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साल भर बिना शिक्षकों के चले स्कूल, अब बोर्ड परीक्षाओं के लिए कैसे पूरा होगा कोर्स? - New Transfer Policy News

आगामी मार्च में उत्तराखंड बोर्ड की परीक्षाएं होनी है. लेकिन यहां शिक्षकों का इस कदर टोटा पड़ा है कि छात्रों का साल शिक्षकों की राह देखते ही गुजर गया है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि जब साल भर से स्कूल बिना शिक्षकों के ही चल रहे थे तो छात्रों को कोर्स पूरा कैसा हुआ होगा.

Uttarakhand Board Examinations News
साल भर स्कूली बच्चे करते रहे शिक्षकों का इंतजार, अब बोर्ड परीक्षाएं सिर पर।
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Published : Jan 24, 2020, 3:18 PM IST

पिथौरागढ़: उत्तराखंड में बोर्ड परीक्षाएं आगामी मार्च में शुरू हो जाएंगी, लेकिन पिथौरागढ़ जिले के अधिकांश स्कूलों में छात्र बिना शिक्षकों के ही परीक्षा देने को मजबूर हैं. यहां शिक्षकों का इस कदर टोटा पड़ा है कि छात्रों के लिए ये साल शिक्षकों की राह देखते ही गुजर गया. शिक्षक ही नहीं प्रशासनिक स्तर पर भी शिक्षा अधिकारियों की भारी कमी है. आलम ये है कि 8 ब्लॉक में सिर्फ 2 में ही खंड शिक्षा अधिकारी तैनात हैं.

स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी.

सरकार ने बीते साल नई ट्रांसफर पॉलिसी लागू की थी. ताकि दूर-दराज के सरकारी महकमों में जरूरी स्टाफ तैनात हो सके. लेकिन हुआ ठीक इसके उल्टा, जिले से सैकड़ों की संख्या में शिक्षक अन्य जिलों को तो चले गए, लेकिन उनकी जगह यहां किसी की तैनाती नहीं हुई. ऐसे में अब छात्रों के लिए जहां बिना शिक्षक के पास होना चुनौती है, वहीं शिक्षा विभाग के सामने भी बिना जरूरी स्टाफ के परीक्षाओं का सफल संचालन करवाना अग्निपरीक्षा से कम नहीं है.

ये भी पढ़ें: गणतंत्र दिवस से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों पर एक नजर

बता दें कि पिथौरागढ़ जिले में 217 प्रधानाचार्यों के मुकाबले फिलहाल सिर्फ 30 की ही तैनाती है. धारचूला, मुनस्यारी, गंगोलीहाट और डीडीहाट खंड में मात्र एक या दो ही प्रधानाचार्य हैं. कुछ ऐसा ही हाल प्रवक्ताओं का भी है, 1056 प्रवक्ताओं के सापेक्ष यहां सिर्फ 541 ही कार्यरत हैं. एलटी में 341 शिक्षकों की पद साल भर से खाली पड़े हैं. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि जब सालभर से स्कूल बिना शिक्षकों के ही चल रहे थे तो छात्रों का कोर्स कैसा पूरा हुआ होगा.

पिथौरागढ़: उत्तराखंड में बोर्ड परीक्षाएं आगामी मार्च में शुरू हो जाएंगी, लेकिन पिथौरागढ़ जिले के अधिकांश स्कूलों में छात्र बिना शिक्षकों के ही परीक्षा देने को मजबूर हैं. यहां शिक्षकों का इस कदर टोटा पड़ा है कि छात्रों के लिए ये साल शिक्षकों की राह देखते ही गुजर गया. शिक्षक ही नहीं प्रशासनिक स्तर पर भी शिक्षा अधिकारियों की भारी कमी है. आलम ये है कि 8 ब्लॉक में सिर्फ 2 में ही खंड शिक्षा अधिकारी तैनात हैं.

स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी.

सरकार ने बीते साल नई ट्रांसफर पॉलिसी लागू की थी. ताकि दूर-दराज के सरकारी महकमों में जरूरी स्टाफ तैनात हो सके. लेकिन हुआ ठीक इसके उल्टा, जिले से सैकड़ों की संख्या में शिक्षक अन्य जिलों को तो चले गए, लेकिन उनकी जगह यहां किसी की तैनाती नहीं हुई. ऐसे में अब छात्रों के लिए जहां बिना शिक्षक के पास होना चुनौती है, वहीं शिक्षा विभाग के सामने भी बिना जरूरी स्टाफ के परीक्षाओं का सफल संचालन करवाना अग्निपरीक्षा से कम नहीं है.

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बता दें कि पिथौरागढ़ जिले में 217 प्रधानाचार्यों के मुकाबले फिलहाल सिर्फ 30 की ही तैनाती है. धारचूला, मुनस्यारी, गंगोलीहाट और डीडीहाट खंड में मात्र एक या दो ही प्रधानाचार्य हैं. कुछ ऐसा ही हाल प्रवक्ताओं का भी है, 1056 प्रवक्ताओं के सापेक्ष यहां सिर्फ 541 ही कार्यरत हैं. एलटी में 341 शिक्षकों की पद साल भर से खाली पड़े हैं. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि जब सालभर से स्कूल बिना शिक्षकों के ही चल रहे थे तो छात्रों का कोर्स कैसा पूरा हुआ होगा.

Intro:पिथौरागढ़: उत्तराखंड बोर्ड की परीक्षाएं मार्च में शुरू होनी है, लेकिन पिथौरागढ़ जिले के अधिकांश स्कूलों में छात्र बिना शिक्षकों के ही एग्जाम देने को मजबूर है। यहां शिक्षकों का इस कदर टोटा पड़ा है कि छात्रों का साल शिक्षकों की राह देखते ही गुजर गया है। शिक्षक ही नही प्रशासनिक स्तर पर भी शिक्षा अधिकारियों की भारी कमी है। आलम ये है कि 8 ब्लॉक में सिर्फ 2 में ही खंड शिक्षा अधिकारी तैनात हैं। जिले में 217 प्रधानाचार्यों के मुकाबले फिलहाल सिर्फ 30 की ही तैनाती है। धारचूला, मुनस्यारी, गंगोलीहाट और डीडीहाट खंड में मात्र एक या दो ही प्रधानाचार्य हैं। कुछ ऐसा ही हाल प्रवक्ताओं का भी है, 1056 प्रवक्ताओं के सापेक्ष यहां सिर्फ 541 ही कार्यरत हैं। एलटी में 341 शिक्षकों की पद साल भर से खाली पड़े हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि जब साल भर से स्कूल बिना शिक्षकों के ही चल रहे थे तो छात्रों को कोर्स पूरा कैसा हुआ होगा।
Body:सरकार ने इस साल नई ट्रांसफर पॉलिसी को लागू किया था, ताकि दूर-दराज के सरकारी महकमों में जरूरी स्टाफ तैनात हो सके। लेकिन हुआ ठीक इसके उल्टा, जिले से सैकड़ों की संख्या में शिक्षक अन्य जिलों को तो चले गए, लेकिन उनकी जगह आया कोई नही। ऐसे में अब छात्रों के लिए जहां बिना शिक्षक के पास होना चुनौती है, वहीं शिक्षा विभाग के सामने भी बिना जरूरी स्टाफ के परीक्षाओं का सफल संचालन करवाना अग्निपरीक्षा से कम नही है।

Byte: अशोक कुमार जुकरिया, मुख्य शिक्षा अधिकारीConclusion:
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