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मठ-मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए युवाओं की मुहिम, प्रवासियों का मिला समर्थन - मठ-मंदिरों का जीर्णोद्धार

ये धारकोट गांव के कुछ युवाओं की मुहिम का ही असर है कि आज विदेशों में रह रहे गांव के लोग भी उनके साथ जुड़ गए है और गांव के मठ-मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए पूरा सहयोग कर रहे है.

Rudraprayag
काम करते गांव के युवा
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Published : Oct 12, 2020, 6:28 PM IST

रुद्रप्रयाग: मैं अकेला ही चला था..मगर लोग आते गए और कारवां बनता गया, ये पक्तियां अगस्त्यमुनि विकासखंड में धारकोट गांव के कुछ युवाओं पर सटीक बैठती है. कुछ समय पहले गांव के वीरान पड़े मठ-मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए इन युवाओं ने जो मुहिम शुरू की थी. आज उसमें कई ऐसे लोग जुड़ है, जो कभी अपने गांव तक नहीं आए थे. इतना ही नहीं ये युवा न सिर्फ मठ-मंदिरों का जीर्णोद्धार कर रहे हैं, बल्कि प्रवासी लोगों की मदद भी उसी कोष से कर रहे हैं.

गांव के कुछ लोगों ने मिलकर वीरान पड़े मठ-मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए एक कोष बनाया था. इसकी शुरुआत पहले गांव के कुछ युवाओं ने ही की थी, लेकिन धीरे-धीरे इन युवाओं को पूरा गांव का समर्थन मिलने लगा. अब बड़ी संख्या में लोग इन युवाओं के साथ जुड़े हुए है.

पढ़ें- घर से बाहर बुलाकर बीजेपी पार्षद की हत्या, CCTV में कैद गुनहगार

गांव के इन युवाओं के साथ कुछ ऐसे लोग भी जुड़े हैं, जो लंबे समय से राज्य से बाहर नौकरी कर रहे थे, जिन्होंने गांव लगभग आना बंद कर दिया था. कुछ तो ऐसे भी थे, जिन्होंने कभी अपना पैतृक गांव देखा ही नहीं था. इसी गांव की इन्दु तिवाड़ी सेमवाल ने भी इस पहल का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि ये उनका सौभाग्य है कि मायके के ग्राम देवालयों के जीर्णोद्धार के इस यज्ञ में उन्हें अपनी भेंट देने का मौका मिल रहा है.

सबसे बड़ी बात यह है कि विदेशों में रह रहे प्रवासी भी इस मुहिम से जुड़ रहे है. दक्षिण अफ्रीका के मोजाम्बिक में रह रहे महेश भट्ट और अमरीका में रह रही पूनम तिवाड़ी बडोला का भी इस मुहिम में हाथ बंटाने के लिए खूब प्रशंसा की जा रही है. साथ ही लागोस अफ्रीका में रह रहे अप्रवासी सुनील सेमवाल ने भी इस कोष में एक बड़ी राशि जमा की है. दक्षिण अफ्रीका में ही रह रही पूजा तिवारी नौडियाल ने भी मन्दिर के सौन्दर्यीकरण के लिए दान दिया है.

रुद्रप्रयाग: मैं अकेला ही चला था..मगर लोग आते गए और कारवां बनता गया, ये पक्तियां अगस्त्यमुनि विकासखंड में धारकोट गांव के कुछ युवाओं पर सटीक बैठती है. कुछ समय पहले गांव के वीरान पड़े मठ-मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए इन युवाओं ने जो मुहिम शुरू की थी. आज उसमें कई ऐसे लोग जुड़ है, जो कभी अपने गांव तक नहीं आए थे. इतना ही नहीं ये युवा न सिर्फ मठ-मंदिरों का जीर्णोद्धार कर रहे हैं, बल्कि प्रवासी लोगों की मदद भी उसी कोष से कर रहे हैं.

गांव के कुछ लोगों ने मिलकर वीरान पड़े मठ-मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए एक कोष बनाया था. इसकी शुरुआत पहले गांव के कुछ युवाओं ने ही की थी, लेकिन धीरे-धीरे इन युवाओं को पूरा गांव का समर्थन मिलने लगा. अब बड़ी संख्या में लोग इन युवाओं के साथ जुड़े हुए है.

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गांव के इन युवाओं के साथ कुछ ऐसे लोग भी जुड़े हैं, जो लंबे समय से राज्य से बाहर नौकरी कर रहे थे, जिन्होंने गांव लगभग आना बंद कर दिया था. कुछ तो ऐसे भी थे, जिन्होंने कभी अपना पैतृक गांव देखा ही नहीं था. इसी गांव की इन्दु तिवाड़ी सेमवाल ने भी इस पहल का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि ये उनका सौभाग्य है कि मायके के ग्राम देवालयों के जीर्णोद्धार के इस यज्ञ में उन्हें अपनी भेंट देने का मौका मिल रहा है.

सबसे बड़ी बात यह है कि विदेशों में रह रहे प्रवासी भी इस मुहिम से जुड़ रहे है. दक्षिण अफ्रीका के मोजाम्बिक में रह रहे महेश भट्ट और अमरीका में रह रही पूनम तिवाड़ी बडोला का भी इस मुहिम में हाथ बंटाने के लिए खूब प्रशंसा की जा रही है. साथ ही लागोस अफ्रीका में रह रहे अप्रवासी सुनील सेमवाल ने भी इस कोष में एक बड़ी राशि जमा की है. दक्षिण अफ्रीका में ही रह रही पूजा तिवारी नौडियाल ने भी मन्दिर के सौन्दर्यीकरण के लिए दान दिया है.

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