रुद्रप्रयाग: विधानसभा चुनावों में मतदान निपटने के बाद अब राजनैतिक दलों एवं निर्दलीय प्रत्याशियों के साथ ही समर्थक जीत-हार के गणित को सुलझाने में लगे हैं. सभी प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत को लेकर आश्वस्त दिखने का प्रयास तो कर रहे हैं, लेकिन मतदाताओं की खामोशी उनकी उलझन को बढ़ा रही है. राजनैतिक विश्लेषकों की मानें तो केदारनाथ सीट तीन रावतों के संघर्षों में उलझी नजर आ रही है. मतदान से पहले विश्लेषण में तीनों रावतों में ही कांटे का मुकाबला दिख रहा था और स्थिति अब भी वही बनी हुई है.
केदारनाथ सीट पर कांग्रेस से निवर्तमान विधायक मनोज रावत प्रत्याशी हैं, तो भाजपा ने पूर्व विधायक शैलारानी रावत पर दांव खेला है. आम आदमी पार्टी से जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुमन्त तिवारी, बसपा से श्यामलाल चंद्रवाल, कम्युनिस्ट पार्टी से राजा राम सेमवाल, उक्रांद से गजपाल सिंह रावत, सपा से बद्रीश, पीपुल्स पार्टी से मनोज तिनसोला, निर्दलीय कुलदीप रावत, देवेश नौटियाल, कुलदीप सिंह, रेखा देवी, सूरज सिंह मैदान में हैं. देखा जाये तो केवल 5 प्रत्याशी ही हैं जिन्होंने गम्भीरता से चुनाव लड़ा है, जिसमें भाजपा, कांग्रेस, आप एवं निर्दलीय कुलदीप रावत के अलावा निर्दलीय देवेश नौटियाल ही मुख्य हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि क्षेत्र में मोदी फैक्टर काफी हद तक प्रभावी रहा है. अधिकांश महिलाओं ने मोदी के नाम पर ही वोट किया है. इस सीट पर लगभग 32 हजार महिलाओं ने वोट दिया है, जो पुरुषों से 5 हजार अधिक हैं. यहां महिलायें भाजपा की खेवनहार दिख रही हैं. वहीं, भाजपा अपने कैडर वोट को काफी हद तक संभालने में कामयाब रही है. साथ ही इस बार भाजपा में कोई बगावत नहीं हुई और सभी दावेदार एकजुट होकर पार्टी के लिए प्रचार करते भी दिखे. इसलिए बीजेपी प्रत्याशी पिछली बार से चार से अधिक वोट लाती दिख रही हैं. अगर ऐसा हुआ तो शैलारानी रावत के जीतने के अवसर बढ़ जायेंगे.
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बीजेपी के लिए यह भी सुकून भरा हो सकता है कि कांग्रेस एवं निर्दलीय कुलदीप रावत के समर्थक अपना मुकाबला भाजपा से बता रहे हैं. कांग्रेस के मनोज रावत को जहां एंटी इनकंबेंसी से भी दो-चार होना पड़ा, तो वहीं उन्हें पार्टी कार्यकर्ताओं से पिछले पांच वर्षों से संवाद हीनता का भी नुकसान झेलना पड़ा. सबसे बड़ा नुकसान उन्हें चुनाव प्रचार में महिला कार्यकर्ताओं की कमी से हुआ दिखता है, जिससे कांग्रेस महिलाओं के वोट लेने में पिछड़ गई, लेकिन इसकी भरपाई वो पोस्टल वोटों में करते दिख रहे हैं.
कुल मिलाकर वे अपने पिछले चुनाव के आंकड़ों के साथ ही दिख रहे हैं. वहीं निर्दलीय कुलदीप रावत ने इस बार कई जगह बढ़त बनाई तो कई जगहों पर वे पिछड़ गये. उन्हें आप के सुमन्त एवं निर्दलीय देवेश नौटियाल ने भी नुकसान पहुंचाया है. आप के सुमन्त तिवारी ने जहां तीर्थ पुरोहितों की वोटों पर सेंध लगाकर भाजपा के साथ ही कुलदीप रावत एवं कांग्रेस को भी नुकसान पहुंचाया है, तो देवेश नौटियाल ने भी भाजपा एवं कुलदीप के वोटों पर सेंध लगाई है.
अब केदारनाथ सीट पर अगर सुमन्त तिवारी अधिक वोट लाए तो कुलदीप को अधिक नुकसान होते दिखेगा. अगर देवेश नौटियाल को अधिक वोट पड़े तो सीधे-सीधे भाजपा को नुकसान उठाना पड़ेगा लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है. निर्दलीय कुलदीप रावत भी इस बार अपने पिछले आंकड़ों के आस पास ही नजर आ रहे हैं. अब यह तो दस मार्च को ही पता चलेगा कि किस रावत के सर पर जीत का सेहरा बंधेगा लेकिन यह निश्चित है कि मतगणना के दिन प्रत्येक चक्र पर तीनों रावतों की धड़कनें तो बढ़ने ही वाली हैं. क्योंकि जीत का अन्तर एक हजार से 15 सौ के आस पास रहने के आसार नजर आ रहे हैं.
प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगी महिलाएं: रुद्रप्रयाग जनपद की जनसंख्या वर्तमान में लगभग ढाई लाख से अधिक है. भाजपा-कांग्रेस पार्टी समेत रुद्रप्रयाग विधानसभा सीट पर 12 एवं केदारनाथ विधानसभा सीट पर 13 प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में बंद हो गया है. जिले में कुल 97,772 महिला मतदाता शामिल हैं. रुद्रप्रयाग विधानसभा में 52,068 और केदारनाथ विस में 45,704 महिला मतदाता हैं. जनपद में 1,93,504 मतदाताओं के सापेक्ष दोनों विधान सभाओं में 1,19,832 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. केदारनाथ विस में कुल 89,829 कुल मतदाताओं में से 58,417 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जिसमें 26,602 पुरुष और 31,815 महिला मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया.
विधानसभा रुद्रप्रयाग के कुल 1,03,675 में से कुल 61,415 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है, जिसमें पुरुष 26,017 और महिला मतदाता 35,398 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है. दोनों विस में कुल 67,213 महिला मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया. पुरुषों के मुकाबले 14,594 अधिक महिला मतदाताओं ने मत का प्रयोग किया. ऐसे में दोनों सीटों पर महिलाओं का दबदबा अधिक होने से महिलाएं ही प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगी.
केदारनाथ विधानसभा सीट पर पर दो बार बीजेपी एवं दो बार कांग्रेस का कब्जा रहा है. तीन बार भाजपा-कांग्रेस की महिला विधायक रही हैं. इसी तरह रुद्रप्रयाग सीट पर तीन बार भाजपा एवं एक बार कांग्रेस का कब्जा रहा है. जनपद में महिलाओं की सुख सुविधाओं को लेकर किसी भी विधायक की ओर से कोई विशेष पहल नहीं की गई है. चाहे वह स्वास्थ्य सुविधाओं में हो या फिर चाहे वह शिक्षा में, जनपद में प्रसव पीड़ित महिलाओं को आज भी बेस चिकित्सालय श्रीनगर के लिए रेफर कर दिया जाता है. प्रसव के दौरान कई जच्चा व बच्चा दम तोड़ चुके है. जिले में दो राबाइका व एक कन्या हाईस्कूल ही संचालित हो रहा है, जहां भी सुविधाओं का टोटा बना है. 25 फीसदी से अधिक बालिकाएं स्कूल दूर होने के कारण हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के बाद नहीं पढ़ पाती हैं.