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Kedarnath Helicopter Crash: हेली कंपनियों के आगे 'सरकार' बेबस क्यों?

केदार घाटी में जिस तरह से हेली कंपनियों की मनमानी चल रही है, उसके खिलाफ संबंधित विभागों का कोई अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है. न तो हेली कंपनियों पर कोई कार्रवाई की जा रही है. और न ही तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए सरकार कोई ठोस कदम उठा रही है. नतीजा आप सबके सामने है. आखिर सरकार और अधिकारी हमेशा की तरह इस बार भी जांच के नाम पर लीपापोती करने में लगे हुए हैं.

Kedarnath Helicopter Crash
Kedarnath Helicopter Crash
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Published : Oct 18, 2022, 6:07 PM IST

रुद्रप्रयाग: केदारनाथ धाम में निजी कंपनी के हेलीकॉप्टर क्रैश होने को एक बार फिर हेली सेवाओं की मनमानी, डीजीसीए और एनजीटी के मानकों की अनदेखी से जोड़कर देखा जा रहा है. केदारनाथ धाम के लिए के लिए संचालित कोई भी हवाई सेवा एनजीटी और डीजीसीए के मानकों पर खरा नहीं उतर पा रही है. कई बार भारतीय वन्यजीव संस्था ने इनके विरुद्ध जांच के आदेश भी दिए गए हैं, बावजूद इसके अभी तक किसी भी कंपनी के खिलाफ कोई भी कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है.

मई में हुई घटना से नहीं लिया सबक: इससे पहले 31 मई को भी खराब मौसम के चलते एक निजी कंपनी के हेलीकॉप्टर ने इमरजेंसी लैंडिंग की थी, जो काफी भयावह थी. हालांकि इस घटना से किसी भी यात्री को चोट नहीं पहुंची थी. इस घटना को नजरअंदाज करने का नतीजा ये है कि आज केदारनाथ में एक हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया और इसमें पायलट समेत सात लोगों की मौत हो गई.

Kedarnath Helicopter Crash
चारों ओर फैला पड़ा हेलीकॉप्टर का मलबा.
पढ़ें- BIG NEWS: केदारनाथ के पास गरुड़चट्टी में हेलीकॉप्टर क्रैश, पायलट समेत 7 लोगों की मौत

क्या है मानक: मानकों के अनुसार प्रत्येक हेलीकॉप्टर को मंदाकिनी नदी के तट से 600 मीटर ऊपर उड़ने की अनुमति है, क्योंकि मंदाकिनी के ऊपर केदारनाथ धाम तक हवाई मार्ग बेहद संकीर्ण है, जिसमें एक बार केवल दो ही हेलीकॉप्टर आवाजाही कर सकते हैं. मगर कई बार इस संकीर्ण मार्ग से तीन-तीन हेलीकॉप्टर भी आवाजाही करते देखे गए हैं.

Kedarnath Helicopter Crash
हेलीकॉप्टर क्रैश के बाद मौक पर पहुंची रेस्क्यू टीम.

कई बार तो हेलीकॉप्टर शाम के धुंधले अंधेरे में भी तीर्थ यात्रियों की जान की परवाह न करते हुए आवाजाही कर रहे हैं. केवल मुट्ठी भर पैसों के लिए तीर्थ यात्रियों की जान को भी जोखिम में डाल रहे हैं. गत वर्ष तो नारायणकोटि स्थित आर्यन एवियशन क्षतिग्रस्त हेलीपैड से अपनी सेवाएं दे रहा था. प्रशासन को अवगत कराने के बाद भी उक्त हेली कंपनी के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई.
पढ़ें- खराब मौसम में क्यों उड़ा हेलीकॉप्टर? जांच के आदेश जारी, अस्थायी तौर पर हेली सर्विस रोकी गई

4 सवारी से ज्यादा नहीं ले जा सकते: मानकों के अनुसार एक हेलीकॉप्टर एक बार में 4 सवारियों को ही ले जा सकता है और कॉकपिट में पायलट और को-पायलट का होना नितांत जरूरी है, लेकिन अधिक पैसे कमाने की होड़ में ये हेली सेवाएं 6 के साथ ही कभी-कभार 7 यात्रियों को भी उड़ा रही हैं, जबकि केदारनाथ धाम में संचालित सभी हेलीकॉप्टर सिंगल इंजन वाले हैं.

Kedarnath Helicopter Crash
घटनास्थल की तस्वीर.

बड़ी लापरवाही: केदारघाटी में निर्मित कई हेलीपैड के निकट 30 मीटर के फासले पर गौशाला या आवासीय भवन बने हुए हैं, जो कि डीजीसीए के मानकों के अनुरूप नहीं है. प्रतिदिन की शटल साउंड और ऊंचाई की रिपोर्ट केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग को भेजी जाती है, लेकिन प्रभाग को भी ज्ञात है कि कोई भी हेली सेवा ऊंचाई और ध्वनि को मेंटेन नहीं रख पा रही है. बावजूद इसके इनके विरुद्ध कभी भी कार्रवाई नहीं होती है.

क्या है मजबूरी?: केदारघाटी में जिस तरह से हेली कंपनियों की मनमानी चल रही है कि उसके दो ही कारण सामने आते है कि एक या तो मालिकों के रसूख के सामने वन्य जीव प्रभाग, शासन और प्रशासन घुटने टेक चुका है या फिर भारी भरकम कमीशन ने अधिकारियों के हाथ बांध दिए हैं. जिस कारण केदार घाटी में लगातार हो रहे हादसों के बाद भी कोई सबक लेने को तैयार नहीं है.

वन्यजीवों का पलायन: ये हेली सेवाएं सेंचुरियन क्षेत्र में कम ऊंचाई पर उड़ान भर रहे हैं, जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि वन्यजीवों भी पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं. सेंचुरियन क्षेत्रों में इनकी अधिक आवाज सुनकर कई वन्य जीवों की मृत्यु भी हो चुकी है. अमूमन हेली अपनी टाइमिंग से 15 या 20 मिनट पहले और अपनी टाइमिंग से 15 या 20 मिनट बाद तक 2 या 3 अतिरिक्त शॉर्टी पूर्ण करती है.

कई बार तो सांयकाल के अंधेरे में भी इन हेलीकॉप्टरों को मंदाकिनी के संकीर्ण मार्ग पर आवाजाही करते देखा गया है. मंगलवार की घटना भी कुछ इसी तरह से है. घने कोहरे और भारी बरसात के बाद भी यह हेली सेवा सुरक्षा मानकों को दरकिनार करते हुए निरंतर निजी स्वार्थ के कारण संचालित हो रही थी, जिस परिणाम सबके सामने है.

रुद्रप्रयाग: केदारनाथ धाम में निजी कंपनी के हेलीकॉप्टर क्रैश होने को एक बार फिर हेली सेवाओं की मनमानी, डीजीसीए और एनजीटी के मानकों की अनदेखी से जोड़कर देखा जा रहा है. केदारनाथ धाम के लिए के लिए संचालित कोई भी हवाई सेवा एनजीटी और डीजीसीए के मानकों पर खरा नहीं उतर पा रही है. कई बार भारतीय वन्यजीव संस्था ने इनके विरुद्ध जांच के आदेश भी दिए गए हैं, बावजूद इसके अभी तक किसी भी कंपनी के खिलाफ कोई भी कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है.

मई में हुई घटना से नहीं लिया सबक: इससे पहले 31 मई को भी खराब मौसम के चलते एक निजी कंपनी के हेलीकॉप्टर ने इमरजेंसी लैंडिंग की थी, जो काफी भयावह थी. हालांकि इस घटना से किसी भी यात्री को चोट नहीं पहुंची थी. इस घटना को नजरअंदाज करने का नतीजा ये है कि आज केदारनाथ में एक हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया और इसमें पायलट समेत सात लोगों की मौत हो गई.

Kedarnath Helicopter Crash
चारों ओर फैला पड़ा हेलीकॉप्टर का मलबा.
पढ़ें- BIG NEWS: केदारनाथ के पास गरुड़चट्टी में हेलीकॉप्टर क्रैश, पायलट समेत 7 लोगों की मौत

क्या है मानक: मानकों के अनुसार प्रत्येक हेलीकॉप्टर को मंदाकिनी नदी के तट से 600 मीटर ऊपर उड़ने की अनुमति है, क्योंकि मंदाकिनी के ऊपर केदारनाथ धाम तक हवाई मार्ग बेहद संकीर्ण है, जिसमें एक बार केवल दो ही हेलीकॉप्टर आवाजाही कर सकते हैं. मगर कई बार इस संकीर्ण मार्ग से तीन-तीन हेलीकॉप्टर भी आवाजाही करते देखे गए हैं.

Kedarnath Helicopter Crash
हेलीकॉप्टर क्रैश के बाद मौक पर पहुंची रेस्क्यू टीम.

कई बार तो हेलीकॉप्टर शाम के धुंधले अंधेरे में भी तीर्थ यात्रियों की जान की परवाह न करते हुए आवाजाही कर रहे हैं. केवल मुट्ठी भर पैसों के लिए तीर्थ यात्रियों की जान को भी जोखिम में डाल रहे हैं. गत वर्ष तो नारायणकोटि स्थित आर्यन एवियशन क्षतिग्रस्त हेलीपैड से अपनी सेवाएं दे रहा था. प्रशासन को अवगत कराने के बाद भी उक्त हेली कंपनी के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई.
पढ़ें- खराब मौसम में क्यों उड़ा हेलीकॉप्टर? जांच के आदेश जारी, अस्थायी तौर पर हेली सर्विस रोकी गई

4 सवारी से ज्यादा नहीं ले जा सकते: मानकों के अनुसार एक हेलीकॉप्टर एक बार में 4 सवारियों को ही ले जा सकता है और कॉकपिट में पायलट और को-पायलट का होना नितांत जरूरी है, लेकिन अधिक पैसे कमाने की होड़ में ये हेली सेवाएं 6 के साथ ही कभी-कभार 7 यात्रियों को भी उड़ा रही हैं, जबकि केदारनाथ धाम में संचालित सभी हेलीकॉप्टर सिंगल इंजन वाले हैं.

Kedarnath Helicopter Crash
घटनास्थल की तस्वीर.

बड़ी लापरवाही: केदारघाटी में निर्मित कई हेलीपैड के निकट 30 मीटर के फासले पर गौशाला या आवासीय भवन बने हुए हैं, जो कि डीजीसीए के मानकों के अनुरूप नहीं है. प्रतिदिन की शटल साउंड और ऊंचाई की रिपोर्ट केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग को भेजी जाती है, लेकिन प्रभाग को भी ज्ञात है कि कोई भी हेली सेवा ऊंचाई और ध्वनि को मेंटेन नहीं रख पा रही है. बावजूद इसके इनके विरुद्ध कभी भी कार्रवाई नहीं होती है.

क्या है मजबूरी?: केदारघाटी में जिस तरह से हेली कंपनियों की मनमानी चल रही है कि उसके दो ही कारण सामने आते है कि एक या तो मालिकों के रसूख के सामने वन्य जीव प्रभाग, शासन और प्रशासन घुटने टेक चुका है या फिर भारी भरकम कमीशन ने अधिकारियों के हाथ बांध दिए हैं. जिस कारण केदार घाटी में लगातार हो रहे हादसों के बाद भी कोई सबक लेने को तैयार नहीं है.

वन्यजीवों का पलायन: ये हेली सेवाएं सेंचुरियन क्षेत्र में कम ऊंचाई पर उड़ान भर रहे हैं, जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि वन्यजीवों भी पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं. सेंचुरियन क्षेत्रों में इनकी अधिक आवाज सुनकर कई वन्य जीवों की मृत्यु भी हो चुकी है. अमूमन हेली अपनी टाइमिंग से 15 या 20 मिनट पहले और अपनी टाइमिंग से 15 या 20 मिनट बाद तक 2 या 3 अतिरिक्त शॉर्टी पूर्ण करती है.

कई बार तो सांयकाल के अंधेरे में भी इन हेलीकॉप्टरों को मंदाकिनी के संकीर्ण मार्ग पर आवाजाही करते देखा गया है. मंगलवार की घटना भी कुछ इसी तरह से है. घने कोहरे और भारी बरसात के बाद भी यह हेली सेवा सुरक्षा मानकों को दरकिनार करते हुए निरंतर निजी स्वार्थ के कारण संचालित हो रही थी, जिस परिणाम सबके सामने है.

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