पिथौरागढ़: भारतीय सेना और अर्द्धसैनिक बलों में अपनी सेवाएं दे चुके नेपाली पेंशनर्स के लिए अतंरराष्ट्रीय झूलापुल 5 दिन के लिए खोले गए हैं. इस दौरान हजारों की संख्या में नेपाली पेंशनर्स झूलाघाट, धारचूला और जौलजीबी के झूलापुलों से भारत आ रहे हैं, जिसके चलते बॉर्डर इलाकों में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ गया है. आलम ये है कि बॉर्डर पर स्थित एसबीआई की शाखा के बाहर नेपाली पेंशनर्स की भीड़ लगी हुई है. बैंकों के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग कहीं भी नजर नहीं आ रही है.
हालांकि, स्वास्थ्य विभाग नेपाल से आ रहे लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग कर रहा है, लेकिन कोरोना जांच के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है. स्वास्थ्य विभाग ने झूलाघाट पुल पर 12 लोगों के कोरोना सैंपल लिए है, जिनमें नेपाली पेंशनर्स शामिल नहीं है. सिर्फ उन्हीं लोगों के सैंपल लिए गए हैं, जो दो से तीन दिन भारतीय क्षेत्र में रहने वाले हैं. स्वास्थ्य विभाग भले ही नेपाली पेंशनर्स की कोरोना की जांच के दावे कर रहा हो, लेकिन धरातल पर ये दावे हवाई साबित हो रहे हैं.
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नेपाली पेंशनर्स के लिए अंतरराष्ट्रीय पुल खुलने से बॉर्डर पर मंडियों में भले ही रौनक बढ़ी हो, लेकिन नेपाल से भारत में कोरोना का संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है. अंतरराष्ट्रीय पुल खुलने पर झूलाघाट में 1577, जौलजीबी में 327 और धारचूला में 93 नेपाली नागरिक भारत आये हैं. जिन्हें थर्मल स्क्रीनिंग के बाद भारत में प्रवेश करने की अनुमति मिली है, लेकिन कोरोना की जांच नहीं होने से संक्रमण की संभावना बनी हुई है.
वहीं, प्रशासन का कहना है कि स्क्रीनिंग के आधार पर उन्हीं नेपाली नागरिकों को प्रवेश की अनुमति दी जा रही है, जिनमें कोरोना के लक्षण नहीं है. वहीं, नेपाली नागरिकों की कोरोना जांच के सवाल पर प्रशासन लाचार नजर आ रहा है.
प्रशासन का कहना है कि कोरोना रिपोर्ट आने में कम से कम तीन दिन का समय लगता है, ऐसे में नेपाली पेंशनर्स की कोरोना जांच करने का कोई औचित्य नहीं है. ऐसी स्थिति में नेपाल से भारत में कोरोना संक्रमण को रोकने में प्रशासन भी बेबस और नाकाम साबित हो रहा है. आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय पुलों को दोनों मुल्कों की आपसी सहमति से सप्ताह में दो दिन नियमित तौर पर खोले जाने की तैयारियां चल रही है, लेकिन बिना कोरोना जांच के नेपाली नागरिक भारत में प्रवेश करते हैं तो इससे भविष्य में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ना तय है.