रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में द्वितीय केदार के रूप में विश्व विख्यात भगवान मद्महेश्वर के कपाट (lord madmaheshwar doors) खोलने की प्रक्रिया आज से शुरू हो गई है. आज शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में भगवान मद्महेश्वर की मूर्तियों को मंदिर के गर्भगृह से सभा मंडप में लाया गया. साथ ही भगवान मद्महेश्वर के लिये स्थानीय ग्रामीणों की ओर से नये अनाज का भोग लगाया गया. आज और कल भगवान मद्महेश्वर की मूर्तियां शीतकालीन गद्दीस्थल में ही विराजमान रहेंगी. 17 मई को भगवान मद्महेश्वर की पैदल डोली यात्रा मद्महेश्वर धाम के लिये रवाना होगी. पैदल डोली यात्रा 19 मई को मद्महेश्वर पहुंचेगी. फिर मंदिर के कपाट खोल दिये जाएंगे.
पंच केदारों में द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट 19 मई को खुलेंगे. आज से शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान मद्महेश्वर को नये अनाज का भोग लगाने के लिये भारी संख्या में ग्रामीण पहुंचे. यहां ग्रामीणों ने भगवान के लिये तमाम तरह के पकवान बनाये. आज और कल भगवान मद्महेश्वर शीतकालीन गद्दीस्थल के सभा मंडप में ही मौजूद रहेंगे.
भगवान मद्महेश्वर शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर से पचास किमी दूर हिमालय में मद्महेश्वर में बसे हुये हैं. यहां भगवान शंकर के मध्य भाग की पूजा होती है. कपाट खुलने के बाद यहां हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं. इस बार भगवान मद्महेश्वर की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर से 17 मई को रवाना होगी. रात्रि प्रवास के लिए रांसी पहुंचेगी. 18 मई को अंतिम रात्रि विश्राम गौंडार गांव में करेगी. 19 मई को डोली के मद्महेश्वर धाम पहुंचते ही कपाट खोल दिये जाएंगे.