पिथौरागढ़: चीन और नेपाल बॉर्डर को जोड़ने वाली धारचूला की दारमा, व्यास और चौदास घाटियों का लंबे समय से शेष दुनिया से सम्पर्क कटा हुआ है. दारमा घाटी को जोड़ने वाली सड़क ढाई महीने से बंद है. वहीं, व्यास और चौंदास घाटियों में भी सड़कों का बुरा हाल है. रोड बंद होने से तीनों घाटियों के 90 से अधिक गांवों की 30 हजार से अधिक आबादी अलग-थलग पड़ी हुई है. हालात ये हैं कि कई गांवों में रोजमर्रा की जरूरी चीजों का संकट गहराने लगा है. सामरिक नजरिये से महत्वपूर्ण सड़कों के बंद होने से बॉर्डर पर तैनात आईटीबीपी, एसएसबी और सेना के जवानों को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है.
16 जून को आई आसमानी आफत ने दारमा और चौंदास घाटी को जोड़ने वाली सड़क को पूरी तरह तबाह कर डाला है. बॉर्डर की इस अहम रोड में दर्जनों जगह भारी लैंडस्लाइड हुआ है. जिसे हटाना सरकारी मशीनरी के लिए चुनौती बना हुआ है. व्यास घाटी को जोड़ने वाली सड़क भी खस्ताहाल है. लिपुलेख बॉर्डर को जोड़ने वाली सड़क व्यास घाटी से होकर जाती है. इस बार की बरसात ने बीआरओ की इस सड़क की पोल खोलकर रख दी है. इस सड़क पर दर्जनों लैंडस्लाइड प्रोन एरिया बन गए हैं. जहां बरसात के दौरान लगातार भारी मलबा गिर रहा है.
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सामरिक नजरिये से अहम है मार्ग: तीनों घाटियों में बंद पड़ी सड़कें सामरिक नजरिए से भी काफी अहम हैं. बॉर्डर पर तैनात सुरक्षा बल इन्हीं सड़कों से होकर सीमाओं की सुरक्षा के लिए जाते हैं. साथ ही जरूरी चीजों की आपूर्ति भी इसी सड़क से होती है. सड़क बंद होने से हजारों की आबादी के साथ ही सेना के जवानों को भी आवाजाही में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
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बॉर्डर रोड बंद होने से बढ़ी मुश्किलें: लंबे समय से मार्ग बंद होने से सीमांत के इलाकों में जरूरी चीजों का संकट पैदा हो गया है. गांव की छोटी दुकानों में जो समान बचा है उसकी कीमत कई गुना बढ़ गई है. यही नहीं इन आपदाग्रस्त इलाकों में घायलों और मरीजों के लिए तो परेशानियां और बढ़ गई हैं. सरकार ने बॉर्डर की तीनों घाटियों में आपदा और राहत कार्यों के संचालन के लिए के लिए एक हेलीकॉप्टर भी दिया है, लेकिन हजारों की आबादी के लिए ये इंतजाम भी नाकाफी साबित हो रहा है. प्राकृतिक आपदा ने तीनों घाटियों में जो तबाही मचाई है, उससे सड़कों के जल्द खुलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं. ऐसे में तय है कि आने वाले दिनों में भी तीनों घाटियों में रहने वाले लोगों के लिए फिलहाल कोई राहत के आसार नहीं हैं.
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घाटियों के ये गांव हैं प्रभावित
- दारमा घाटी के ये गांव हैं प्रभावित: सेला, चल, नागलिंग, बालिंग, बोन, फिलम, दुग्तू, सौन, दांतू, गो, ढाकर, तिदांग, मार्छा, सीपू
- व्यास घाटी के प्रभावित गांव: बूंदी, गर्ब्यांग, नपलच्यू, गुंजी, नाभी, रोंगकांग, कुटी.
- चौदास घाटी के प्रभावित गांव: पांगू, धारपांगू, तंतागांव, रौतों, हिमखोला, छलमाछिलासो, सोसा, नारायण आश्रम, सिर्खा, सिर्दांग, रुंग, कुरीला, जयकोट, पस्ती.