नहीं होने से किसान चिंतित
author img

By

Published : Dec 25, 2021, 10:37 PM IST

रुद्रप्रयाग: केदारघाटी के हिमालयी क्षेत्रों में मौसम के अनुकूल बर्फबारी और निचले क्षेत्रों में बारिश न होने से पर्यावरणविद् खासे चिंतित हैं. दिसंबर माह में बर्फबारी से लदा रहने वाला भूभाग बर्फ विहीन होना भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है. वहीं, निचले क्षेत्रों में बारिश न होने से काश्तकारों की चिंतायें बढ़ती जा रही है.

केदारघाटी में मौसम के बार-बार करवट लेने से संपूर्ण केदारघाटी शीतलहर की चपेट में है, जिससे लोगों की दिनचर्या खासी प्रभावित हो रही है. आने वाले दिनों में यदि मौसम का मिजाज इसी प्रकार रहा तो बर्फबारी का आनंद लेने वाले सैलानियों की संख्या में गिरावट आ सकती है. जिससे पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित हो सकता है.

बीते एक दशक पूर्व की बात करें तो केदारघाटी का हिमालयी क्षेत्र सहित सीमांत भूभाग दिसंबर माह में बर्फबारी से लकदक रहने से मानव और प्रकृति में नयी ऊर्जा का संचार होने लगता था. फसलों को प्राप्त पानी मिलने से उपज में खासी वृद्धि होने के साथ प्राकृतिक जल स्रोतों में भी वृद्धि होने के आसार बने रहते थे. इस बार दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह में भी मौसम के अनुकूल बर्फबारी और बारिश न होने से पर्यावरणविद् चिंतित हैं.

ये भी पढ़ें: रैबार उत्तराखंड कार्यक्रम में शामिल हुए सीएम पुष्कर धामी, नौकरियों को लेकर कही ये बात

पर्यावरणविद् हर्ष जमलोकी का कहना है प्रकृति के साथ निरंतर हस्तक्षेप करने से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या लगातार बढ़ रही है. जिसकी वजह से मौसम के अनुकूल बर्फबारी और बारिश नहीं हो रही है. दिसंबर माह में हिमालय क्षेत्र का बर्फबारी विहीन होना भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है.

मदमहेश्वर घाटी विकास मंच के अध्यक्ष मदन भट्ट का कहना है कि क्षेत्र में बर्फबारी और बारिश नहीं होने से केदारघाटी शीतलहर की चपेट में है. काश्तकारों की फसले समाप्ति की कगार पर है. काश्तकारों की गेहूं, जौ, सरसो, मटर की फसल सहित सब्जी उत्पादन में खासा असर देखने को मिल रहा है.

रुद्रप्रयाग: केदारघाटी के हिमालयी क्षेत्रों में मौसम के अनुकूल बर्फबारी और निचले क्षेत्रों में बारिश न होने से पर्यावरणविद् खासे चिंतित हैं. दिसंबर माह में बर्फबारी से लदा रहने वाला भूभाग बर्फ विहीन होना भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है. वहीं, निचले क्षेत्रों में बारिश न होने से काश्तकारों की चिंतायें बढ़ती जा रही है.

केदारघाटी में मौसम के बार-बार करवट लेने से संपूर्ण केदारघाटी शीतलहर की चपेट में है, जिससे लोगों की दिनचर्या खासी प्रभावित हो रही है. आने वाले दिनों में यदि मौसम का मिजाज इसी प्रकार रहा तो बर्फबारी का आनंद लेने वाले सैलानियों की संख्या में गिरावट आ सकती है. जिससे पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित हो सकता है.

बीते एक दशक पूर्व की बात करें तो केदारघाटी का हिमालयी क्षेत्र सहित सीमांत भूभाग दिसंबर माह में बर्फबारी से लकदक रहने से मानव और प्रकृति में नयी ऊर्जा का संचार होने लगता था. फसलों को प्राप्त पानी मिलने से उपज में खासी वृद्धि होने के साथ प्राकृतिक जल स्रोतों में भी वृद्धि होने के आसार बने रहते थे. इस बार दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह में भी मौसम के अनुकूल बर्फबारी और बारिश न होने से पर्यावरणविद् चिंतित हैं.

ये भी पढ़ें: रैबार उत्तराखंड कार्यक्रम में शामिल हुए सीएम पुष्कर धामी, नौकरियों को लेकर कही ये बात

पर्यावरणविद् हर्ष जमलोकी का कहना है प्रकृति के साथ निरंतर हस्तक्षेप करने से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या लगातार बढ़ रही है. जिसकी वजह से मौसम के अनुकूल बर्फबारी और बारिश नहीं हो रही है. दिसंबर माह में हिमालय क्षेत्र का बर्फबारी विहीन होना भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है.

मदमहेश्वर घाटी विकास मंच के अध्यक्ष मदन भट्ट का कहना है कि क्षेत्र में बर्फबारी और बारिश नहीं होने से केदारघाटी शीतलहर की चपेट में है. काश्तकारों की फसले समाप्ति की कगार पर है. काश्तकारों की गेहूं, जौ, सरसो, मटर की फसल सहित सब्जी उत्पादन में खासा असर देखने को मिल रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.