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ल्यूकोस्किन से बदली लाखों मरीजों की जिंदगी, रक्षा मंत्रालय को मिली ढाई करोड़ की रॉयल्टी

पिथौरागढ़ पहुंचे केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट ने सफेद दाग की दवा ल्यूकोस्किन के बारे में जानकारी दी. उन्होंने ने बताया कि ल्यूकोस्किन दवा ने लाखों मरीजों की जिंदगी बदली है. इस दवा की खोज से रक्षा मंत्रालय को ढाई करोड़ की रॉयल्टी भी मिली है.

Leukoskin drug changed the lives of Leukoderma patients
सफेद दाग की दवा ल्यूकोस्किन
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Published : Dec 25, 2021, 8:06 PM IST

Updated : Dec 25, 2021, 8:14 PM IST

पिथौरागढ़: डीआरडीओ द्वारा बनाई गई दवा ल्यूकोस्किन (Leukoskin drug made by DRDO) सफेद दाग से जुझ रहे मरीजों के लिए काफी कारगर साबित हो रही है. केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट (Union Minister of State for Defense Ajay Bhatt) ने बताया रक्षा मंत्रालय की लैब (Defense Ministry Lab) में तैयार ल्यूकोस्किन दवा से अब तक 1 लाख से अधिक लोग ठीक हो चुके हैं. यही नहीं रक्षा मंत्रालय को इस दवाई से ढाई करोड़ की रॉयल्टी भी मिली है.

अजय भट्ट ने बताया कि अब डीआरडीओ की लैब में जनउपयोगी दवाईयों के साथ ही स्थानीय उत्पादों के उन्नत बीज भी तैयार हो रहे हैं. जिससे देश के बॉर्डर इलाकों में रहने वालों को खासा फायदा होगा.

पिथौरागढ़ स्थित रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defense Research and Development Organization) ने अब तक लाइलाज माने जाने वाले सफेद दाग यानि ल्यूकोडर्मा की प्रभावी दवा ल्यूकोस्किन (Leukoderma drug Effective for Leukoskin)की मदद से लाखों रोगियों को ठीक कर दिया है. जानकारी के मुताबिक, हिमालयी जड़ी-बूटियों से तैयार हुई ये दवा सफेद दाग की समस्या (white spots problem) के लिए काफी प्रभावशाली है, जो जल्द से जल्द इस समस्या से छुटकारा दिलाती है.

सफेद दाग की दवा ल्यूकोस्किन

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में शनिवार को मिले 42 कोरोना मरीज, बंगाल का पर्यटक मिला पॉजिटिव

इस दवा की मदद से कई रोगियों की जिंदगी में फिर से खुशहाली लौट आयी है. इस तकनीक को कुछ साल पहले नई दिल्ली की एमिल फार्मास्युटिकल को हस्तांतरित किया गया था. मौजूदा समय में यह ल्यूकोस्किन एक प्रभावी दवा के रूप में अपनी पहचान बना चुकी है. ल्यूकोस्किन दवा बनाने वाले वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. हेमंत कुमार को 2020 में साइंटिस्ट ऑफ द ईयर अवार्ड (Scientist of the Year Award) से भी सम्मानित किया गया था.

डॉ. हेमंत कुमार पिथौरागढ़ स्थिति रक्षा जैव ऊर्जा अनुसंधान संस्थान (Defense Bio-Energy Research Institute) में वरिष्ठ वैज्ञानिक पद पर तैनात हैं. इस संस्थान में वह लगभग 25 सालों से हिमालय क्षेत्र की जड़ी-बूटियों पर शोध (Research on Herbs of the Himalayas) कर रहे हैं. अभी तक, वह 6 दवाओं और हर्बल उत्पादों की खोज कर चुके हैं, लेकिन उनकी सबसे बड़ी खोज सफेद दाग यानी ल्यूकोडर्मा की दवा ल्यूकोस्किन की खोज करना है.

पिथौरागढ़: डीआरडीओ द्वारा बनाई गई दवा ल्यूकोस्किन (Leukoskin drug made by DRDO) सफेद दाग से जुझ रहे मरीजों के लिए काफी कारगर साबित हो रही है. केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट (Union Minister of State for Defense Ajay Bhatt) ने बताया रक्षा मंत्रालय की लैब (Defense Ministry Lab) में तैयार ल्यूकोस्किन दवा से अब तक 1 लाख से अधिक लोग ठीक हो चुके हैं. यही नहीं रक्षा मंत्रालय को इस दवाई से ढाई करोड़ की रॉयल्टी भी मिली है.

अजय भट्ट ने बताया कि अब डीआरडीओ की लैब में जनउपयोगी दवाईयों के साथ ही स्थानीय उत्पादों के उन्नत बीज भी तैयार हो रहे हैं. जिससे देश के बॉर्डर इलाकों में रहने वालों को खासा फायदा होगा.

पिथौरागढ़ स्थित रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defense Research and Development Organization) ने अब तक लाइलाज माने जाने वाले सफेद दाग यानि ल्यूकोडर्मा की प्रभावी दवा ल्यूकोस्किन (Leukoderma drug Effective for Leukoskin)की मदद से लाखों रोगियों को ठीक कर दिया है. जानकारी के मुताबिक, हिमालयी जड़ी-बूटियों से तैयार हुई ये दवा सफेद दाग की समस्या (white spots problem) के लिए काफी प्रभावशाली है, जो जल्द से जल्द इस समस्या से छुटकारा दिलाती है.

सफेद दाग की दवा ल्यूकोस्किन

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इस दवा की मदद से कई रोगियों की जिंदगी में फिर से खुशहाली लौट आयी है. इस तकनीक को कुछ साल पहले नई दिल्ली की एमिल फार्मास्युटिकल को हस्तांतरित किया गया था. मौजूदा समय में यह ल्यूकोस्किन एक प्रभावी दवा के रूप में अपनी पहचान बना चुकी है. ल्यूकोस्किन दवा बनाने वाले वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. हेमंत कुमार को 2020 में साइंटिस्ट ऑफ द ईयर अवार्ड (Scientist of the Year Award) से भी सम्मानित किया गया था.

डॉ. हेमंत कुमार पिथौरागढ़ स्थिति रक्षा जैव ऊर्जा अनुसंधान संस्थान (Defense Bio-Energy Research Institute) में वरिष्ठ वैज्ञानिक पद पर तैनात हैं. इस संस्थान में वह लगभग 25 सालों से हिमालय क्षेत्र की जड़ी-बूटियों पर शोध (Research on Herbs of the Himalayas) कर रहे हैं. अभी तक, वह 6 दवाओं और हर्बल उत्पादों की खोज कर चुके हैं, लेकिन उनकी सबसे बड़ी खोज सफेद दाग यानी ल्यूकोडर्मा की दवा ल्यूकोस्किन की खोज करना है.

Last Updated : Dec 25, 2021, 8:14 PM IST
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