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बेरीनागः नौलिंग बंजैंण मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन, सदियों से चल आ रही है परंपरा

बेरीनाग के उडियारी गांव के नौलिंग बंजैंण मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन किया जा रहा है. जहां ग्रामीण रात-दिन मंदिर में रहकर सामूहिक पूजा-अर्चना कर रहे हैं. माना जाता है कि जो लोग सच्ची श्रद्धा से आते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

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नौलिंग बंजैंण मंदिर
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Published : Oct 20, 2020, 7:19 PM IST

बेरीनागः देवभूमि उत्तराखंड में तमाम पौराणणिक और आस्था जुडे हुए कई मंदिर मौजूद हैं. जिनसे लोगों की गहरी आस्था जुड़ी है. ऐसा ही एक मंदिर बेरीनाग तहसील से 12 किलोमीटर दूर उडियारी गांव में बांज के जंगल में स्थित है. जिसे नौलिंग बंजैंण मंदिर के नाम से जाना जाता है. वैसे तो यहां पर सालभर श्रद्धालु पूजा-अर्चना का आयोजन करते हैं, लेकिन नवरात्र में यहां विशेष पूजा का आयोजन होता है. इन दिनों भी ग्रामीण मंदिर में रहकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं.

विशेष पूजा का आयोजन.

बता दें कि बेरीनाग के उडियारी गांव में भगवान मूल नारायण के दो पुत्र बंजैंण और नौलिंग का मंदिर स्थित है. घने बांज के जंगल के बीच में पुरानी शैली से बना हुआ यह मंदिर पूरे क्षेत्र में आस्था का केंद्र है. इस मंदिर में सालभर दूर दराज क्षेत्रों से भक्त पूजा-अर्चना, गोदान समेत सत्यनारायण कथा आदि के आयोजन के लिए पहुंचते हैं. माना जाता है कि जो श्रद्धालु यहां पर सच्ची श्रद्धा से आता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

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शारदीय नवरात्र में ग्रामीण 10 दिनों तक मंदिर में रहकर पूजा-अर्चना करते हैं. दस दिनों तक रोजना अलग-अलग परिवारों की ओर से सामूहिक पूजा का आयोजन भी होता है. यहां उसके बाद दोपहर में भोग लगाया जाता है. शाम के समय यहां पर भव्य आरती का आयोजन होता है. देव डांगर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हैं. नवमी के दिन यहां पर भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है. जिससे देखने के लिए दूरदराज क्षेत्रों से सैंकडों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. जिसमें झोड़ा चांचरी का आयोजन भी होता है. नवमी के दिन यहां पर लगने वाला मेला सदियों से अपनी पहचान बनाया हुआ है.

बेरीनागः देवभूमि उत्तराखंड में तमाम पौराणणिक और आस्था जुडे हुए कई मंदिर मौजूद हैं. जिनसे लोगों की गहरी आस्था जुड़ी है. ऐसा ही एक मंदिर बेरीनाग तहसील से 12 किलोमीटर दूर उडियारी गांव में बांज के जंगल में स्थित है. जिसे नौलिंग बंजैंण मंदिर के नाम से जाना जाता है. वैसे तो यहां पर सालभर श्रद्धालु पूजा-अर्चना का आयोजन करते हैं, लेकिन नवरात्र में यहां विशेष पूजा का आयोजन होता है. इन दिनों भी ग्रामीण मंदिर में रहकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं.

विशेष पूजा का आयोजन.

बता दें कि बेरीनाग के उडियारी गांव में भगवान मूल नारायण के दो पुत्र बंजैंण और नौलिंग का मंदिर स्थित है. घने बांज के जंगल के बीच में पुरानी शैली से बना हुआ यह मंदिर पूरे क्षेत्र में आस्था का केंद्र है. इस मंदिर में सालभर दूर दराज क्षेत्रों से भक्त पूजा-अर्चना, गोदान समेत सत्यनारायण कथा आदि के आयोजन के लिए पहुंचते हैं. माना जाता है कि जो श्रद्धालु यहां पर सच्ची श्रद्धा से आता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

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शारदीय नवरात्र में ग्रामीण 10 दिनों तक मंदिर में रहकर पूजा-अर्चना करते हैं. दस दिनों तक रोजना अलग-अलग परिवारों की ओर से सामूहिक पूजा का आयोजन भी होता है. यहां उसके बाद दोपहर में भोग लगाया जाता है. शाम के समय यहां पर भव्य आरती का आयोजन होता है. देव डांगर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हैं. नवमी के दिन यहां पर भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है. जिससे देखने के लिए दूरदराज क्षेत्रों से सैंकडों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. जिसमें झोड़ा चांचरी का आयोजन भी होता है. नवमी के दिन यहां पर लगने वाला मेला सदियों से अपनी पहचान बनाया हुआ है.

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