ETV Bharat / state

उत्तराखंड में पशुओं में तेजी से फैल रहा है लंपी वायरस, बागेश्वर में तीन जानवरों की मौत

पिथौरागढ़ और बागेश्वर के कुछ क्षेत्रों में गायों में लंपी वायरस फैला हुआ है. इसके साथ ही पशु चिकित्सा विभाग में अधिकारियों के पद रिक्त होने के कारण पशुओं को समय से उपचार भी नहीं मिल पा रहा है. जिसके कारण उनकी मौत हो रही है. बागेश्वर में तीन मवेशियों की मौत हो चुकी है.

पशुओं में तेजी से फैल रहा है लंपी स्कीन डिसीज वायरस
पशुओं में तेजी से फैल रहा है लंपी स्कीन डिसीज वायरस
author img

By

Published : May 6, 2023, 1:08 PM IST

Updated : May 6, 2023, 7:05 PM IST

उत्तराखंड में पशुओं में तेजी से फैल रहा है लंपी वायरस

पिथौरागढ़/बागेश्वर: पिथौरागढ़ जनपद में पशुओं में लंपी स्किन डिजीज वायरस बड़ी तेजी से फैल रहा है. बागेश्वर में अभी तक दो दर्जन पशुओं में लंपी के लक्षण दिखे हैं. तीन जानवरों की मौत हो चुकी है. चिंताजनक हालात यह हैं कि ऐसे समय में भी पशु चिकित्सा विभाग में एक दर्जन से अधिक अस्पतालों में पशु चिकित्सा अधिकारियों के पद खाली पड़े हुए हैं. इसके साथ कई अस्पतालों में फार्मासिस्ट व पशुधन प्रसार अधिकारियों के पदों पर भी कई वर्षों से भर्ती नहीं हुई है. एक पशु चिकित्सा अधिकारी दो से अधिक पशु अस्पतालों का कार्य देख रहे हैं. इस हालत में इन अधिकारियों का ग्रामीण स्तर पर जाना मुश्किल हो गया है. सरकार व जिम्मेदार विभाग की लापरवाही से अब लंपी स्किन डिजीज वायरस, ग्रामीण क्षेत्रों में अपना कहर बरपा रहा है.

ये हैं लंपी वायरस के लक्षण: इस वायरस के प्रकोप से पशुओं के पूरे शरीर मे बड़े-बड़े दाने निकल रहे हैं. फिर पशुओं को तेज बुखार आ रहा है. पशु खाना पीना छोड़ रहे हैं. करीब एक सप्ताह के बाद पशु अपनी जगह पर से उठ नहीं पा रहे हैं. समय से उपचार नहीं मिलने के कारण पशुओं की मौत भी हो रही है. पशु स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारियों की कमी के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं को समय से उपचार नहीं मिल पा रहा है. पहले 8-10 गावों के बीच में एक पशु सेवा केंद्र खोला गया था. उनमें एक पशुधन प्रसार अधिकारी की नियुक्ति होती थी. लेकिन पिछले 7-8 वर्षों से इन पशु सेवा केंद्रों में ताला लटका हुआ है. अगर इन पशु सेवा केंद्रों में खाली पड़े पदों को समय से भरा जाता तो आज ग्रामीण स्तर पर इस बिमारी को में फैलने में काफी हद तक काबू पाया जा सकता था.

जिले में गौवंशीय जानवरों आवागमन पर रोक: लगातार फैल रही बीमारी को देखते हुए जिलाधिकारी रीना जोशी ने जिले एक माह तक गौवंशीय पशुओं के आवागमन सहित विभिन्न गतिविधियों पर रोक लगा दी है. पशु पालन विभाग को लगातार गांव में शिविर लगाकर पशुपालकों को जागरूक करने और वायरस से बचाव की जानकारी देने के आदेश दिए गये हैं. डॉ. प्रणव अग्रवाल पशु चिकित्साधिकारी के द्वारा बेरीनाग के कांडे किरौली क्षेत्र में लंपी स्किन के रोग को लेकर पशुपालकों को जागरूक किया जा रहा है. गौशाला की साफ सफाई और अन्य दवाओं की भी जानकारी दी जा रही है.
यह भी पढ़ें: Lumpy Virus: श्वेत क्रांति को झटका देती लंपी वायरस बीमारी, उत्तराखंड सहित कई राज्य हुए प्रभावित

बता दें कि डुंगरगांव और मजबे गांव में पशुओं की बीमारी को लेकर जानकारी सामने आई थी. जिसको देखते हुए पशुपालन विभाग के चिकित्सक सक्रिय हुए और गांवों का भ्रमण कर बीमार मवेशियों का स्वास्थ्य जांचा. बीमार पशुओं में हल्के से तेज बुखार, शरीर पर दाने, नाक और मुंह से लार आने के लक्षण दिखाई देने पर पशु चिकित्साधिकारी डॉ. आर. चंद्रा ने बताया कि बीमारी के लक्षण लंपी स्किन डिजीज के हैं. इस बीमारी में घबराने की जरूरत नहीं है दो से तीन दिन तक इलाज कराने पर पशु ठीक हो जाते हैं.

उन्होंने पशुपालकों से बीमार पशुओं को अन्य मवेशियों से अलग रखने और तत्काल पशु चिकित्सक या विभाग से संपर्क करने की अपील की है, ताकि समय रहते बीमार मवेशी का इलाज किया जा सके. ग्रामीण दीप जोशी ने बताया की पशुओं को हो रही बीमारी को लेकर उनके द्वारा पशु पालन विभाग से संपर्क किया गया था. वहां से गांव में टीम आ चुकी है मुझे लंपी बीमारी का शक था बाकी डॉक्टर ही जांच के बाद बता सकते हैं. उन्होंने बताया की उनके क्षेत्र के आस-पास के गांवों में भी ये बीमारी फैली हुई है. बागेश्वर में अभी तक दो दर्जन पशुओं में लंपी के लक्षण दिखे हैं. तीन जानवरों की मौत हो चुकी है.

उत्तराखंड में पशुओं में तेजी से फैल रहा है लंपी वायरस

पिथौरागढ़/बागेश्वर: पिथौरागढ़ जनपद में पशुओं में लंपी स्किन डिजीज वायरस बड़ी तेजी से फैल रहा है. बागेश्वर में अभी तक दो दर्जन पशुओं में लंपी के लक्षण दिखे हैं. तीन जानवरों की मौत हो चुकी है. चिंताजनक हालात यह हैं कि ऐसे समय में भी पशु चिकित्सा विभाग में एक दर्जन से अधिक अस्पतालों में पशु चिकित्सा अधिकारियों के पद खाली पड़े हुए हैं. इसके साथ कई अस्पतालों में फार्मासिस्ट व पशुधन प्रसार अधिकारियों के पदों पर भी कई वर्षों से भर्ती नहीं हुई है. एक पशु चिकित्सा अधिकारी दो से अधिक पशु अस्पतालों का कार्य देख रहे हैं. इस हालत में इन अधिकारियों का ग्रामीण स्तर पर जाना मुश्किल हो गया है. सरकार व जिम्मेदार विभाग की लापरवाही से अब लंपी स्किन डिजीज वायरस, ग्रामीण क्षेत्रों में अपना कहर बरपा रहा है.

ये हैं लंपी वायरस के लक्षण: इस वायरस के प्रकोप से पशुओं के पूरे शरीर मे बड़े-बड़े दाने निकल रहे हैं. फिर पशुओं को तेज बुखार आ रहा है. पशु खाना पीना छोड़ रहे हैं. करीब एक सप्ताह के बाद पशु अपनी जगह पर से उठ नहीं पा रहे हैं. समय से उपचार नहीं मिलने के कारण पशुओं की मौत भी हो रही है. पशु स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारियों की कमी के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं को समय से उपचार नहीं मिल पा रहा है. पहले 8-10 गावों के बीच में एक पशु सेवा केंद्र खोला गया था. उनमें एक पशुधन प्रसार अधिकारी की नियुक्ति होती थी. लेकिन पिछले 7-8 वर्षों से इन पशु सेवा केंद्रों में ताला लटका हुआ है. अगर इन पशु सेवा केंद्रों में खाली पड़े पदों को समय से भरा जाता तो आज ग्रामीण स्तर पर इस बिमारी को में फैलने में काफी हद तक काबू पाया जा सकता था.

जिले में गौवंशीय जानवरों आवागमन पर रोक: लगातार फैल रही बीमारी को देखते हुए जिलाधिकारी रीना जोशी ने जिले एक माह तक गौवंशीय पशुओं के आवागमन सहित विभिन्न गतिविधियों पर रोक लगा दी है. पशु पालन विभाग को लगातार गांव में शिविर लगाकर पशुपालकों को जागरूक करने और वायरस से बचाव की जानकारी देने के आदेश दिए गये हैं. डॉ. प्रणव अग्रवाल पशु चिकित्साधिकारी के द्वारा बेरीनाग के कांडे किरौली क्षेत्र में लंपी स्किन के रोग को लेकर पशुपालकों को जागरूक किया जा रहा है. गौशाला की साफ सफाई और अन्य दवाओं की भी जानकारी दी जा रही है.
यह भी पढ़ें: Lumpy Virus: श्वेत क्रांति को झटका देती लंपी वायरस बीमारी, उत्तराखंड सहित कई राज्य हुए प्रभावित

बता दें कि डुंगरगांव और मजबे गांव में पशुओं की बीमारी को लेकर जानकारी सामने आई थी. जिसको देखते हुए पशुपालन विभाग के चिकित्सक सक्रिय हुए और गांवों का भ्रमण कर बीमार मवेशियों का स्वास्थ्य जांचा. बीमार पशुओं में हल्के से तेज बुखार, शरीर पर दाने, नाक और मुंह से लार आने के लक्षण दिखाई देने पर पशु चिकित्साधिकारी डॉ. आर. चंद्रा ने बताया कि बीमारी के लक्षण लंपी स्किन डिजीज के हैं. इस बीमारी में घबराने की जरूरत नहीं है दो से तीन दिन तक इलाज कराने पर पशु ठीक हो जाते हैं.

उन्होंने पशुपालकों से बीमार पशुओं को अन्य मवेशियों से अलग रखने और तत्काल पशु चिकित्सक या विभाग से संपर्क करने की अपील की है, ताकि समय रहते बीमार मवेशी का इलाज किया जा सके. ग्रामीण दीप जोशी ने बताया की पशुओं को हो रही बीमारी को लेकर उनके द्वारा पशु पालन विभाग से संपर्क किया गया था. वहां से गांव में टीम आ चुकी है मुझे लंपी बीमारी का शक था बाकी डॉक्टर ही जांच के बाद बता सकते हैं. उन्होंने बताया की उनके क्षेत्र के आस-पास के गांवों में भी ये बीमारी फैली हुई है. बागेश्वर में अभी तक दो दर्जन पशुओं में लंपी के लक्षण दिखे हैं. तीन जानवरों की मौत हो चुकी है.

Last Updated : May 6, 2023, 7:05 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.