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शीतकालीन तीर्थ यात्रा नहीं चढ़ी परवान, मक्कूमठ के व्यवसायी परेशान - Harish Rawat pilgrimage announcement

देवस्थानम बोर्ड का मामला विवादों से घिरा तो उसका खामियाजा मक्कूमठ के स्थानीय लोगों और व्यापारियों को भुगतना पड़ रहा है. दरअसल शीतकालीन तीर्थयात्रा नहीं हो पा रही है. इसलिए यहां के लोग निराश हैं.

Winter pilgrimage has not started
शीतकालीन तीर्थ यात्रा
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Published : Jan 20, 2021, 4:19 PM IST

रुद्रप्रयाग: जब देवस्थानम बोर्ड बनाने की घोषणा हुई और सरकार ने बोर्ड बनाया तो पर्वतीय अंचलों में स्थित तीर्थ स्थलों के लोग और व्यापारी बहुत खुश थे. उन्हें उम्मीद थी कि जाड़ों में भी रोजगार मिलेगा. व्यवसाय में बढ़ोत्तरी होगी. लेकिन सरकार की बेरुखी के कारण शीतकालीन तीर्थयात्रा परवान नहीं चढ़ सकी. लोगों की उम्मीदें भी टूटने लगी हैं. दरअसल तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ में श्रद्धालु पहुंच ही नहीं रहे हैं.

Winter pilgrimage
मक्कूमठ के व्यवसायी निराश

मक्कूमठ में भगवान तुंगनाथ का शीतकालीन गद्दी स्थल

भगवान तुंगनाथ को तृतीय केदार के रूप में पूजा जाता है. उनका शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ में है. राज्य सरकार और पर्यटन विभाग के साथ देव स्थानम बोर्ड ने शीतकालीन तीर्थ यात्रा के लिये समुचित प्रयास ही नहीं किए. इस कारण मक्कूमठ तक श्रद्धालु नहीं पहुंच रहे हैं.

Makkumath
शीतकालीन यात्रा नहीं चढ़ी परवान

हरीश रावत ने की थी शीतकालीन तीर्थ यात्रा की घोषणा

नवम्बर 2016 में पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश से ऊखीमठ आगमन पर लगने वाले त्रिदिवसीय मदमहेश्वर मेले में शिकरत करते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में शीतकालीन यात्रा का विधिवत आगाज किया था. मगर पांच वर्ष से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी शीतकालीन यात्रा परवान नहीं चढ़ पाई है.

लोगों ने की है तैयारी लेकिन नहीं आए तीर्थ यात्री

भगवान केदारनाथ व भगवान मदमहेश्वर के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में दोनों धामों के कपाट बंद होने के बाद श्रद्धालुओं का आवागमन तो होता है, मगर भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ में आज तक शीतकालीन यात्रा को गति नहीं मिली है. भीरी-परकण्डी-मक्कूमठ-मक्कूबैण्ड मोटर मार्ग पर विगत दो वर्षों से होटल, ढाबों व टेंटों का निर्माण होने से क्षेत्र में सैलानियों की आवाजाही में वृद्धि तो हुई है, लेकिन भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ का व्यापक प्रचार-प्रसार न होने से भीरी-मक्कूमठ से चोपता जाने वाला सैलानी भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल की महिमा से रूबरू नहीं हो पा रहे हैं.

ये भी पढ़ें: केंद्र सरकार ने राज्य को दिया एक और बड़ा तोहफा, बदरी-केदार मार्ग को दी स्वीकृति

कनिष्ठ प्रमुख शैलेंद्र कोटवाल का कहना है कि यदि देवस्थानम् बोर्ड भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ का व्यापक प्रचार-प्रसार करता है तो भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ की महिमा आम जन तक पहुंचने के साथ ही शीतकालीन यात्रा परवान चढ़ सकती है. जिला पंचायत सदस्य परकण्डी रीना बिष्ट ने कहा कि यदि भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ में शीतकालीन यात्रा परवान चढती है तो क्षेत्र के अन्य तीर्थ स्थलों का चहुमुंखी विकास स्वतः ही हो जायेगा. प्रधान संगठन ब्लॉक अध्यक्ष सुभाष रावत का कहना है कि यदि देवस्थानम् बोर्ड शीतकालीन यात्रा को गति देने का प्रयास करता है तो केदारघाटी, कालीमठ घाटी, मदमहेश्वर घाटी व तुंगनाथ घाटी में वर्ष भर तीर्थ यात्रियों के आवागमन से क्षेत्र के आर्थिकी सुदृढ़ होने से यहां के युवाओं को वर्ष भर रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकते हैं.

रुद्रप्रयाग: जब देवस्थानम बोर्ड बनाने की घोषणा हुई और सरकार ने बोर्ड बनाया तो पर्वतीय अंचलों में स्थित तीर्थ स्थलों के लोग और व्यापारी बहुत खुश थे. उन्हें उम्मीद थी कि जाड़ों में भी रोजगार मिलेगा. व्यवसाय में बढ़ोत्तरी होगी. लेकिन सरकार की बेरुखी के कारण शीतकालीन तीर्थयात्रा परवान नहीं चढ़ सकी. लोगों की उम्मीदें भी टूटने लगी हैं. दरअसल तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ में श्रद्धालु पहुंच ही नहीं रहे हैं.

Winter pilgrimage
मक्कूमठ के व्यवसायी निराश

मक्कूमठ में भगवान तुंगनाथ का शीतकालीन गद्दी स्थल

भगवान तुंगनाथ को तृतीय केदार के रूप में पूजा जाता है. उनका शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ में है. राज्य सरकार और पर्यटन विभाग के साथ देव स्थानम बोर्ड ने शीतकालीन तीर्थ यात्रा के लिये समुचित प्रयास ही नहीं किए. इस कारण मक्कूमठ तक श्रद्धालु नहीं पहुंच रहे हैं.

Makkumath
शीतकालीन यात्रा नहीं चढ़ी परवान

हरीश रावत ने की थी शीतकालीन तीर्थ यात्रा की घोषणा

नवम्बर 2016 में पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश से ऊखीमठ आगमन पर लगने वाले त्रिदिवसीय मदमहेश्वर मेले में शिकरत करते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में शीतकालीन यात्रा का विधिवत आगाज किया था. मगर पांच वर्ष से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी शीतकालीन यात्रा परवान नहीं चढ़ पाई है.

लोगों ने की है तैयारी लेकिन नहीं आए तीर्थ यात्री

भगवान केदारनाथ व भगवान मदमहेश्वर के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में दोनों धामों के कपाट बंद होने के बाद श्रद्धालुओं का आवागमन तो होता है, मगर भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ में आज तक शीतकालीन यात्रा को गति नहीं मिली है. भीरी-परकण्डी-मक्कूमठ-मक्कूबैण्ड मोटर मार्ग पर विगत दो वर्षों से होटल, ढाबों व टेंटों का निर्माण होने से क्षेत्र में सैलानियों की आवाजाही में वृद्धि तो हुई है, लेकिन भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ का व्यापक प्रचार-प्रसार न होने से भीरी-मक्कूमठ से चोपता जाने वाला सैलानी भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल की महिमा से रूबरू नहीं हो पा रहे हैं.

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कनिष्ठ प्रमुख शैलेंद्र कोटवाल का कहना है कि यदि देवस्थानम् बोर्ड भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ का व्यापक प्रचार-प्रसार करता है तो भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ की महिमा आम जन तक पहुंचने के साथ ही शीतकालीन यात्रा परवान चढ़ सकती है. जिला पंचायत सदस्य परकण्डी रीना बिष्ट ने कहा कि यदि भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ में शीतकालीन यात्रा परवान चढती है तो क्षेत्र के अन्य तीर्थ स्थलों का चहुमुंखी विकास स्वतः ही हो जायेगा. प्रधान संगठन ब्लॉक अध्यक्ष सुभाष रावत का कहना है कि यदि देवस्थानम् बोर्ड शीतकालीन यात्रा को गति देने का प्रयास करता है तो केदारघाटी, कालीमठ घाटी, मदमहेश्वर घाटी व तुंगनाथ घाटी में वर्ष भर तीर्थ यात्रियों के आवागमन से क्षेत्र के आर्थिकी सुदृढ़ होने से यहां के युवाओं को वर्ष भर रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकते हैं.

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