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बर्फबारी से हिमालयी पशु-पक्षियों की परेशानी बढ़ी, निचले इलाकों का कर रहे रुख - दुर्लभ पशु-पक्षी

बर्फबारी के चलते उच्च हिमालयी इलाकों में रहने वाले दुर्लभ पशु-पक्षी (rare Himalayan birds) निचले इलाकों का रुख करने लगे हैं.

दुर्लभ हिमालयी पक्षी
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Published : Feb 9, 2022, 12:38 PM IST

Updated : Feb 9, 2022, 2:35 PM IST

पिथौरागढ़: उत्तराखंड में बारिश और बर्फबारी का दौर जारी है. वहीं, उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हुई भारी बर्फबारी के चलते दुर्लभ हिमालयी पशु-पक्षियों (rare Himalayan birds) ने निचले इलाकों का रुख करना शुरू कर दिया है. बर्फबारी के चलते ऊंचे इलाकों में पेयजल स्रोत जमने लगे हैं और वन्यजीवों का भोजन भी बर्फ में दब गया है. इस कारण अपना अस्तित्व बचाने के लिए दुर्लभ जीव और पक्षी निचले इलाकों में प्रवास के लिए आने लगे हैं.

बर्फबारी से हिमालयी पशु-पक्षियों की परेशानी बढ़ी.

बता दें कि, 12 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर पाए जाने वाले कस्तूरी मृग, स्नो लेपर्ड, हिमालयन थार, ब्लू शीप, सफेद भालू, बार्किंग डीयर के साथ ही राज्य पक्षी मोनाल, स्नो कॉक, सत्यर ट्रैगोपान, रेड फ्रोन्टेड रोजफिंच, पिंक ब्रोवेड रोजफिंच, बेर्डेड वल्चर इत्यादि हिमालयी पशु-पक्षी 4 हजार फीट नीचे घाटी वाले इलाकों में दिखाई देने लगे हैं. ये नजारा स्थानीय लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है.

आमतौर पर हिमालयी पशु-पक्षी दिसंबर माह में बर्फबारी के बाद निचले इलाकों का रुख करते हैं मगर इस बार उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी जनवरी के पहले सप्ताह से शुरू हुई है. उच्च हिमालयी क्षेत्रों में इस वक्त तापमान माइनस 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे पहुंच गया है. जिस कारण ये वन्यजीव ठंड और बर्फबारी से बचने के लिए घाटी के जंगलों में पहुंचने लगे हैं. दारमा घाटी के साथ ही खलियाटॉप, स्यूनी, मपांग क्षेत्र में भी दुर्लभ पशु-पक्षियों के झुंड दिखाई दे रहे हैं.

मोनाल संस्था के सचिव सुरेंद्र पंवार ने बताया कि शीतकाल में ऊंचाई वाले इलाके बर्फ से पूरी तरह कवर हो जाते हैं. जिस कारण हिमालयी पशु पक्षियों को भोजन और पानी के संकट से जूझना पड़ता है. यही वजह है कि हर साल शीतकाल के दौरान दुर्लभ पशु-पक्षी निचले इलाकों में दिखाई देते हैं.

पढ़ें: Uttarakhand Weather: उत्तराखंड में बारिश और बर्फबारी का दौर जारी, रहिए सावधान

उच्च हिमालयी इलाकों में रहने वाले एक्सेंटर पक्षियों (यूरोपीय छोटे पक्षी) की दुनिया में 13 प्रजातियां पाई जाती हैं. भारत में इनकी सात प्रजातियां देखने को मिलती हैं. इनमें से रॉबिन, अल्पाइन, अलताई, रूफस ब्रेस्टेड, ब्राउन और ब्लैक थ्रोटेड एक्सेंटर मुनस्यारी के उच्च हिमालयी क्षेत्र में पाई जाती हैं. इन पक्षियों के क्षेत्र में दिखने से बर्ड वॉचरों में खुशी की लहर है. ये सभी एक्सेंटर पक्षी फरवरी से मार्च तक मुनस्यारी क्षेत्र में देखने को मिलती हैं. देश-विदेश से बर्ड वॉचर इस सीजन में दुर्लभ पक्षियों की तस्वीरों को अपने कैमरे में कैद करने के लिए मुनस्यारी खिंचे चले आते हैं. मुनस्यारी क्षेत्र में लंबे समय से बर्ड वॉचिंग कर रहे मोनाल संस्था के सुरेंद्र पंवार ने बताया कि इस महीने एक्सेंटर पक्षी अच्छी संख्या में देखने को मिल रहे हैं. मुनस्यारी क्षेत्र में फरवरी और मार्च के महीने में इन्हें देखा जा सकता है.

पिथौरागढ़: उत्तराखंड में बारिश और बर्फबारी का दौर जारी है. वहीं, उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हुई भारी बर्फबारी के चलते दुर्लभ हिमालयी पशु-पक्षियों (rare Himalayan birds) ने निचले इलाकों का रुख करना शुरू कर दिया है. बर्फबारी के चलते ऊंचे इलाकों में पेयजल स्रोत जमने लगे हैं और वन्यजीवों का भोजन भी बर्फ में दब गया है. इस कारण अपना अस्तित्व बचाने के लिए दुर्लभ जीव और पक्षी निचले इलाकों में प्रवास के लिए आने लगे हैं.

बर्फबारी से हिमालयी पशु-पक्षियों की परेशानी बढ़ी.

बता दें कि, 12 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर पाए जाने वाले कस्तूरी मृग, स्नो लेपर्ड, हिमालयन थार, ब्लू शीप, सफेद भालू, बार्किंग डीयर के साथ ही राज्य पक्षी मोनाल, स्नो कॉक, सत्यर ट्रैगोपान, रेड फ्रोन्टेड रोजफिंच, पिंक ब्रोवेड रोजफिंच, बेर्डेड वल्चर इत्यादि हिमालयी पशु-पक्षी 4 हजार फीट नीचे घाटी वाले इलाकों में दिखाई देने लगे हैं. ये नजारा स्थानीय लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है.

आमतौर पर हिमालयी पशु-पक्षी दिसंबर माह में बर्फबारी के बाद निचले इलाकों का रुख करते हैं मगर इस बार उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी जनवरी के पहले सप्ताह से शुरू हुई है. उच्च हिमालयी क्षेत्रों में इस वक्त तापमान माइनस 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे पहुंच गया है. जिस कारण ये वन्यजीव ठंड और बर्फबारी से बचने के लिए घाटी के जंगलों में पहुंचने लगे हैं. दारमा घाटी के साथ ही खलियाटॉप, स्यूनी, मपांग क्षेत्र में भी दुर्लभ पशु-पक्षियों के झुंड दिखाई दे रहे हैं.

मोनाल संस्था के सचिव सुरेंद्र पंवार ने बताया कि शीतकाल में ऊंचाई वाले इलाके बर्फ से पूरी तरह कवर हो जाते हैं. जिस कारण हिमालयी पशु पक्षियों को भोजन और पानी के संकट से जूझना पड़ता है. यही वजह है कि हर साल शीतकाल के दौरान दुर्लभ पशु-पक्षी निचले इलाकों में दिखाई देते हैं.

पढ़ें: Uttarakhand Weather: उत्तराखंड में बारिश और बर्फबारी का दौर जारी, रहिए सावधान

उच्च हिमालयी इलाकों में रहने वाले एक्सेंटर पक्षियों (यूरोपीय छोटे पक्षी) की दुनिया में 13 प्रजातियां पाई जाती हैं. भारत में इनकी सात प्रजातियां देखने को मिलती हैं. इनमें से रॉबिन, अल्पाइन, अलताई, रूफस ब्रेस्टेड, ब्राउन और ब्लैक थ्रोटेड एक्सेंटर मुनस्यारी के उच्च हिमालयी क्षेत्र में पाई जाती हैं. इन पक्षियों के क्षेत्र में दिखने से बर्ड वॉचरों में खुशी की लहर है. ये सभी एक्सेंटर पक्षी फरवरी से मार्च तक मुनस्यारी क्षेत्र में देखने को मिलती हैं. देश-विदेश से बर्ड वॉचर इस सीजन में दुर्लभ पक्षियों की तस्वीरों को अपने कैमरे में कैद करने के लिए मुनस्यारी खिंचे चले आते हैं. मुनस्यारी क्षेत्र में लंबे समय से बर्ड वॉचिंग कर रहे मोनाल संस्था के सुरेंद्र पंवार ने बताया कि इस महीने एक्सेंटर पक्षी अच्छी संख्या में देखने को मिल रहे हैं. मुनस्यारी क्षेत्र में फरवरी और मार्च के महीने में इन्हें देखा जा सकता है.

Last Updated : Feb 9, 2022, 2:35 PM IST
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