ETV Bharat / state

दारमा घाटी के लिए माइग्रेशन करने वाले ग्रामीण परेशान, ग्लेशियर टूटने से नागलिंग-दुग्तु मार्ग बंद - Nagling-Dugtu route Closed

दारमा घाटी के लिए माइग्रेशन करने वाले ग्रामीण नागलिंग-दुग्तु मार्ग बंद होने के कारण परेशान हैं.

Nagling-Dugtu route Closed
दारमा घाटी माइग्रेशन करने वाले ग्रामीण परेशान
author img

By

Published : May 6, 2020, 4:16 PM IST

Updated : May 6, 2020, 8:09 PM IST

पिथौरागढ़: दारमा घाटी के लिए माइग्रेशन करने वाले ग्रामीणों को छूट का फायदा मिलता नहीं दिख रहा है. दरमा घाटी के रास्ते अभी भी बर्फ से पटे हैं. साथ ही रास्तों पर बड़े-बड़े ग्लेशियर टूट कर गिरे हैं, जो ग्रामीणों की राह में रोड़ा बन गए हैं.

हालात ये है कि नागलिंग से दुग्तू तक सड़क पूरी तरह बंद हो चुकी है. जिस कारण ग्रामीण पैदल ही अपनी मंजिल की तरफ चल पड़े हैं. लेकिन स्थानीय ग्रामीणों के लिए यह सफर खतरों भरा है. भारी सामान और पालतू पशुओं के साथ दुर्गम रास्तों पर चलना मौत को दावत देने से कम नहीं है.

दारमा घाटी माइग्रेशन करने वाले ग्रामीण परेशान

ये भी पढ़ें: लॉकडाउन की मार: चाट व्यापारियों पर गहराया आर्थिक संकट

दारमा घाटी में इस साल तीन दशकों में सबसे अधिक बर्फबारी हुई है. जिसके कारण गर्मियों के सीजन में यहां रास्ते नहीं खुल पाए हैं. इस घाटी के 14 गांवों के हजारों ग्रामीण गर्मियों के सीजन में ऊपरी इलाकों में रहने चले जाते हैं. धारचूला की दारमा और व्यास घाटी के 14 से अधिक गांवों के ग्रामीण साल में दो बार अलग-अलग स्थानों पर प्रवास करते हैं.

गर्मियों में ग्रामीण उच्च हिमालयी मूल गांवों में तो सर्दियों में घाटी वाले गांवों में प्रवास करते हैं. ग्रामीणों की समस्या को देखते हुए सीपीडब्लयूडी इस रास्ते को खोलने के प्रयास में जुटी हुई है. वहीं धारचूला प्रशासन ने सीपीडब्ल्यूडी पर सख्ती कर जल्द मार्ग खोलने को कह रहा है.

ये गांव करते हैं माइग्रेशन

  • धारचूला तहसील के व्यास घाटी से बूंदी, गब्र्यांग, गुंजी, नाबी, रोंगकोंग, नपलच्यू और कुटी गांव के लोग माइग्रेशन करते हैं.
  • धारचूला के दारमा घाटी से सेला, चल, नागलिंग, बौगलिंग, सौन, दांतू, दुग्तू, बौन, ढाकर, तिदांग, सीपू, मार्छा और गो गांव के लोग माइग्रेशन करते हैं.
  • मुनस्यारी के जोहार घाटी से बुर्फू, रिलकोट, मर्तोली, टोला, बुगडियार, मिलम, खैंलाच, ल्वां, गनघर और पांछू गांव के लोग माइग्रेशन करते हैं.

पिथौरागढ़: दारमा घाटी के लिए माइग्रेशन करने वाले ग्रामीणों को छूट का फायदा मिलता नहीं दिख रहा है. दरमा घाटी के रास्ते अभी भी बर्फ से पटे हैं. साथ ही रास्तों पर बड़े-बड़े ग्लेशियर टूट कर गिरे हैं, जो ग्रामीणों की राह में रोड़ा बन गए हैं.

हालात ये है कि नागलिंग से दुग्तू तक सड़क पूरी तरह बंद हो चुकी है. जिस कारण ग्रामीण पैदल ही अपनी मंजिल की तरफ चल पड़े हैं. लेकिन स्थानीय ग्रामीणों के लिए यह सफर खतरों भरा है. भारी सामान और पालतू पशुओं के साथ दुर्गम रास्तों पर चलना मौत को दावत देने से कम नहीं है.

दारमा घाटी माइग्रेशन करने वाले ग्रामीण परेशान

ये भी पढ़ें: लॉकडाउन की मार: चाट व्यापारियों पर गहराया आर्थिक संकट

दारमा घाटी में इस साल तीन दशकों में सबसे अधिक बर्फबारी हुई है. जिसके कारण गर्मियों के सीजन में यहां रास्ते नहीं खुल पाए हैं. इस घाटी के 14 गांवों के हजारों ग्रामीण गर्मियों के सीजन में ऊपरी इलाकों में रहने चले जाते हैं. धारचूला की दारमा और व्यास घाटी के 14 से अधिक गांवों के ग्रामीण साल में दो बार अलग-अलग स्थानों पर प्रवास करते हैं.

गर्मियों में ग्रामीण उच्च हिमालयी मूल गांवों में तो सर्दियों में घाटी वाले गांवों में प्रवास करते हैं. ग्रामीणों की समस्या को देखते हुए सीपीडब्लयूडी इस रास्ते को खोलने के प्रयास में जुटी हुई है. वहीं धारचूला प्रशासन ने सीपीडब्ल्यूडी पर सख्ती कर जल्द मार्ग खोलने को कह रहा है.

ये गांव करते हैं माइग्रेशन

  • धारचूला तहसील के व्यास घाटी से बूंदी, गब्र्यांग, गुंजी, नाबी, रोंगकोंग, नपलच्यू और कुटी गांव के लोग माइग्रेशन करते हैं.
  • धारचूला के दारमा घाटी से सेला, चल, नागलिंग, बौगलिंग, सौन, दांतू, दुग्तू, बौन, ढाकर, तिदांग, सीपू, मार्छा और गो गांव के लोग माइग्रेशन करते हैं.
  • मुनस्यारी के जोहार घाटी से बुर्फू, रिलकोट, मर्तोली, टोला, बुगडियार, मिलम, खैंलाच, ल्वां, गनघर और पांछू गांव के लोग माइग्रेशन करते हैं.
Last Updated : May 6, 2020, 8:09 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.