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शहादत की परंपरा को आगे बढ़ाता सीमांत जिला पिथौरागढ़, दो शहीदों के नाम हुए शामिल - शहीद नायक शंकर मेहरा

शहीद नायक शंकर और हवलदार गोकर्ण की शहादत पर जहां हर कोई फक्र महसूस कर रहा है, वहीं इनके जाने का गम भी लोगों को रूला रहा है.

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शहीद
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Published : May 4, 2020, 10:25 PM IST

Updated : May 24, 2020, 7:28 PM IST

पिथौरागढ़: देश की सुरक्षा पर जब भी संकट के बादल मंडराए हैं, पिथौरागढ़ के जवान कभी पीछे नहीं हटे. शहादत की इसी परंपरा को फिर से बुलंदियों पर पहुंचाया है जाबांज शहीद नायक शंकर और हवलदार गोकर्ण सिंह ने. शुक्रवार को बारामुला में पाकिस्तानी हमले में पिथौरागढ़ जिले के दोनों जवान शहीद हो गए थे. देश भक्ति से लवरेज इन जवानों ने भले ही मातृभूमि का कर्ज चुकता कर दिया हो. लेकिन रिश्तों का दायित्व वे पूरा नहीं कर पाए.

शहादत को सलाम.

शहीद नायक शंकर और हवलदार गोकर्ण की शहादत पर जहां हर कोई फक्र महसूस कर रहा है, वहीं इनके जाने का गम भी लोगों को रूला रहा है. शहीद शंकर जहां अपने पीछे बूढ़े मां-बाप एक छोटे बेटे और पत्नी को छोड़ गए हैं.

पढ़ें: शहीद शंकर को तिरंगे में लिपटा देख फूट-फूट कर रोया पूरा गांव, पिता बोले- बेटे ने मेरा सीना चौड़ा कर दिया

वहीं गोकर्ण भी अपने पीछे पत्नी, बेटी और बेटे को छोड़ गए. जवानों की शहादत पर आज पिथौरागढ़ ही नहीं बल्कि पूरा उत्तराखंड शोक में डूबा हुआ है. देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले इन जाबांजों के लिए बस यही कहा जा सकता है कि, शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मिटने वालों का ये ही बाकि निशां होगा.

पिथौरागढ़: देश की सुरक्षा पर जब भी संकट के बादल मंडराए हैं, पिथौरागढ़ के जवान कभी पीछे नहीं हटे. शहादत की इसी परंपरा को फिर से बुलंदियों पर पहुंचाया है जाबांज शहीद नायक शंकर और हवलदार गोकर्ण सिंह ने. शुक्रवार को बारामुला में पाकिस्तानी हमले में पिथौरागढ़ जिले के दोनों जवान शहीद हो गए थे. देश भक्ति से लवरेज इन जवानों ने भले ही मातृभूमि का कर्ज चुकता कर दिया हो. लेकिन रिश्तों का दायित्व वे पूरा नहीं कर पाए.

शहादत को सलाम.

शहीद नायक शंकर और हवलदार गोकर्ण की शहादत पर जहां हर कोई फक्र महसूस कर रहा है, वहीं इनके जाने का गम भी लोगों को रूला रहा है. शहीद शंकर जहां अपने पीछे बूढ़े मां-बाप एक छोटे बेटे और पत्नी को छोड़ गए हैं.

पढ़ें: शहीद शंकर को तिरंगे में लिपटा देख फूट-फूट कर रोया पूरा गांव, पिता बोले- बेटे ने मेरा सीना चौड़ा कर दिया

वहीं गोकर्ण भी अपने पीछे पत्नी, बेटी और बेटे को छोड़ गए. जवानों की शहादत पर आज पिथौरागढ़ ही नहीं बल्कि पूरा उत्तराखंड शोक में डूबा हुआ है. देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले इन जाबांजों के लिए बस यही कहा जा सकता है कि, शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मिटने वालों का ये ही बाकि निशां होगा.

Last Updated : May 24, 2020, 7:28 PM IST
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