रुद्रप्रयाग: जिला प्रशासन एवं दुग्ध विकास विभाग के सहयोग और मार्गदर्शन में तीनों विकास खंडों में प्रतिवर्ष नए पशुपालक दुधारू पशुओं की खरीद कर अपनी आजीविका में सुधार ला रहे हैं. नेशनल कोऑपरेटिव डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनसीडीसी) योजना के तहत डेयरी विकास विभाग पशुपालकों को डेयरी व्यवसाय से जोड़ रहा है. साथ ही उनको आधुनिक तकनीक और उपकरणों की जानकारी समेत ट्रेनिंग भी दी जा रही है. मौजूदा समय में जिले में विभिन्न महिला समूह एवं पशुपालक मिलकर प्रतिदिन 15 हजार लीटर से ज्यादा दूध उत्पादन कर बेच रहे हैं.
रोजाना करीब 200 लीटर दूध उत्पादन कर रहे संदीप: अगस्त्यमुनि ब्लाॅक के हाट गांव के संदीप गोस्वामी पिछले पांच सालों से दुग्ध व्यवसाय में हैं. संदीप ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद स्वरोजगार को अपने कैरियर के तौर पर अपनाया. उन्होंने कई व्यवसायों के बाद दुग्ध उत्पादन को ही प्राथमिकता देना तय किया और दुग्ध विकास विभाग से संपर्क कर सभी योजनाओं की जानकारी ली. विभाग ने उन्हें योजनाओं की जानकारी देते हुए मवेशी खरीद और गौशाला निर्माण में उनकी मदद की. उन्होंने शुरुआत में दो गाय से अपना काम शुरू किया था. आज उनके पास 14 मवेशी हैं, जिनमें उच्च नस्ल की गायें शामिल हैं, जो दिन में 25 से 30 लीटर दूध देती हैं. संदीप प्रति महीने करीब 8500 लीटर दुग्ध उत्पादन कर तीन लाख रूपये से ज्यादा की कमाई कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने अपने व्यवसाय के जरिए 10 लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कराया है.
संघर्ष कर गीता देवी ने पाई सफलता: हाट गांव निवासी गीता देवी बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हैं. परिवार की आर्थिक स्थिति नाजुक थी. ऐसे में उन्होंने परिवार के भरण पोषण के लिए दुग्ध व्यापार का रास्ता चुना. संदीप गोस्वामी ने भी उनकी मदद कर उन्हें दुग्ध विकास विभाग की योजनाओं की जानकारी देते हुए व्यापार स्थापित करने में मदद की. शुरुआत में उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन समय के साथ काम की बारीकियों को समझते हुए उन्होंने संघर्ष जारी रखा. वर्तमान में गीता देवी के पास सात मवेशी हैं. वह महीने में करीब 3500 लीटर दूध का उत्पादन कर बेच रही हैं. जिससे उन्हें महीने में डेढ़ लाख से ज्यादा की कमाई हो रही है.
अजय कपरवाण को डेयरी से मिली स्वरोजगार की राह: कोरोना काल में रोजगार छिन जाने के बाद ग्वाड- पुनाड़ निवासी अजय कपरवाण लंबे समय तक बेरोजगारी से जूझते रहे. इसी बीच उन्हें दुग्ध विकास विभाग की एनसीडीसी योजना की जानकारी प्राप्त हुई. इसके बाद उन्होंने विभाग में संपर्क कर योजना की पूर्ण जानकारी जुटाई. उन्होंने विभाग के मार्गदर्शन में पांच मवेशी खरीद कर अपना व्यवसाय स्थापित किया. पहले महीने से ही दूध का उत्पादन अच्छा होने लगा और डेयरी विभाग ने ही करीब 60 लीटर दूध उनसे खरीदना शुरू कर दिया. इसके बाद उन्होंने तीन और गाय खरीद कर अपने व्यापार का विस्तार किया. वर्तमान समय में उनके पास आठ गाय हैं. वह महीनें में करीब 3500 लीटर दूध उत्पादन कर बेच रही हैं, जिससे उन्हें महीनें में डेढ़ लाख से ज्यादा की कमाई हो रही है.
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जिले में रोज हो रहा 15 हजार लीटर दुग्ध उत्पादन: दुग्ध विकास विभाग के वरिष्ठ प्रबंधक एसके शर्मा ने बताया कि नेशनल कोऑपरेटिव डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनसीडीसी) योजना के तहत डेयरी विकास विभाग पुशपालकों को मवेशी खरीदने और उनका व्यवसाय स्थापित करने में पूरी मदद कर रहा है. विभाग समय-समय पर पशुपालकों को डेयरी से जुड़े प्रशिक्षण भी दे रहा है. जिससे पशुपालक वैज्ञानिक विधि से पशुओं की देखभाल कर सकें. जिले में कई नए डेयरी व्यवसाय भी स्थापित हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि जनपद में वर्तमान में 15 हजार लीटर दुग्ध उत्पादन प्रतिदिन होता है, जबकि करीब 10 हजार लीटर दूध बाहर से आ रहा है. ऐसे में यह स्पष्ट है कि जनपद में इस क्षेत्र में बहुत लोग स्वरोजगार कर सकते हैं.
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