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जनकवि गिरीश तिवारी 'गिर्दा' को किया गया याद, गीत गाकर दी श्रद्धांजलि

पिथौरागढ़ महाविद्यालय में उत्तराखंड के जनकवि गिरीश तिवारी गिर्दा की 9वीं पुण्यतिथि के मौके पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस दौरान छात्रों ने उनके गीत गाकर श्रद्धांजलि दी.

जनकवि गिर्दा की पुण्यतिथि.
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Published : Aug 22, 2019, 5:36 PM IST

Updated : Aug 22, 2019, 5:47 PM IST

पिथौरागढ़: उत्तराखंड के जनकवि गिरीश तिवारी गिर्दा की 9वीं पुण्यतिथि के मौके पर पिथौरागढ़ महाविद्यालय में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस दौरान छात्रों ने जनगीत गाकर श्रद्धांजलि दी. कार्यक्रम में मौजूद वक्ताओं ने कहा कि गिर्दा के गीत, कविता और लोकनाटकों में जनता से जुड़े मुद्दे रहते थे. उत्तराखंड आंदोलन में गिर्दा के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता.

जनकवि गिरीश तिवारी गिर्दा की पुण्यतिथि.

गिर्दा की पुण्यतिथि के कार्यक्रम में छात्रों ने गिर्दा को याद किया. साथ ही उत्तराखंड आंदोलन और पर्यावरण संरक्षण में उनके योगदान को याद कर श्रद्धांजलि अर्पित की. छात्रों ने कहा कि गिर्दा का पहाड़ की माटी से विशेष लगाव था. जो उनकी कविताओं में साफ झलकता है.

पढ़ें: नगर निगम कार्यालय से 150 से ज्यादा फाइलें गायब, कार्रवाई के नाम पर महज खाना पूर्ति

वहीं, वक्ताओं ने कहा कि गिर्दा ने अपने समय में पदयात्राएं कर समाज को जागरूक करने का काम किया. गिर्दा का जीवन सदैव संघर्ष और कठिनाइयों में बिता. बावजूद इसके उन्होंने प्रतिरोध की स्वर को हमेशा बुलंद रखा.

पिथौरागढ़: उत्तराखंड के जनकवि गिरीश तिवारी गिर्दा की 9वीं पुण्यतिथि के मौके पर पिथौरागढ़ महाविद्यालय में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस दौरान छात्रों ने जनगीत गाकर श्रद्धांजलि दी. कार्यक्रम में मौजूद वक्ताओं ने कहा कि गिर्दा के गीत, कविता और लोकनाटकों में जनता से जुड़े मुद्दे रहते थे. उत्तराखंड आंदोलन में गिर्दा के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता.

जनकवि गिरीश तिवारी गिर्दा की पुण्यतिथि.

गिर्दा की पुण्यतिथि के कार्यक्रम में छात्रों ने गिर्दा को याद किया. साथ ही उत्तराखंड आंदोलन और पर्यावरण संरक्षण में उनके योगदान को याद कर श्रद्धांजलि अर्पित की. छात्रों ने कहा कि गिर्दा का पहाड़ की माटी से विशेष लगाव था. जो उनकी कविताओं में साफ झलकता है.

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वहीं, वक्ताओं ने कहा कि गिर्दा ने अपने समय में पदयात्राएं कर समाज को जागरूक करने का काम किया. गिर्दा का जीवन सदैव संघर्ष और कठिनाइयों में बिता. बावजूद इसके उन्होंने प्रतिरोध की स्वर को हमेशा बुलंद रखा.

Intro:पिथौरागढ़: उत्तराखंड के जनकवि गिरीश तिवारी गिर्दा की 9 वीं पुण्यतिथि के मौके पर पिथौरागढ़ महाविद्यालय में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान छात्रों ने गिर्दा के जनगीत गाकर उन्हें याद किया। साथ ही वक्ताओं ने कहा कि गिर्दा के गीत, कविता और लोकनाटकों में मेहनतकश जनता से जुड़े मुद्दे रहते थे। लोगों को जागरूक करने और उत्तराखण्ड आंदोलन में गिर्दा के योगदान को नही कभी भुलाया नही जा सकता।


Body:स्वर्गीय गिर्दा की पुण्यतिथि पर पिथौरागढ़ महाविद्यालय में आयोजित काव्यगोष्ठी में छात्रों ने गिर्दा के जीवन पर प्रकाश डाला। साथ ही उत्तराखण्ड आंदोलन और पर्यावरण संरक्षण में उनके योगदान को याद कर श्रद्धांजलि अर्पित की। छात्रों ने कहा कि गिर्दा का पहाड़ की माटी से विशेष लगाव था। जो उनकी कविताओं में साफ झलकता था। साथ ही वक्ताओं ने कहा कि गिर्दा ने अपने समय मे पदयात्राएं की और समाज को जागरूक करने का काम किया। गिर्दा का जीवन सदैव संघर्ष और कठिनाइयों में बिता। बावजूद इसके उन्होंने प्रतिरोध की स्वर को हमेशा बुलन्द किये रखा।

Byte: दिनेश जोशी, छात्र


Conclusion:
Last Updated : Aug 22, 2019, 5:47 PM IST
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