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अलकनंदा-मंदाकिनी नदियों के किनारे स्थित घाटों की स्थिति दयनीय, कब होगा कायाकल्प

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Published : Dec 17, 2022, 8:08 AM IST

Updated : Dec 17, 2022, 9:18 AM IST

रुद्रप्रयाग के धार्मिक स्थलों में लाखों की संख्या में यात्री पहुंचते हैं. शीतकाल में भी यहां पर्यटकों की भरमार रहती है. यहां आने वाले तीर्थ यात्रियों व पर्यटकों को गंगा आरती, योग, ध्यान आदि करने के उद्देश्य से अलकनंदा व मंदाकिनी नदी किनारे बनाये गये घाट (Alaknanda and Mandakini river ghats) खंडहर में तब्दील हो गये हैं. 2017 में ही इन घाटों का निर्माण हुआ था, लेकिन पांच वर्षों में ही यह घाट जाने योग्य नहीं रह गये हैं.

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अलकनंदा मंदाकिनी नदियों के किनारे स्थित घाटों की स्थिति दयनीय

रुद्रप्रयाग: जनपद का धार्मिक एवं पर्यटन के क्षेत्र में विशेष महत्व है. जनपद में जहां विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के अलावा द्वितीय केदार मदमहेश्वर व तृतीय केदार तुंगनाथ विराजमान हैं, वहीं मिनी स्विट्जरलैंड के रूप में विख्यात पर्यटक स्थल चोपता भी है. इतना ही नहीं जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग में बदरीनाथ धाम से आने वाली अलकनंदा और केदारनाथ धाम से आने वाली मंदाकिनी नदी का संगम भी होता है. इसलिये रुद्रप्रयाग पंच प्रयागों में से एक प्रयाग है.

ग्रीष्मकाल में रुद्रप्रयाग के धार्मिक स्थलों में लाखों की संख्या में यात्री पहुंचते हैं तो शीतकाल में भी यहां पर्यटकों की भरमार रहती है. यहां आने वाले तीर्थ यात्रियों व पर्यटकों को गंगा आरती, योग, ध्यान आदि कराने के उद्देश्य से अलकनंदा व मंदाकिनी नदी किनारे बनाये गये घाट (Alaknanda and Mandakini river ghats) खंडहर में तब्दील हो गये हैं. 2017 में ही इन घाटों का निर्माण हुआ था, लेकिन पांच वर्षों में ही यह घाट जाने योग्य नहीं रह गये हैं. नमामि गंगे परियोजना (Namami Gange Project) के तहत रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय में अलकनंदा नदी किनारे और अलकनंदा व मंदाकिनी के संगम स्थल पर बनाये घाट मलबे में दबे हुए हैं.
पढ़ें-विजय दिवस पर धामी सरकार का गिफ्ट, रोडवेज बसों में फ्री यात्रा कर सकेंगे अलंकृत सैनिक और वीर नारियां

चार महीने यह घाट नदियों के बढ़ते जल स्तर के कारण जलमग्न रहते हैं तो बाकी समय यह घाट मलबे में दबे रहते हैं. घाट निर्माण का मुख्य उददेश्य था कि यहां पहुंचने वाले पर्यटक और यात्री इन घाटों का रुख करें और योग, साधना को बढ़ावा मिल सके. लेकिन घाटों की सुध न लिये जाने से कोई भी इन घाटों की ओर रुख नहीं कर रहा है. इन घाटों से जहां नदियों की सुंदरता बढ़नी थी, वहीं इनसे नदियों की सुंदरता धूमिल हो रही है. दूर से ही ये घाट मलबे में ढके दिखाई दे रहे हैं.
पढ़ें-सीएम धामी ने किया एडमिस्ट्रेटिव ऑफिसर्स कांफ्रेंस का शुभारंभ, अधिकारियों के दिये ये निर्देश

जिलाधिकारी मयूर दीक्षित (Rudraprayag DM Mayur Dixit) ने कहा कि मलबा होने के कारण यह घाट प्रयोग में नहीं आ पा रहे हैं. नगरपालिका के साथ मिलकर यह कार्य योजना बनाई जा रही है कि किस प्रकार से घाटों की सफाई की जाए और बरसात में बहकर आई रेत को किस प्रकार से उपयोग में लाया जाए.

अलकनंदा मंदाकिनी नदियों के किनारे स्थित घाटों की स्थिति दयनीय

रुद्रप्रयाग: जनपद का धार्मिक एवं पर्यटन के क्षेत्र में विशेष महत्व है. जनपद में जहां विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के अलावा द्वितीय केदार मदमहेश्वर व तृतीय केदार तुंगनाथ विराजमान हैं, वहीं मिनी स्विट्जरलैंड के रूप में विख्यात पर्यटक स्थल चोपता भी है. इतना ही नहीं जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग में बदरीनाथ धाम से आने वाली अलकनंदा और केदारनाथ धाम से आने वाली मंदाकिनी नदी का संगम भी होता है. इसलिये रुद्रप्रयाग पंच प्रयागों में से एक प्रयाग है.

ग्रीष्मकाल में रुद्रप्रयाग के धार्मिक स्थलों में लाखों की संख्या में यात्री पहुंचते हैं तो शीतकाल में भी यहां पर्यटकों की भरमार रहती है. यहां आने वाले तीर्थ यात्रियों व पर्यटकों को गंगा आरती, योग, ध्यान आदि कराने के उद्देश्य से अलकनंदा व मंदाकिनी नदी किनारे बनाये गये घाट (Alaknanda and Mandakini river ghats) खंडहर में तब्दील हो गये हैं. 2017 में ही इन घाटों का निर्माण हुआ था, लेकिन पांच वर्षों में ही यह घाट जाने योग्य नहीं रह गये हैं. नमामि गंगे परियोजना (Namami Gange Project) के तहत रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय में अलकनंदा नदी किनारे और अलकनंदा व मंदाकिनी के संगम स्थल पर बनाये घाट मलबे में दबे हुए हैं.
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चार महीने यह घाट नदियों के बढ़ते जल स्तर के कारण जलमग्न रहते हैं तो बाकी समय यह घाट मलबे में दबे रहते हैं. घाट निर्माण का मुख्य उददेश्य था कि यहां पहुंचने वाले पर्यटक और यात्री इन घाटों का रुख करें और योग, साधना को बढ़ावा मिल सके. लेकिन घाटों की सुध न लिये जाने से कोई भी इन घाटों की ओर रुख नहीं कर रहा है. इन घाटों से जहां नदियों की सुंदरता बढ़नी थी, वहीं इनसे नदियों की सुंदरता धूमिल हो रही है. दूर से ही ये घाट मलबे में ढके दिखाई दे रहे हैं.
पढ़ें-सीएम धामी ने किया एडमिस्ट्रेटिव ऑफिसर्स कांफ्रेंस का शुभारंभ, अधिकारियों के दिये ये निर्देश

जिलाधिकारी मयूर दीक्षित (Rudraprayag DM Mayur Dixit) ने कहा कि मलबा होने के कारण यह घाट प्रयोग में नहीं आ पा रहे हैं. नगरपालिका के साथ मिलकर यह कार्य योजना बनाई जा रही है कि किस प्रकार से घाटों की सफाई की जाए और बरसात में बहकर आई रेत को किस प्रकार से उपयोग में लाया जाए.

Last Updated : Dec 17, 2022, 9:18 AM IST
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