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किराये के भवनों में दी जा रही रोजगार परक शिक्षा, ऐसे कैसे आगे बढ़ेंगे युवा, खास रिपोर्ट - Rudraprayag News

रुद्रप्रयाग के जखोली विकासखण्ड के दूरस्थ क्षेत्र चिरबटिया का आईटीआई शुरुआती दौर से ही अव्यवस्थाओं का दंश झेल रहा है. साल 1989 में उत्तरप्रदेश सरकार ने टिहरी और रुद्रप्रयाग की सीमा पर चिरबटिया में आईटीआई शिक्षण संस्थान को स्वीकृति दी थी.

खस्ताहाल भवनों में दी जा रही रोजगार परक शिक्षा.
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Published : Aug 13, 2019, 6:34 PM IST

Updated : Aug 13, 2019, 8:39 PM IST

रुद्रप्रयाग: राज्य और केन्द्र सरकार देश के युवाओं को स्वरोजगार दिलाने के साथ ही विभिन्न रोजगार परख शिक्षण संस्थायें खोलने की बात करती रही है. जिनके लिए कई स्तर पर काम भी किये जाते हैं लेकिन सरकारों की उदासीनता के कारण ये अपने मुकाम पर नहीं पहुंच पाती हैं. ऐसे ही कुछ हालात राज्य के दर्जनों पाॅलिटेक्निक और आईटीआई शिक्षण संस्थानों के हैं जो कि बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं. ऐसा ही एक आईटीआई संस्थान रुद्रप्रयाग के चिरबटिया में है जिसे शुरू तो किया गया लेकिन शायद सरकार इस ओर ध्यान देना भूल गई.

किराये के भवनों में दी जा रही रोजगार परक शिक्षा.

रुद्रप्रयाग के जखोली विकासखण्ड के दूरस्थ क्षेत्र चिरबटिया का आईटीआई शुरुआती दौर से ही अव्यवस्थाओं का दंश झेल रहा है. साल 1989 में उत्तरप्रदेश सरकार ने टिहरी और रुद्रप्रयाग की सीमा पर चिरबटिया में आईटीआई शिक्षण संस्थान को स्वीकृति दी थी. जिसका संचालन 1992 में तीन ट्रेडों के साथ किराये के भवन पर शुरू किया गया था.

पढ़ें-देवभूमि के इस मंदिर में यमराज ने की थी महादेव की कठोर तपस्या, सावन में लगा रहता है भक्तों का तांता

इस संस्थान की ओर सरकार की उदासीनता का आलम इस बात से लगाया जा सकता है कि 27 साल बीत जाने के बाद भी इसे आज तक अपना भवन नसीब नहीं हो पाया है. यहां के छात्र जर्जर भवनों में पढ़ने के लिए मजबूर हैं. भवनों के अभाव के कारण छात्र-छात्राओं को प्रेक्टिकल ज्ञान नहीं मिल पाता. साथ ही शिक्षण संस्थान के कमरों में जगह-जगह पानी आने से लाखों के उपकरण भी खराब हो रहे हैं.

पढ़ें-पुलिस महकमे में बड़ा फेरबदल, 2 निरीक्षक सहित 15 उपनिरीक्षकों के हुए तबादले

90 के दशक से संचालित हो रहे इस आईटीआई में अध्यापकों और कर्मचारियों के स्वीकृत 14 पदों के साथ शासनादेश जारी किया गया था, लेकिन वर्तमान में ये आईटीआई केवल प्रभारी अनुदेशक के भरोसे चल रहा है. इस संस्थान में इलेक्ट्रिशियन, इलेक्ट्रिकल और वायरमेन ट्रेड की कक्षाएं चलाई जाती हैं लेकिन अध्यापकों की कमी के कारण ये कम ही पूरी हो पाती हैं. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है ग्रामीण अंचलों के पढ़ने वाले छात्रों को यहां किस पर की व्यवसायिक शिक्षा मिलती होगी.

पढ़ें-40 लाख की अफीम के साथ नेपाली महिला तस्कर गिरफ्तार, NDPS एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज

हालांकि, लुठियांग के ग्रामीणों ने आईटीआई भवन निर्माण के लिए 19 नाली निजी भूमि विद्यालय के नाम हस्तांतरित कर दी है. आईटीआई के निर्माण के लिए उत्तरप्रदेश निर्माण निगम को साल 2017 में एक करोड़ भी जारी किये जा चुके हैं, मगर सरकार की उदासीनता के चलते आज तक आईटीआई के भवनों का निर्माण नहीं हो पाया है.

रुद्रप्रयाग: राज्य और केन्द्र सरकार देश के युवाओं को स्वरोजगार दिलाने के साथ ही विभिन्न रोजगार परख शिक्षण संस्थायें खोलने की बात करती रही है. जिनके लिए कई स्तर पर काम भी किये जाते हैं लेकिन सरकारों की उदासीनता के कारण ये अपने मुकाम पर नहीं पहुंच पाती हैं. ऐसे ही कुछ हालात राज्य के दर्जनों पाॅलिटेक्निक और आईटीआई शिक्षण संस्थानों के हैं जो कि बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं. ऐसा ही एक आईटीआई संस्थान रुद्रप्रयाग के चिरबटिया में है जिसे शुरू तो किया गया लेकिन शायद सरकार इस ओर ध्यान देना भूल गई.

किराये के भवनों में दी जा रही रोजगार परक शिक्षा.

रुद्रप्रयाग के जखोली विकासखण्ड के दूरस्थ क्षेत्र चिरबटिया का आईटीआई शुरुआती दौर से ही अव्यवस्थाओं का दंश झेल रहा है. साल 1989 में उत्तरप्रदेश सरकार ने टिहरी और रुद्रप्रयाग की सीमा पर चिरबटिया में आईटीआई शिक्षण संस्थान को स्वीकृति दी थी. जिसका संचालन 1992 में तीन ट्रेडों के साथ किराये के भवन पर शुरू किया गया था.

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इस संस्थान की ओर सरकार की उदासीनता का आलम इस बात से लगाया जा सकता है कि 27 साल बीत जाने के बाद भी इसे आज तक अपना भवन नसीब नहीं हो पाया है. यहां के छात्र जर्जर भवनों में पढ़ने के लिए मजबूर हैं. भवनों के अभाव के कारण छात्र-छात्राओं को प्रेक्टिकल ज्ञान नहीं मिल पाता. साथ ही शिक्षण संस्थान के कमरों में जगह-जगह पानी आने से लाखों के उपकरण भी खराब हो रहे हैं.

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90 के दशक से संचालित हो रहे इस आईटीआई में अध्यापकों और कर्मचारियों के स्वीकृत 14 पदों के साथ शासनादेश जारी किया गया था, लेकिन वर्तमान में ये आईटीआई केवल प्रभारी अनुदेशक के भरोसे चल रहा है. इस संस्थान में इलेक्ट्रिशियन, इलेक्ट्रिकल और वायरमेन ट्रेड की कक्षाएं चलाई जाती हैं लेकिन अध्यापकों की कमी के कारण ये कम ही पूरी हो पाती हैं. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है ग्रामीण अंचलों के पढ़ने वाले छात्रों को यहां किस पर की व्यवसायिक शिक्षा मिलती होगी.

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हालांकि, लुठियांग के ग्रामीणों ने आईटीआई भवन निर्माण के लिए 19 नाली निजी भूमि विद्यालय के नाम हस्तांतरित कर दी है. आईटीआई के निर्माण के लिए उत्तरप्रदेश निर्माण निगम को साल 2017 में एक करोड़ भी जारी किये जा चुके हैं, मगर सरकार की उदासीनता के चलते आज तक आईटीआई के भवनों का निर्माण नहीं हो पाया है.

Intro:बरसात में छात्रा की कांप जाती है रूह, खण्डहर भवन में पढ़ने को मजबूर हैं छात्र
27 वर्ष बाद भी नहीं मिला चिरबटिया आईटीआई को अपना भवन
किराये के जीर्ण-शीर्ण भवन पर चल रहा आईटीआई संस्थान
बरसात के समय कमरों में टपक रहा पानी, लाखों के उपकरण हो रहे खराब
रुद्रप्रयाग। जहां एक ओर राज्य एवं केन्द्र सरकार देश के युवाओं को स्वरोजगार अपनाने के लिए प्रेरित करने के साथ ही विभिन्न रोजगार परख शिक्षण संस्थायें खोल रही है, वहीं सरकारों की उदासीनता के कारण राज्य के दर्जनों पाॅलीटेक्निक एवं आईटीआई शिक्षण संस्थान बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। जिससे यहां के युवा लगातार मैदानी क्षेत्रों में पलायन करने के लिए विवश हैं। Body:वीओ -1- जनपद रुद्रप्रयाग के विकासखण्ड जखोली के दूरस्थ क्षेत्र चिरबटिया में आईटीआई अपने स्थापना काल से ही भारी अव्यवस्थाओं का दंश झेल रहा है। वर्ष 1989 में उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा जनपद टिहरी एवं रुद्रप्रयाग की सीमा पर चिरबटिया में आईटीआई शिक्षण संस्थान को स्वीकृति दी गई थी, जिसका संचालन वर्ष 1992 में तीन ट्रेडों के साथ किराये के भवन पर शुरू किया गया। इस संस्थान की ओर सरकार की उदासीनता का आलम इस बात से लगाया जा सकता है कि 27 वर्ष बीत जाने के बाद भी इसे अपना भवन नसीब नहीं हो पाया है और छात्र जर्जर किराये के भवन पर पढ़ने को विवश हो रखे हैं। भवन के अभाव में जहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को प्रेक्टिकल ज्ञान नहीं मिल पा रहा है, वहीं शिक्षण संस्थान के कमरों में जगह-जगह पानी आने से लाखों के उपकरण भी खराब हो रहे हैं।
बाइट - गजेन्द्र सिंह चैहान, अनुदेशक एवं प्रभारी आईटीआई चिरबटियाConclusion:वीओ -2- 90 के दशक में संचालित आईटीआई चिरबटिया में अध्यापकों और कर्मचारियों के स्वीकृत 14 पदों के साथ शासनादेश जारी किया गया था, लेकिन वर्तमान में आलम यह है कि आईटीआई केवल प्रभारी अनुदेशक के भरोसे चल रहा है। जबकि इस संस्थान में इलेक्ट्रिशियन, इलेक्ट्रिकल और वायरमेन ट्रेड की कक्षाएं तो संचालित की जा रही हैं, मगर इनके अध्यापक नहीं हैं। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है ग्रामीण अंचलों के पढ़ने वाले छात्रों को यहां किस पर की व्यवसायिक शिक्षा मिल पा रही है। वहीं लुठियाग के ग्रामीणों द्वारा आईटीआई भवन निर्माण के लिए 19 नाली निजी भूमि को विद्यालय के नाम हस्तांतरित कर दी जा चुकी है। विद्यालय के निर्माण के लिए उत्तरप्रदेश निर्माण निगम को वर्ष 2017 में एक करोड़ भी दिये जा चुके हैं, मगर सरकार की उदासीनता के चलते आज भी भवन का निर्माण नहीं हो पाया है।
बाइट - विकास डिमरी, स्थानीय छात्र
बाइट -2- गजेन्द्र चैहान, प्रभारी आईटीआई
बाइट - प्रवीन सिंधवाल, स्थानीय निवासी
फाइनल वीओ- सरकार रोजगारपरख शिक्षा बढ़ाने और पलायन रोकने के लाख दावे कर रही है, मगर सरकार के इन दावों की कलई चिरबटिया जैसे दर्जनों व्यवसायिक शिक्षण संस्थानों की भवनों और विशेषज्ञ अध्यापकों की कमी खोल रही है। अगर पहाड़ों से हो रहे पलायन को रोकना है तो इन रोजगारपरख शिक्षण संस्थानों की समय रहते सुध लेने की आवश्यकता है।
Last Updated : Aug 13, 2019, 8:39 PM IST
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