पिथौरागढ़: जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर काबिज होना कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर बन गया है, फिलहाल यहां अध्यक्ष का पद महिला ओबीसी सदस्य के लिए आरक्षित किया गया है. ऐसे में 33 सदस्यों की जिला पंचायत में सिर्फ 2 ही महिला ओबीसी दावेदार जीती हैं. आलम ये है कि जीती हुई दोनों ही सदस्य बीजेपी समर्थित हैं. अब हालात ये हैं कि कांग्रेस के लिए अध्यक्ष का दावेदार खोजना भी भारी पड़ रहा है.
कांग्रेस की दबदबे वाली पिथौरागढ़ जिला पंचायत सीट में इस बार पंजा बूरी तरह फंस गया है. जिला पचांयत के नंबर गेम में तो बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस पिछड़ी ही थी, लेकिन अध्यक्ष पद के लिए जारी अनंतिम आरक्षण ने उसे कहीं का नहीं छोड़ा. पिथौरागढ़ जिला पंचायत अध्यक्ष पद को इस बार महिला ओबीसी सदस्य के लिए आरक्षित किया गया है, लेकिन हैरानी इस बात की है कि कांग्रेस की कोई भी महिला ओबीसी दावेदार जिला पंचायत सदस्य भी नहीं बन पाई, जिस कारण बीजेपी पहले से ही जीत का जश्न मना रही है.
बता दें, 33 सदस्यों की जिला पंचायत में इस बार दीपिका बोरा और नेहा बोरा ही ओबीसी महिला सदस्य हैं. ये दोनों भाजपा की समर्थित उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में उतरी थीं. ऐसे में यह तय है कि इन दोनों महिला सदस्यों में से ही एक के सिर अध्यक्ष का ताज सजना है. ऐसे में जाहिर है कि कांग्रेस को अध्यक्ष के एक अदद उम्मीदवार के लिए भी तरसना पड़ सकता है.
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कांग्रेस की उम्मीद अब पूरी तरह 29 अक्टूबर को जारी होने वाली अंतिम आरक्षण सूची पर टिकी है. अगर इस सूची में कोई बदलाव होता है तो ही पिथौरागढ़ अध्यक्ष पद पर मुकाबले के आसार बन सकते हैं, नहीं तो तय है कि बीजेपी के दोनों हाथों में लड्डू है और कांग्रेस की झोली खाली है.