पिथौरागढ़: 'रोड नहीं तो वोट नहीं' के नारे को अमलीजामा पहनाते हुए कनार पोलिंग बूथ के ग्रामीणों ने विधानसभा चुनाव मतदान का पूर्ण बहिष्कार किया. कनार पोलिंग बूथ के 588 मतदाताओं ने 14 फरवरी को मतदान के बजाए अपने दैनिक कार्य किये. कनार के ग्रामीण सड़क की मांग को लेकर इससे पहले लोकसभा चुनाव का भी बहिष्कार कर चुके हैं.
उत्तराखंड के सबसे दुर्गम इलाकों में शुमार कनार तक पहुंचने के लिए बरम से 16 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है. आलम ये है कि यहां लोगों को जरूरी सामान पीठ पर या घोड़े-खच्चरों पर लादकर ढोना पड़ता है. यही नहीं, गांव में किसी के बीमार होने पर या गर्भवती महिलाओं को डोली में लादकर 16 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है. कनार क्षेत्र के ग्रामीण लम्बे समय से सड़क की मांग कर रहे हैं लेकिन किसी भी सरकार ने उनकी नहीं सुनी है.
आजादी के साढ़े 7 दशक बाद भी कनार क्षेत्र के लोगों का सड़क का सपना, सपना ही बनकर रह गया है. ऐसे में ग्रामीणों के पास अपनी मांगों को मनवाने के लिए मतदान बहिष्कार का ही रास्ता शेष रह गया है. ग्रामीणों का कहना है कि उनकी लोकतंत्र के प्रति पूर्ण आस्था है लेकिन शासन-प्रशासन के उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण मतदान बहिष्कार करने को मजबूर हैं.
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हीपा पोलिंग बूथ पर पड़े सिर्फ 6 वोट: सड़क न बनने से नाराज हीपा गांव के लोगों ने भी मतदान का बहिष्कार किया. हिपा पोलिंग बूथ पर केवल 6 लोगों ने ही मतदान किया. हीपा पोलिंग बूथ में हीपा, बैरीगांव, सिल्दूं, भैंसिया ओडियार गांव के कुल 456 मतदाता पंजीकृत थे, लेकिन 14 फरवरी को हुए मतदान के दिन बूथ पर मात्र 6 वोट पड़े.