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बर्फबारी से हिमालयी पशु-पक्षियों की परेशानी बढ़ी, निचले इलाकों का कर रहे रुख

बर्फबारी के चलते उच्च हिमालयी इलाकों में रहने वाले दुर्लभ पशु-पक्षी निचले इलाकों का रुख करने लगे हैं.

Rare animals and birds
Rare animals and birds
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Published : Jan 13, 2021, 8:17 PM IST

पिथौरागढ़: उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हुई भारी बर्फबारी के चलते दुर्लभ हिमालयी पशु-पक्षियों ने निचले इलाकों का रुख करना शुरू कर दिया है. बर्फबारी के चलते ऊंचे इलाकों में पेयजल स्रोत जमने लगे हैं और वन्यजीवों का भोजन भी बर्फ में दब गया है. जिस कारण अपना अस्तित्व बचने के लिए दुर्लभ जीव और पक्षी निचले इलाकों में प्रवास के लिए आने लगे हैं.

snow fall
दारमा घाटी में बर्फबारी का नजारा.

12 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर पाए जाने वाले कस्तूरी मृग, स्नो लेपर्ड, हिमालयन थार, ब्लू शीप, सफेद भालू, बार्किंग डीयर के साथ ही राज्य पक्षी मोनाल, स्नो कॉक, सत्यर ट्रैगोपान, रेड फ्रोन्टेड रोजफिंच, पिंक ब्रोवेड रोजफिंच, बेर्डेड वल्चर इत्यादि हिमालयी पशु-पक्षी 4 हजार फीट नीचे घाटी वाले इलाकों में दिखाई देने लगे हैं. ये नजारा स्थानीय लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है.

आमतौर पर हिमालयी पशु-पक्षी दिसम्बर माह में बर्फबारी के बाद निचले इलाकों का रुख करते हैं. मगर इस बार उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी जनवरी के पहले सप्ताह से शुरू हुई है. उच्च हिमालयी क्षेत्रों में इस वक्त तापमान माइनस 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे पहुंच गया है. जिस कारण ये वन्यजीव ठंड और बर्फबारी से बचने के लिए घाटी के जंगलों में पहुंचने लगे हैं.

दारमा घाटी के साथ ही खलियाटॉप, स्यूनी, मपांग क्षेत्र में इन दुर्लभ पशु पक्षियों के झुंड दिखाई दे रहे हैं. मोनाल संस्था के सचिव सुरेंद्र पंवार ने बताया कि शीतकाल में ऊंचाई वाले इलाके बर्फ से पूरी तरह कवर हो जाते हैं. जिस कारण हिमालयी पशु पक्षियों को भोजन और पानी के संकट से जूझना पड़ता है. यही वजह है कि हर साल शीतकाल के दौरान दुर्लभ पशु पक्षी निचले इलाकों में दिखाई देते हैं.

पढ़ेंः उत्तराखंड पहुंची 'कोविशील्ड' वैक्सीन, 94 हजार फ्रंटलाइन वर्कर्स को लगेगा टीका

वन्य जीव तस्कर भी हुए सक्रिय

शीतकाल में हिमालयी वन्यजीवों के निचले इलाकों में आते ही क्षेत्र में वन्य जीव तस्कर भी सक्रिय हो गए हैं. पंचाचूली की तलहटी के साथ ही बुंगलिंग, दर, चौदास, सरमोली इत्यादि के जंगलों को वन्य जीव तस्कर आग के हवाले करने में जुटे हुए हैं. दुर्लभ वन्य जीवों के अंगों को बेचकर मोटी रकम कमाने के उद्देश्य से शिकारी जंगलों को आग के हवाले कर वन्य जीवों को ट्रैप कर रहे हैं.

पिथौरागढ़: उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हुई भारी बर्फबारी के चलते दुर्लभ हिमालयी पशु-पक्षियों ने निचले इलाकों का रुख करना शुरू कर दिया है. बर्फबारी के चलते ऊंचे इलाकों में पेयजल स्रोत जमने लगे हैं और वन्यजीवों का भोजन भी बर्फ में दब गया है. जिस कारण अपना अस्तित्व बचने के लिए दुर्लभ जीव और पक्षी निचले इलाकों में प्रवास के लिए आने लगे हैं.

snow fall
दारमा घाटी में बर्फबारी का नजारा.

12 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर पाए जाने वाले कस्तूरी मृग, स्नो लेपर्ड, हिमालयन थार, ब्लू शीप, सफेद भालू, बार्किंग डीयर के साथ ही राज्य पक्षी मोनाल, स्नो कॉक, सत्यर ट्रैगोपान, रेड फ्रोन्टेड रोजफिंच, पिंक ब्रोवेड रोजफिंच, बेर्डेड वल्चर इत्यादि हिमालयी पशु-पक्षी 4 हजार फीट नीचे घाटी वाले इलाकों में दिखाई देने लगे हैं. ये नजारा स्थानीय लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है.

आमतौर पर हिमालयी पशु-पक्षी दिसम्बर माह में बर्फबारी के बाद निचले इलाकों का रुख करते हैं. मगर इस बार उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी जनवरी के पहले सप्ताह से शुरू हुई है. उच्च हिमालयी क्षेत्रों में इस वक्त तापमान माइनस 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे पहुंच गया है. जिस कारण ये वन्यजीव ठंड और बर्फबारी से बचने के लिए घाटी के जंगलों में पहुंचने लगे हैं.

दारमा घाटी के साथ ही खलियाटॉप, स्यूनी, मपांग क्षेत्र में इन दुर्लभ पशु पक्षियों के झुंड दिखाई दे रहे हैं. मोनाल संस्था के सचिव सुरेंद्र पंवार ने बताया कि शीतकाल में ऊंचाई वाले इलाके बर्फ से पूरी तरह कवर हो जाते हैं. जिस कारण हिमालयी पशु पक्षियों को भोजन और पानी के संकट से जूझना पड़ता है. यही वजह है कि हर साल शीतकाल के दौरान दुर्लभ पशु पक्षी निचले इलाकों में दिखाई देते हैं.

पढ़ेंः उत्तराखंड पहुंची 'कोविशील्ड' वैक्सीन, 94 हजार फ्रंटलाइन वर्कर्स को लगेगा टीका

वन्य जीव तस्कर भी हुए सक्रिय

शीतकाल में हिमालयी वन्यजीवों के निचले इलाकों में आते ही क्षेत्र में वन्य जीव तस्कर भी सक्रिय हो गए हैं. पंचाचूली की तलहटी के साथ ही बुंगलिंग, दर, चौदास, सरमोली इत्यादि के जंगलों को वन्य जीव तस्कर आग के हवाले करने में जुटे हुए हैं. दुर्लभ वन्य जीवों के अंगों को बेचकर मोटी रकम कमाने के उद्देश्य से शिकारी जंगलों को आग के हवाले कर वन्य जीवों को ट्रैप कर रहे हैं.

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