पिथौरागढ़: धारचूला में काली नदी के किनारे हो रहे तटबंध निर्माण को लेकर नेपाल की ओर से कड़ी आपत्ति जताई जा रही है. साथ ही नेपाल ने 2013 में आई आपदा के जख्म एक बार फिर ताजा कर दिए हैं. नेपाली प्रशासन का कहना है कि 2013 में धौलीगंगा परियोजना से अतिरिक्त पानी छोड़े जाने के कारण नेपाल में 56 घरों को नुकसान हुआ था. साथ ही काली नदी के कटाव के कारण नेपाल का भू-भाग भारत के हिस्से में चला गया है.
नेपाल का कहना है कि भारतीय क्षेत्र में तटबंध बनने से नेपाली के इलाके को खतरा है. बता दें कि धारचूला में इन दिनों काली नदी के किनारे सैन्य क्षेत्र से सटे इलाके में तटबंध का निर्माण सिंचाई विभाग द्वारा किया जा रहा है. नेपाल का कहना है कि तटबंध बनने से नेपाल के विद्रावन क्षेत्र को खतरा है. ऐसे में दोनों देशों के रोटी बेटी के रिश्ते को ध्यान में रखते हुए भारत को तटबंध का निर्माण बन्द करना चाहिए.
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नेपाली समाचार पत्रों के माध्यम से भी नेपाल तटबंध निर्माण को लेकर सवाल खड़े कर रहा है. साथ ही नेपाल ने 2013 में आई आपदा के लिए धौलीगंगा बांध को जिम्मेदार ठहराया है. नेपाल के महाकाली नगरपालिका प्रमुख हंसराज भट्ट ने कहा कि भारत में बांध से पानी छोड़े जाने पर काली नदी का बहाव बदला है. जिसमें नेपाल की भूमि भारतीय हिस्से में चले गयी है.
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दार्चुला की सहायक प्रमुख जिलाधिकारी ज्योत्सना भट्ट जोशी ने कहा कि 2013 में आई आपदा में काली नदी ने कई जगह सीमा पर भोगौलिक परिवर्तन किया है. ऐसे में भारत को नेपाल की चिंता समझनी चाहिए. वहीं एसडीएम धारचूला अनिल कुमार शुक्ल का कहना है कि तटबंध का निर्माण भारत अपनी भूमि पर कर रहा है, जो सुरक्षा की दृष्टि से जरूरी है. इस पर किसी भी प्रकार का विवाद खड़ा करना उचित नहीं है.