पिथौरागढ़: लंबे अर्से बाद पिथौरागढ़ में नेपाल को जोड़ने वाले झूला पुलों को अगले 5 दिनों के लिए खोल दिया गया है. इस दौरान भारत में अपनी सेवाएं दे चुके नेपाली नागरिक पेंशन लेने भारत पहुंचे. धारचूला से लेकर झूलाघाट तक के पुलों को पहले की तरह ही खोला गया है.
भारत की ओर से किसी के भी आने-जाने पर रोक नहीं थी लेकिन भारतीय नागरिक नेपाल नहीं जा पाए क्योंकि नेपाल ने सिर्फ पेंशनर्स को ही भारत आने दिया. नेपाल के इस रुख से बॉर्डर के व्यापारियों के साथ ही नेपाली नागरिक भी नाराज नजर आए.
भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हुए नेपाली पेंशनर्स के लिए सोमवार से जिले के सभी अंतरराष्ट्रीय झूलापुल पांच दिनों के लिए खुल गए हैं. पुल खुलने पर धारचूला और झूलाघाट में भारी संख्या में नेपाली पेंशनर्स अपनी पेंशन लेने भारत पहुंच रहे हैं. उनके साथ ही नेपाली मरीज भी अपने इलाज के लिए भारत आ रहे हैं.
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सोमवार को पुल खुलने पर नेपाल के छांगरू और तिंकर के ग्रामीण भारत के रास्ते अपने देश के घाटी वाले इलाकों की ओर वापस लौटे. 18 नवंबर को छांगरू और तिंकर के 97 नागरिकों ने अपने मवेशियों और सामान के साथ गर्ब्यांग के सीतापुल से भारत में प्रवेश किया था. पांच दिन तक वो भारतीय क्षेत्र गर्ब्यांग, बूंदी, लामारी, पांगला, दोबाट से पैदल चलकर सोमवार को धारचूला पहुंचे थे. सोमवार को झूलापुल खुलने पर नेपाली नागरिकों ने वापस नेपाल के घाटी वाले इलाकों का रुख किया.
बता दें कि नेपाल सरकार ने दो माह पूर्व छांगरू और तिंकर के लिए पैदल मार्ग बनाने का दावा करते हुए इसका उद्घाटन भी किया था, लेकिन नेपाली नागरिकों को भारतीय रास्तों से होते हुए माइग्रेशन करना पड़ा, जिससे नेपाल सरकार के रास्ता बना लेने के दावे हवा हवाई साबित हो रहे हैं.