रुद्रप्रयाग: केदारनाथ धाम आने वाले तीर्थयात्रियों को इस बार 18 किमी गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर बुरांश की लालिमा देखने को मिलेगी. इन बुरांश के फूलों को पैदल मार्ग के गौरीकुंड से लिनचैली तक देखा जा सकता है. शुरुआती चरण की यात्रा में जो तीर्थयात्री बाबा केदार के धाम आयेंगे, उन्हें इस खूबसूरत फूल का दीदार होगा. साथ ही पैदल यात्रा मार्ग पर जगह-जगह आये वाटर फॉल भी श्रद्धालुओं को मनमोहित करेंगे.
बाबा केदारनाथ धाम के कपाट 25 अप्रैल की सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर खुलने जा रहे हैं. जिसको लेकर तैयारियां जोरों-शोरों पर हैं. जहां प्रशासनिक स्तर पर हलचल तेज हो गई हैं, वहीं बाबा के भक्त केदारनाथ धाम आने को आतुर हैं. ऐसे में शुरुआती चरण में बाबा के धाम आने वाले तीर्थयात्रियों को इस बार गौरीकुंड से लिनचैली तक बुरांश की लालिमा देखने के साथ ही जगह-जगह वाटर फॉल भी देखने को मिलेंगे. वाटर फॉल श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करेंगे तो बुरांश के फूल तीर्थयात्रियों को तरोताजा महसूस कराएगी.
पढ़ें-यहां सिर्फ अक्षय तृतीया पर होते हैं भगवान विष्णु के चरणों के दर्शन, उसी के बाद खुलते हैं गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट
इस बार बाबा केदार के धाम के कपाट दो सप्ताह पहले खुल रहे हैं.बाबा की डोली भी अपने रात्रि प्रवास के लिए गौरीकुंड पहुंच गई है और कल डोली अपने ग्रीष्मकालीन प्रवास के लिए केदारनाथ धाम पहुंच जाएगी और 25 अप्रैल की सुबह बाबा के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुल जाएंगे. यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों को लिनचैली से बेस कैंप तक दो से तीन जगहों पर बड़े-बड़े ग्लेशियरों से होकर गुजरना पड़ेगा. वहीं उन्हें गौरीकुंड से बेस कैंप तक 18 किमी पैदल मार्ग पर जगह-जगह बुरांश के फूल दिखाई देंगे.