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कार्तिक स्वामी तीर्थ में आज से मनाई जायेगी देव दीपावली - Rudraprayag Karthik Swamy Temple

आज शाम सात बजे से देव दीपावली शुरू होगी. रात भर अखण्ड जागरण कर भगवान कार्तिक स्वामी सहित तैंतीस कोटि देवी-देवताओं का आह्वान कर रात्रि के चारों पहर चार आरती कर विश्व कल्याण की कामना की जायेगी.

Rudraprayag Karthik Swami Tirtha
रुद्रप्रयाग कार्तिक स्वामी तीर्थ
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Published : Nov 28, 2020, 12:34 PM IST

रुद्रप्रयाग: पट्टी तल्लानागपुर के शीर्ष पर विराजमान देव सेनापति भगवान कार्तिक स्वामी के तीर्थ में शनिवार यानी आज से देव दीपावली का आयोजन किया जायेगा. इसको लेकर समिति की ओर से सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं. कार्तिक स्वामी मंदिर को भव्य रूप से सजाया गया है. दो दिवसीय देव दीपावली को लेकर श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंच रहे हैं.

Rudraprayag Karthik Swami Tirtha
पर्व की तैयारियां पूरी.

धार्मिक मान्यता

लोक मान्यताओं के अनुसार जब भगवान कार्तिक स्वामी माता पार्वती व पिता शिव को अपने शरीर का खून व मांस सौंपकर निर्वाण रूप लेकर क्रौंच पर्वत पर जगत कल्याण के लिए तपस्यारत हो गये थे, तो कई वर्षों बाद माता पार्वती ने पुत्र विरह में आकर भगवान शिव से कहा कि मुझे प्रिय पुत्र कार्तिकेय की बहुत याद आर रही है. माता पार्वती के वचन सुनकर त्रिलोकीनाथ भगवान शंकर माता पार्वती को लेकर कार्तिक मास की बैकुण्ठ चतुर्दशी पर्व पर पुत्र कार्तिकेय को मिलने के लिए क्रौंच पर्वत तीर्थ पर आये. मगर माता-पिता के क्रौंच पर्वत तीर्थ आने पर देव सेनापति कुमार कार्तिकेय क्रौंच पर्वत तीर्थ से चार कोस दूर हिमालय की ओर चले गये. कुमार कार्तिकेय के क्रौंच पर्वत तीर्थ से चार कोस दूर हिमालय की ओर जाने से पार्वती को पुत्र कार्तिकेय की बहुत याद सताने लगी. कार्तिक मास की बैकुण्ठ चतुर्दशी पर्व पर शिव-पार्वती के क्रौंच पर्वत तीर्थ पर रात्रि प्रवास करने के कारण तैंतीस कोटि देवी-देवता भी इस पावन अवसर पर क्रौंच पर्वत तीर्थ पर पहुंच गये थे.

Rudraprayag Karthik Swami Tirtha
आज मनेगी देव दीपावली

पढ़ें-उत्तराखंड पहुंचे बीजेपी प्रभारी दुष्यंत गौतम, जौलीग्रांट पर हुआ जोरदार स्वागत

दो दिवसीय कार्यक्रम

तब से आज तक क्रौंच पर्वत तीर्थ पर बैकुण्ठ चतुर्दशी व कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाती है. इस पावन अवसर पर शिव-पार्वती, ब्रह्मा, विष्णु सहित तैंतीस कोटि देवी-देवताओं के उपस्थित रहने के कारण यह पर्व देवी दीपावली के रूप में मनाया जाता है. आचार्य सुधीर नौटियाल बताते हैं कि बैकुण्ठ चतुर्दशी व कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर क्रौंच पर्वत तीर्थ पर पूजा-अर्चना व जलाभिषेक करने से सौ गुना फल की प्राप्ति होती है. तुंगनाथ घाटी के प्रख्यात कथावाचक लम्बोदर प्रसाद मैठाणी का कहना है कि भगवान कार्तिक स्वामी के देव सेनापति होने के कारण कार्तिक मास में तैंतीस कोटि देवी-देवता क्रौंच पर्वत पर निवास कर भगवान कार्तिक स्वामी की स्तुति करते हैं. इसलिए कार्तिक मास में भगवान कार्तिक स्वामी की पूजा-अर्चना व जलाभिषेक करने से जन्म-जनमान्तरों से लेकर युग-युगान्तरों के पापों का नाश होता है. मन्दिर समिति अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह नेगी ने बताया कि कार्तिक स्वामी तीर्थ में दो दिवसीय देव दीपावली का श्रीगणेश ब्राह्मणों के वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ शुरू होगा. उन्होंने बताया कि शाम सात बजे से देव दीपावली शुरू होगी तथा रात्रि भर अखण्ड जागरण कर भगवान कार्तिक स्वामी सहित तैंतीस कोटि देवी-देवताओं का आह्वान कर रात्रि के चारों पहर चार आरती कर विश्व कल्याण की कामना की जायेगी. उन्होंने बताया कि 29 नवम्बर को दो दिवसीय देव दीपावली का समापन होगा.

रुद्रप्रयाग: पट्टी तल्लानागपुर के शीर्ष पर विराजमान देव सेनापति भगवान कार्तिक स्वामी के तीर्थ में शनिवार यानी आज से देव दीपावली का आयोजन किया जायेगा. इसको लेकर समिति की ओर से सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं. कार्तिक स्वामी मंदिर को भव्य रूप से सजाया गया है. दो दिवसीय देव दीपावली को लेकर श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंच रहे हैं.

Rudraprayag Karthik Swami Tirtha
पर्व की तैयारियां पूरी.

धार्मिक मान्यता

लोक मान्यताओं के अनुसार जब भगवान कार्तिक स्वामी माता पार्वती व पिता शिव को अपने शरीर का खून व मांस सौंपकर निर्वाण रूप लेकर क्रौंच पर्वत पर जगत कल्याण के लिए तपस्यारत हो गये थे, तो कई वर्षों बाद माता पार्वती ने पुत्र विरह में आकर भगवान शिव से कहा कि मुझे प्रिय पुत्र कार्तिकेय की बहुत याद आर रही है. माता पार्वती के वचन सुनकर त्रिलोकीनाथ भगवान शंकर माता पार्वती को लेकर कार्तिक मास की बैकुण्ठ चतुर्दशी पर्व पर पुत्र कार्तिकेय को मिलने के लिए क्रौंच पर्वत तीर्थ पर आये. मगर माता-पिता के क्रौंच पर्वत तीर्थ आने पर देव सेनापति कुमार कार्तिकेय क्रौंच पर्वत तीर्थ से चार कोस दूर हिमालय की ओर चले गये. कुमार कार्तिकेय के क्रौंच पर्वत तीर्थ से चार कोस दूर हिमालय की ओर जाने से पार्वती को पुत्र कार्तिकेय की बहुत याद सताने लगी. कार्तिक मास की बैकुण्ठ चतुर्दशी पर्व पर शिव-पार्वती के क्रौंच पर्वत तीर्थ पर रात्रि प्रवास करने के कारण तैंतीस कोटि देवी-देवता भी इस पावन अवसर पर क्रौंच पर्वत तीर्थ पर पहुंच गये थे.

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आज मनेगी देव दीपावली

पढ़ें-उत्तराखंड पहुंचे बीजेपी प्रभारी दुष्यंत गौतम, जौलीग्रांट पर हुआ जोरदार स्वागत

दो दिवसीय कार्यक्रम

तब से आज तक क्रौंच पर्वत तीर्थ पर बैकुण्ठ चतुर्दशी व कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाती है. इस पावन अवसर पर शिव-पार्वती, ब्रह्मा, विष्णु सहित तैंतीस कोटि देवी-देवताओं के उपस्थित रहने के कारण यह पर्व देवी दीपावली के रूप में मनाया जाता है. आचार्य सुधीर नौटियाल बताते हैं कि बैकुण्ठ चतुर्दशी व कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर क्रौंच पर्वत तीर्थ पर पूजा-अर्चना व जलाभिषेक करने से सौ गुना फल की प्राप्ति होती है. तुंगनाथ घाटी के प्रख्यात कथावाचक लम्बोदर प्रसाद मैठाणी का कहना है कि भगवान कार्तिक स्वामी के देव सेनापति होने के कारण कार्तिक मास में तैंतीस कोटि देवी-देवता क्रौंच पर्वत पर निवास कर भगवान कार्तिक स्वामी की स्तुति करते हैं. इसलिए कार्तिक मास में भगवान कार्तिक स्वामी की पूजा-अर्चना व जलाभिषेक करने से जन्म-जनमान्तरों से लेकर युग-युगान्तरों के पापों का नाश होता है. मन्दिर समिति अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह नेगी ने बताया कि कार्तिक स्वामी तीर्थ में दो दिवसीय देव दीपावली का श्रीगणेश ब्राह्मणों के वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ शुरू होगा. उन्होंने बताया कि शाम सात बजे से देव दीपावली शुरू होगी तथा रात्रि भर अखण्ड जागरण कर भगवान कार्तिक स्वामी सहित तैंतीस कोटि देवी-देवताओं का आह्वान कर रात्रि के चारों पहर चार आरती कर विश्व कल्याण की कामना की जायेगी. उन्होंने बताया कि 29 नवम्बर को दो दिवसीय देव दीपावली का समापन होगा.

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