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'प्रकाश' के अस्त होने से पिथौरागढ़ में शोक की लहर, सबसे कम उम्र में बने थे विधानसभा अध्यक्ष - नहीं रहे उत्तराखंड के काबिना मंत्री प्रकाश पंत

वित्त मंत्री प्रकाश पंत की मौत के बाद उनके गृह जनपद में शोक की लहर.

दिवंगत वित्त मंत्री प्रकाश पंत.
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Published : Jun 5, 2019, 10:23 PM IST

पिथौरागढ़: उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने बुधवार को अमेरिका के एक अस्पताल में आखिरी सांस ली. 58 वर्षीय प्रकाश पंत फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित थे. एक हफ्ते पहले ही इलाज करवाने अमेरिका गए थे. बेदाग छवि वाले उत्तराखंड सरकार के मंत्री 'प्रकाश' राजनीति की दुनिया के लिए अपूर्णीय क्षति हैं. पंत के दुनिया को अलविदा कहते ही उनके गृह जनपद पिथौरागढ़ में शोक की लहर दौड़ पड़ी.

पढ़ें- आपदा के दौरान गुत्तकाशी में प्रकाश पंत लगे रहे घायल यात्रियों के इलाज में, कही थी ये बड़ी बात

मूल रूप से गंगोलीहाट के चोढ़ियार गांव के रहने वाले प्रकाश पंत के निधन के बाद उत्तराखंड सरकार ने तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है. बीफार्मा करने वाले प्रकाश पन्त ने अपने करियर की शुरुआत फार्मासिस्ट के रूप में की थी. कुछ समय बतौर फार्मासिस्ट रहने के बाद उन्होंने राजनीति में आने के लिए अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी.

पढ़ें- सरकारी नौकरी छोड़ आए थे राजनीति में, बेदाग रहा 'सफेद कुर्ता'

अपने सरल स्वाभाव के चलते प्रकाश पंत सन 1988 में नगरपालिका परिषद पिथौरागढ़ में बतौर सदस्य निर्वाचित हुए. इस दौरान उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करते हुए सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया. 1997 में अविभाजित यूपी के दौर में उन्हें विधान परिषद की पंचायत सीट कुमाऊं से बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया. इसके बाद पंत चुनाव में जीत दर्ज की और वो विधानसभा परिषद पहुंचे.

पढ़ें- अपने ज्ञान, तर्क और भाषण के लिए याद किये जाएंगे प्रकाश पंत

उत्तराखंड राज्य बनने के बाद बीजेपी की अंतरिम सरकार में पंत को सबसे कम उम्र का विधानसभा अध्यक्ष बनने का गौरव प्राप्त हुआ. साल 2002 में राज्य के पहले विधानसभा चुनाव में पंत ने पिथौरागढ़ विधानसभा से चुनाव जीता. 2007 के चुनाव में पन्त ने दूसरी बार भी इसी सीट से जीत दर्ज की. पंत को खंडूड़ी सरकार में पर्यटन और संसदीय कार्य मंत्री का दायित्व मिला. इसके बाद निशंक सरकार में भी पन्त को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला. इस दौरान उन्हें पेयजल, नियोजन, संसदीय कार्यमंत्री का दायित्व दिया गया.

पढ़ें- नहीं रहे उत्तराखंड के 'प्रकाश', अमेरिका के अस्पताल में ली अंतिम सांस

2012 के चुनाव में प्रकाश पंत को हार का मुंह भी देखना पड़ा. इसी साल सितारगंज में हुए उपचुनाव में भी उन्हें तत्कालीन सीएम विजय बहुगुणा के खिलाफ चुनाव लड़कर पराजय का सामना किया. सबको साथ लेकर चलने की कुशलता, वित्तीय मामलों का ज्ञान, विपक्ष के हर तीखे वार का मीठी मुस्कान से जवाब देना इन सब गुणों से लबरेज प्रकाश पंत ने की पिथौरागढ़ विधानसभा की जनता का दिल जीतकर साल 2017 में फिर विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की.

पढ़ें- प्रकाश पंत के निधन पर PM मोदी ने जताया दुख, संगठनात्मक और प्रशासनिक गुणों की प्रशंसा की

पंत को वर्तमान की त्रिवेंद्र सरकार में पेयजल, आबकारी, वित्त, विधायी एवं संसदीय कार्यमंत्री, वाणिज्य एवं कर मंत्री, गन्ना विकास जैसे अहम दायित्व मिले थे. लेकिन, त्रिवेंद्र सरकार के ये मजबूत स्तंभ बुधवार को अपनी जिंदगी की जंग हार गए. प्रकाश पंत को पिथौरागढ़ वासी हमेशा उनके सौम्य व्यवहार और कुशल नेतृत्व के लिए याद रखेंगे.

पढ़ें- आबकारी विभाग को नई ऊंचाई तक ले जाने में प्रकाश पंत का था अहम योगदान, किया था ये काम

पिथौरागढ़: उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने बुधवार को अमेरिका के एक अस्पताल में आखिरी सांस ली. 58 वर्षीय प्रकाश पंत फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित थे. एक हफ्ते पहले ही इलाज करवाने अमेरिका गए थे. बेदाग छवि वाले उत्तराखंड सरकार के मंत्री 'प्रकाश' राजनीति की दुनिया के लिए अपूर्णीय क्षति हैं. पंत के दुनिया को अलविदा कहते ही उनके गृह जनपद पिथौरागढ़ में शोक की लहर दौड़ पड़ी.

पढ़ें- आपदा के दौरान गुत्तकाशी में प्रकाश पंत लगे रहे घायल यात्रियों के इलाज में, कही थी ये बड़ी बात

मूल रूप से गंगोलीहाट के चोढ़ियार गांव के रहने वाले प्रकाश पंत के निधन के बाद उत्तराखंड सरकार ने तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है. बीफार्मा करने वाले प्रकाश पन्त ने अपने करियर की शुरुआत फार्मासिस्ट के रूप में की थी. कुछ समय बतौर फार्मासिस्ट रहने के बाद उन्होंने राजनीति में आने के लिए अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी.

पढ़ें- सरकारी नौकरी छोड़ आए थे राजनीति में, बेदाग रहा 'सफेद कुर्ता'

अपने सरल स्वाभाव के चलते प्रकाश पंत सन 1988 में नगरपालिका परिषद पिथौरागढ़ में बतौर सदस्य निर्वाचित हुए. इस दौरान उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करते हुए सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया. 1997 में अविभाजित यूपी के दौर में उन्हें विधान परिषद की पंचायत सीट कुमाऊं से बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया. इसके बाद पंत चुनाव में जीत दर्ज की और वो विधानसभा परिषद पहुंचे.

पढ़ें- अपने ज्ञान, तर्क और भाषण के लिए याद किये जाएंगे प्रकाश पंत

उत्तराखंड राज्य बनने के बाद बीजेपी की अंतरिम सरकार में पंत को सबसे कम उम्र का विधानसभा अध्यक्ष बनने का गौरव प्राप्त हुआ. साल 2002 में राज्य के पहले विधानसभा चुनाव में पंत ने पिथौरागढ़ विधानसभा से चुनाव जीता. 2007 के चुनाव में पन्त ने दूसरी बार भी इसी सीट से जीत दर्ज की. पंत को खंडूड़ी सरकार में पर्यटन और संसदीय कार्य मंत्री का दायित्व मिला. इसके बाद निशंक सरकार में भी पन्त को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला. इस दौरान उन्हें पेयजल, नियोजन, संसदीय कार्यमंत्री का दायित्व दिया गया.

पढ़ें- नहीं रहे उत्तराखंड के 'प्रकाश', अमेरिका के अस्पताल में ली अंतिम सांस

2012 के चुनाव में प्रकाश पंत को हार का मुंह भी देखना पड़ा. इसी साल सितारगंज में हुए उपचुनाव में भी उन्हें तत्कालीन सीएम विजय बहुगुणा के खिलाफ चुनाव लड़कर पराजय का सामना किया. सबको साथ लेकर चलने की कुशलता, वित्तीय मामलों का ज्ञान, विपक्ष के हर तीखे वार का मीठी मुस्कान से जवाब देना इन सब गुणों से लबरेज प्रकाश पंत ने की पिथौरागढ़ विधानसभा की जनता का दिल जीतकर साल 2017 में फिर विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की.

पढ़ें- प्रकाश पंत के निधन पर PM मोदी ने जताया दुख, संगठनात्मक और प्रशासनिक गुणों की प्रशंसा की

पंत को वर्तमान की त्रिवेंद्र सरकार में पेयजल, आबकारी, वित्त, विधायी एवं संसदीय कार्यमंत्री, वाणिज्य एवं कर मंत्री, गन्ना विकास जैसे अहम दायित्व मिले थे. लेकिन, त्रिवेंद्र सरकार के ये मजबूत स्तंभ बुधवार को अपनी जिंदगी की जंग हार गए. प्रकाश पंत को पिथौरागढ़ वासी हमेशा उनके सौम्य व्यवहार और कुशल नेतृत्व के लिए याद रखेंगे.

पढ़ें- आबकारी विभाग को नई ऊंचाई तक ले जाने में प्रकाश पंत का था अहम योगदान, किया था ये काम

Intro:पिथौरागढ़: उत्तराखंड के वित्तमंत्री प्रकाश पंत का अमेरिका में इलाज के दौरान आज (बुधवार) निधन हो गया। प्रकाश पंत लंग्स केंसर की बीमारी से पीड़ित थे और पिछले कुछ दिनों से अमेरिका में उनका इलाज चल रहा था। मूल रूप से गंगोलीहाट के चोढियार गाँव के रहने वाले प्रकाश पंत के निधन के बाद उनके गृह जनपद पिथौरागढ़ में शोक की लहर है।



प्रकाश पंत का राजनीतिक सफरनामा

स्नाक्त और बीफार्मा की शैक्षिक योग्यता रखने वाले प्रकाश पन्त ने अपने कैरियर की शुरुआत फार्मासिस्ट के रूप में कई थी। कुछ समय फार्मासिस्ट रहने के बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश लिया।
प्रकाश पंत 1988 में नगरपालिका परिषद पिथौरागढ़ में सदस्य निर्वाचित हुए। इस दौरान उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण करते हुए सक्रिय राजनीति में प्रवेश लिया। 1997 में अविभाजित यूपी के दौर में उन्हें विधान परिषद की पंचायत सीट कुमाऊं के लिए भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया। पंत चुनाव में जीत दर्ज कर विधानसभा परिषद पहुंचे। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद भाजपा की अंतरिम सरकार में पंत को सबसे कम उम्र का विधानसभा अध्यक्ष बनने का गौरव प्राप्त हुआ। साल 2002 में राज्य के पहले विधानसभा चुनाव में पंत ने पिथौरागढ़ विधानसभा से चुनाव जीता। 2007 के चुनाव में पन्त ने दूसरी बार भी इस सीट से जीत दर्ज की। पंत को खंडूरी सरकार में पर्यटन और संसदीय कार्य मंत्री का दायित्व मिला। इसके बाद निशंक सरकार में भी पन्त को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला और पन्त को पेयजल, नियोजन, संसदीय कार्यमंत्री का दायित्व मिला।
2012 के चुनाव में प्रकाश पन्त को हार का मुंह देखना पड़ा। इसी साल सितारगंज में हुए उपचुनाव में तत्कालीन सीएम विजय बहुगुणा के खिलाफ चुनाव लड़ा और पराजय झेलनी पड़ी। वही इस बार के विधानसभा चुनाव में पंत ने फिर से पिथौरागढ़ विधानसभा की जनता का दिल जीता। पंत वर्तमान की त्रिवेंद्र सरकार में पेयजल, आबकारी, वित्त, विधायी एवं संसदीय कार्यमंत्री, वाणिज्य एवं कर मंत्री, गन्ना विकास जैसे अहम दायित्व मिले।






Body:पिथौरागढ़: उत्तराखंड के वित्तमंत्री प्रकाश पंत का अमेरिका में इलाज के दौरान आज (बुधवार) निधन हो गया। प्रकाश पंत लंग्स केंसर की बीमारी से पीड़ित थे और पिछले कुछ दिनों से अमेरिका में उनका इलाज चल रहा था। मूल रूप से गंगोलीहाट के चोढियार गाँव के रहने वाले प्रकाश पंत के निधन के बाद उनके गृह जनपद पिथौरागढ़ में शोक की लहर है।



प्रकाश पंत का राजनीतिक सफरनामा

स्नाक्त और बीफार्मा की शैक्षिक योग्यता रखने वाले प्रकाश पन्त ने अपने कैरियर की शुरुआत फार्मासिस्ट के रूप में कई थी। कुछ समय फार्मासिस्ट रहने के बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश लिया।
प्रकाश पंत 1988 में नगरपालिका परिषद पिथौरागढ़ में सदस्य निर्वाचित हुए। इस दौरान उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण करते हुए सक्रिय राजनीति में प्रवेश लिया। 1997 में अविभाजित यूपी के दौर में उन्हें विधान परिषद की पंचायत सीट कुमाऊं के लिए भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया। पंत चुनाव में जीत दर्ज कर विधानसभा परिषद पहुंचे। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद भाजपा की अंतरिम सरकार में पंत को सबसे कम उम्र का विधानसभा अध्यक्ष बनने का गौरव प्राप्त हुआ। साल 2002 में राज्य के पहले विधानसभा चुनाव में पंत ने पिथौरागढ़ विधानसभा से चुनाव जीता। 2007 के चुनाव में पन्त ने दूसरी बार भी इस सीट से जीत दर्ज की। पंत को खंडूरी सरकार में पर्यटन और संसदीय कार्य मंत्री का दायित्व मिला। इसके बाद निशंक सरकार में भी पन्त को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला और पन्त को पेयजल, नियोजन, संसदीय कार्यमंत्री का दायित्व मिला।
2012 के चुनाव में प्रकाश पन्त को हार का मुंह देखना पड़ा। इसी साल सितारगंज में हुए उपचुनाव में तत्कालीन सीएम विजय बहुगुणा के खिलाफ चुनाव लड़ा और पराजय झेलनी पड़ी। वही इस बार के विधानसभा चुनाव में पंत ने फिर से पिथौरागढ़ विधानसभा की जनता का दिल जीता। पंत वर्तमान की त्रिवेंद्र सरकार में आबकारी, वित्त, विधायी एवं संसदीय कार्यमंत्री, वाणिज्य एवं कर मंत्री जैसे अहम दायित्व मिले।






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