रुद्रप्रयाग: प्रदेश में माल्टा फल के विपणन की कोई नीति नहीं होने के कारण काश्तकार की माल्टा फसल बंदर और पक्षी नष्ट कर रहे हैं. सरकार ने सी ग्रेड का समर्थन मूल्य 9₹ किलो घोषित किया है. जिसमें फल की तुड़ाई भी संभव नहीं है. ऐसे में सरकार से नाराज काश्तकार अब अपने बगीचे के माल्टे के पेड़ों को काटने की सोचने लगे हैं और वो इस संबंध में सरकार से अनुमति चाहते हैं. वहीं, अगर उन्हें अनुमति नहीं दी जाती है, तो माल्टा का समर्थन मूल्य बढ़ाया जाए.
क्या है माल्टा फल: माल्टा फल देखने में संतरे की तरह होता है. इसका रंग गहरा पीला और नारंगी होता है. प्रतिदिन इसका सेवन करने से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. साथ ही माल्टा के छिलके का पाउडर त्वचा को निखारने का काम करते हैं. माल्टा विटामिन सी से भरपूर होता है.
माल्टा के पेड़ काटने की सोच रहे काश्तकार: माल्टा उत्पादन करने वाले अजीत सिंह कंडारी ने बताया कि उद्यान विभाग की योजना से कुछ वर्ष पूर्व 200 पेड़ माल्टा के लगाए थे, जो अब फल देने लगे हैं. वर्तमान में उनके पास 40 से 50 क्विंटल तक अच्छी गुणवत्ता का माल्टा तैयार है, लेकिन सही मूल्य न मिलने से माल्टा फल पेड़ों पर ही लगा है. उन्होंने कहा कि पिछले दो तीन वर्षों से उनकी माल्टा की फसल बिना बिके ही रह गई थी. ऐसे में उन्होंने उस समय भी सरकार से पेड़ काटने की अनुमति मांगी थी, लेकिन तत्कालीन केदारनाथ विधायक मनोज रावत के आश्वासन के बाद उन्होंने अपनी मांग वापस ली थी.
सरकार के समर्थन मूल्य से काश्तकार नाखुश: अजीत सिंह कंडारी ने बताया कि सरकार द्वारा केवल सी ग्रेड के माल्टा का ही समर्थन मूल्य घोषित किया गया है. वह भी मात्र 9 रुपये प्रति किलोग्राम. उनके पास ए और बी ग्रेड का माल्टा उपलब्ध है. ऐसे ही कई काश्तकार और होंगे जिनके पास ए और बी ग्रेड का माल्टा होगा, लेकिन वह भी सी ग्रेड के ही भाव बिक रहा है. ऐसे में काश्तकारों को उसकी लागत भी नहीं मिल पा रही है. उन्होंने कहा कि इससे बेहतर है कि वह अपने माल्टे को खेत में ही सड़ने दें और माल्टे के सभी पेड़ों को काटकर कुछ नया करें.
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काश्कारों ने पल्ला झाड़ने का लगाया आरोप: काश्तकार अजीत सिंह कंडारी ने बताया कि पहाड़ में एक माल्टा ही ऐसा फल है, जिसका न केवल फल बल्कि बीज और छिलका भी काम आता है. ये काश्तकार की आर्थिकी में मददगार साबित हो सकता है, लेकिन सरकार सी ग्रेड के माल्टा का जूश, जैम, जैली, कैंडी और रसना पाउडर के रूप में उपयोग करने की बजाय जूस फैक्ट्री को देकर अपना पल्ला झाड़ रही है. जिसकी आड़ में जूस फैक्ट्री वाले सस्ता माल्टा खरीदकर किसानों को लूट रहे हैं. ए और बी ग्रेड के माल्टा का समर्थन मूल्य न देकर सरकार पहाड़ और काश्तकार का मजाक उड़ा रही है.
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