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नौलिंग और बजैंण देवता करते हैं भक्तों की मुरादें पूरी, नवरात्रि पर होता है खास पूजन

Nauling Bajain Temple in Berinag शारदीय नवरात्रि 2023 के मौके पर आप बेरीनाग के उडियारी गांव के नौलिंग बजैंण मंदिर के दर्शन कर सकते हैं. हालांकि, यह मंदिर देवी का नहीं है, लेकिन नवरात्रि पर यहां के दर्शन करने से मुरादें पूरी होती हैं. यह मंदिर नौलिंग और बजैंण देवता को समर्पित हैं, जो भगवान मूल नारायण के बेटे माने जाते हैं.

Nauling Devta Mandir
नौलिंग और बजैंण देवता का मंदिर
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 16, 2023, 4:48 PM IST

Updated : Oct 16, 2023, 5:25 PM IST

नौलिंग और बजैंण देवता करते हैं भक्तों की मुरादें पूरी

बेरीनागः उत्तराखंड में कई ऐसे मंदिर मौजूद हैं, जिनकी महिमा दूर-दूर तक है. जिनसें लोगों की गहरी आस्था जुड़ी है. ऐसा ही एक मंदिर बेरीनाग तहसील से 12 किलोमीटर दूरी पर चौकोड़ी के पास में उडियारी गांव में मौजूद है. जिसे नौलिंग और बजैंण मंदिर के नाम से जाना जाता है. यह भव्य मंदिर बांज के पेड़ों के झुरमुट के बीच में स्थित है. वैसे तो यहां पर सालभर श्रद्धालु पूजा अर्चना करते हैं, लेकिन नवरात्रि में यहां विशेष पूजा का आयोजन होता है. इन दिनों भी ग्रामीण मंदिर में रहकर पूजा अर्चना में लीन नजर आ रहे हैं.

Nauling Devta Mandir
नौलिंग बजैंण में पूजा

बता दें कि बेरीनाग के उडियारी गांव में भगवान मूल नारायण के दो पुत्र बजैंण और नौलिंग का मंदिर स्थित है. माना जाता है कि जो श्रद्धालु यहां पर सच्ची श्रद्धा से आता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. इस मंदिर में साल भर दूर दराज क्षेत्रों से भक्त पूजा अर्चना, गोदान समेत सत्यनारायण कथा आदि के आयोजन के लिए पहुंचते हैं. नवरात्रि के मौके पर ग्रामीण 10 दिनों तक मंदिर में रहकर पूजा अर्चना और भजन कीर्तन करते हैं.

Nauling Devta Mandir
नौलिंग और बजैंण देवता का मंदिर

दस दिनों तक रोजाना अलग-अलग परिवारों की ओर से सामूहिक पूजा का आयोजन भी होता है. पूजा के बाद दोपहर में भोग लगाया जाता है. शाम के वक्त मंदिर में भव्य आरती का आयोजन होता है. देव डांगर (जिन पर देवता अवतरित होते हैं) श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हैं. नवमी के दिन यहां पर भव्य मेले का आयोजन होता है. जिसमें दूर दराज क्षेत्रों से सैंकड़ों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. इस दौरान लोग झोड़ा चांचरी में जमकर झूमते हैं.
ये भी पढ़ेंः Shardiya Navratri 2023: हरिद्वार में नील पर्वत पर खंभ के रूप में विराजमान हैं मां चंडी देवी, जानें मंदिर की महिमा

नवमी के दिन यहां पर लगने वाला मेला सदियों से अपनी पहचान कायम रखा हुआ है. आज भी यह मंदिर स्वरूप क्षेत्र के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है. इससे पहले यह मंदिर पुरानी शैली से बना हुआ था, जिसे ग्रामीणों ने नया स्वरूप में तैयार किया है. जिसको बनाने में दो साल का समय लगा है. इतना ही नहीं मंदिर को बनाने में 60 लाख रुपए खर्च भी हो चुका है. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार और पर्यटन विभाग से एक रुपए का सहयोग उन्हें नहीं मिला.

Nauling Devta Mandir
नौलिंग बजैंण मंदिर में श्रद्धालु

अभी 20 लाख की धनराशि और खर्च होनी है, जिसके बाद मंदिर और भव्य रूप में नजर आएगी. आज भले ही सरकार धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से मानसखंड समेत अन्य योजनाओं से यहां के धार्मिक स्थलों को जोड़ रही है, लेकिन यहां पर ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से 60 लाख की धनराशि खर्च कर भव्य मंदिर का निर्माण कर दिया है, लेकिन सरकार और पर्यटन विभाग के नजर अब तक यहां पर नहीं पड़ी.

नौलिंग और बजैंण देवता करते हैं भक्तों की मुरादें पूरी

बेरीनागः उत्तराखंड में कई ऐसे मंदिर मौजूद हैं, जिनकी महिमा दूर-दूर तक है. जिनसें लोगों की गहरी आस्था जुड़ी है. ऐसा ही एक मंदिर बेरीनाग तहसील से 12 किलोमीटर दूरी पर चौकोड़ी के पास में उडियारी गांव में मौजूद है. जिसे नौलिंग और बजैंण मंदिर के नाम से जाना जाता है. यह भव्य मंदिर बांज के पेड़ों के झुरमुट के बीच में स्थित है. वैसे तो यहां पर सालभर श्रद्धालु पूजा अर्चना करते हैं, लेकिन नवरात्रि में यहां विशेष पूजा का आयोजन होता है. इन दिनों भी ग्रामीण मंदिर में रहकर पूजा अर्चना में लीन नजर आ रहे हैं.

Nauling Devta Mandir
नौलिंग बजैंण में पूजा

बता दें कि बेरीनाग के उडियारी गांव में भगवान मूल नारायण के दो पुत्र बजैंण और नौलिंग का मंदिर स्थित है. माना जाता है कि जो श्रद्धालु यहां पर सच्ची श्रद्धा से आता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. इस मंदिर में साल भर दूर दराज क्षेत्रों से भक्त पूजा अर्चना, गोदान समेत सत्यनारायण कथा आदि के आयोजन के लिए पहुंचते हैं. नवरात्रि के मौके पर ग्रामीण 10 दिनों तक मंदिर में रहकर पूजा अर्चना और भजन कीर्तन करते हैं.

Nauling Devta Mandir
नौलिंग और बजैंण देवता का मंदिर

दस दिनों तक रोजाना अलग-अलग परिवारों की ओर से सामूहिक पूजा का आयोजन भी होता है. पूजा के बाद दोपहर में भोग लगाया जाता है. शाम के वक्त मंदिर में भव्य आरती का आयोजन होता है. देव डांगर (जिन पर देवता अवतरित होते हैं) श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हैं. नवमी के दिन यहां पर भव्य मेले का आयोजन होता है. जिसमें दूर दराज क्षेत्रों से सैंकड़ों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. इस दौरान लोग झोड़ा चांचरी में जमकर झूमते हैं.
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नवमी के दिन यहां पर लगने वाला मेला सदियों से अपनी पहचान कायम रखा हुआ है. आज भी यह मंदिर स्वरूप क्षेत्र के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है. इससे पहले यह मंदिर पुरानी शैली से बना हुआ था, जिसे ग्रामीणों ने नया स्वरूप में तैयार किया है. जिसको बनाने में दो साल का समय लगा है. इतना ही नहीं मंदिर को बनाने में 60 लाख रुपए खर्च भी हो चुका है. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार और पर्यटन विभाग से एक रुपए का सहयोग उन्हें नहीं मिला.

Nauling Devta Mandir
नौलिंग बजैंण मंदिर में श्रद्धालु

अभी 20 लाख की धनराशि और खर्च होनी है, जिसके बाद मंदिर और भव्य रूप में नजर आएगी. आज भले ही सरकार धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से मानसखंड समेत अन्य योजनाओं से यहां के धार्मिक स्थलों को जोड़ रही है, लेकिन यहां पर ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से 60 लाख की धनराशि खर्च कर भव्य मंदिर का निर्माण कर दिया है, लेकिन सरकार और पर्यटन विभाग के नजर अब तक यहां पर नहीं पड़ी.

Last Updated : Oct 16, 2023, 5:25 PM IST
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