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उत्तराखंड को भाजपा और कांग्रेस से मुक्ति दिलाएगी UKD: काशी सिंह ऐरी

दिल्ली में राष्ट्रीय दलों को मिली करारी शिकस्त के बाद अब यूकेडी के नेता उत्तराखंड में हाथ आजमाने की तैयारियां कर रही है.

Kashi Singh Ari News
यूकेड़ी दल
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Published : Feb 16, 2020, 6:18 PM IST

पिथौरागढ़: दिल्ली में आम आदमी पार्टी की एकतरफा जीत के बाद उत्तराखंड में भी तीसरे विकल्प की चर्चाएं तेज होने लगी है. राज्य निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले क्षेत्रीय दल यूकेडी ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी की जीत से सबक लेते हुए संगठन की नए सिरे से धार तेज करने की बात कही है.

यूकेडी के वरिष्ठ नेता काशी सिंह ऐरी ने कहा कि यूकेडी उत्तराखंड से जुड़े मुद्दों को मजबूती से उठाकर राज्य को भाजपा और कांग्रेस दोनों से ही मुक्ति दिलाएगी. ऐरी ने कहा कि दिल्ली की तर्ज पर उत्तराखंड की जनता को भी राष्ट्रीय दलों को नकारकर क्षेत्रीय दलों को चुनना चाहिए. ताकि, उत्तराखंड राज्य के क्षेत्रीय मुद्दे हल हो सकें.

विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारी में जुटी यूकेडी.

ये भी पढ़ें: HRD मंत्री डॉ. निशंक बोले- नई शिक्षा नीति लाएगी क्रांति, 25 सालों तक रहेगा 'यंग इंडिया'

बता दें कि क्षेत्रीय भावना से जन्मे उत्तराखंड राज्य में भाजपा और कांग्रेस ने बारी-बारी से राज किया है. यहां की रीजनल पार्टियां कभी खुद को मजबूत नहीं कर पाई. राज्य निर्माण में निर्णायक भूमिका निभाने वाला क्षेत्रीय दल यूकेडी भी आज पूरी तरह हाशिये पर है. सूबे के पहले विधानसभा चुनावों में यूकेडी को 4 सीटों में जीत मिली थी, जबकि दूसरे चुनाव में ये आंकड़ा 3 पर आकर सिमट गया. तीसरे चुनाव के बाद यूकेडी सत्ता में साझेदार रही, लेकिन उसका मात्र 1 एमएलए ही रहा. वहीं, साल 2017 के चुनावों में सूबे के इकलौते क्षेत्रीय दल का सूपड़ा साफ हो गया था.

दिल्ली में राष्ट्रीय दलों को मिली करारी शिकस्त के बाद अब यूकेडी के नेता मंथन में जुट गए हैं. साथ ही तीसरे विकल्प के रूप में यूकेडी को उभारने का दावा कर रहे हैं.

पिथौरागढ़: दिल्ली में आम आदमी पार्टी की एकतरफा जीत के बाद उत्तराखंड में भी तीसरे विकल्प की चर्चाएं तेज होने लगी है. राज्य निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले क्षेत्रीय दल यूकेडी ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी की जीत से सबक लेते हुए संगठन की नए सिरे से धार तेज करने की बात कही है.

यूकेडी के वरिष्ठ नेता काशी सिंह ऐरी ने कहा कि यूकेडी उत्तराखंड से जुड़े मुद्दों को मजबूती से उठाकर राज्य को भाजपा और कांग्रेस दोनों से ही मुक्ति दिलाएगी. ऐरी ने कहा कि दिल्ली की तर्ज पर उत्तराखंड की जनता को भी राष्ट्रीय दलों को नकारकर क्षेत्रीय दलों को चुनना चाहिए. ताकि, उत्तराखंड राज्य के क्षेत्रीय मुद्दे हल हो सकें.

विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारी में जुटी यूकेडी.

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बता दें कि क्षेत्रीय भावना से जन्मे उत्तराखंड राज्य में भाजपा और कांग्रेस ने बारी-बारी से राज किया है. यहां की रीजनल पार्टियां कभी खुद को मजबूत नहीं कर पाई. राज्य निर्माण में निर्णायक भूमिका निभाने वाला क्षेत्रीय दल यूकेडी भी आज पूरी तरह हाशिये पर है. सूबे के पहले विधानसभा चुनावों में यूकेडी को 4 सीटों में जीत मिली थी, जबकि दूसरे चुनाव में ये आंकड़ा 3 पर आकर सिमट गया. तीसरे चुनाव के बाद यूकेडी सत्ता में साझेदार रही, लेकिन उसका मात्र 1 एमएलए ही रहा. वहीं, साल 2017 के चुनावों में सूबे के इकलौते क्षेत्रीय दल का सूपड़ा साफ हो गया था.

दिल्ली में राष्ट्रीय दलों को मिली करारी शिकस्त के बाद अब यूकेडी के नेता मंथन में जुट गए हैं. साथ ही तीसरे विकल्प के रूप में यूकेडी को उभारने का दावा कर रहे हैं.

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