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कोरोना की मार, मनरेगा में पत्थर तोड़ने को मजबूर अंतरराष्ट्रीय चैंपियन

भारतीय व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के पूर्व कैप्टन राजेंद्र सिंह धामी पिथौरागढ़ में मनरेगा के तहत सड़क निर्माण में इस्तेमाल किए जाने वाले पत्थरों को तोड़ने का काम कर रहे हैं.

Rajendra Singh Dhami
मजदूर बने राजेंद्र सिंह धामी.
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Published : Jul 28, 2020, 10:25 PM IST

रुद्रपुर/पिथौरागढ़: कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव के साथ ही हर हफ्ते किसी न किसी क्षेत्र से हजारों कर्मचारियों को बिना वेतन के छुट्टी देने, नौकरियों से निकालने या वेतन में भारी कटौती की खबरें सामने आ रही है. कोरोना और लॉकडाउन के चलते हर वर्ग के लोग परेशान हैं. कोरोना का असर खेलों की दुनिया पर भी हुआ है, कई टूर्नामेंट रद्द हो गए और स्पोर्ट्स के चैंपियन भी घुटने टेकते नजर आ रहे हैं.

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से मार्मिक तस्वीरें सामने आई हैं. जहां भारतीय व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के पूर्व कैप्टन राजेंद्र सिंह धामी परिवार की आजीविका चलाने के लिए मजदूर बन गए हैं और इन दिनों महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत सड़क निर्माण में इस्तेमाल किए जाने वाले पत्थरों को तोड़ने का काम कर रहे हैं.

मजबूरी में मनरेगा मजदूर बने राजेंद्र सिंह धामी.

लॉकडाउन से पहले रुद्रपुर में रहकर राजेंद्र सिंह धामी अपनी टीम को प्रशिक्षण दे रहे थे. लेकिन लॉकडाउन के चलते वापस अपने गांव रायकोट पिथौरागढ़ आना पड़ा. इस दौरान घर का खर्चा उनके छोटे भाई के कंधों पर आ गया था. इसी बीच गुजरात में काम कर रहे उनके भाई की नौकरी भी चली गई और उन्हें भी वापस घर लौटना पड़ा.

Rajendra Singh Dhami
मेडल जीतने के बाद राजेंद्र सिंह धामी.

घर की खराब आर्थिक स्थिति और बड़े भाई की जिम्मेदारी उठाते हुए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर राजेंद्र सिंह धामी अपने ही गांव में मजदूर बन गए और मनरेगा के तहत सड़क निर्माण में इस्तेमाल किए जाने वाले पत्थरों को तोड़ने का काम कर रहे हैं. उत्तराखंड व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के कैप्टन राजेंद्र सिंह धामी बल्लेबाजी, गेंदबाजी सहित क्रिकेट के विभिन्न पहलुओं में विशेष रूप से दिव्यांग किशोरों को प्रशिक्षित कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: हरिद्वार शहर पर 'पहाड़' का खतरा, तलहटी में 'फंसी' जान

ETV BHARAT से बातचीत में राजेंद्र सिंह धामी अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहते हैं कि मैंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश-प्रदेश का नाम रोशन किया है. लेकिन उत्तराखंड सरकार द्वारा अब तक कोई भी मदद नहीं दी गई. सरकार बदलती गई और सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा. राजेंद्र सिंह धामी ने राज्य सरकार से मदद की अपील करते हुए योग्यता के आधार पर नौकरी दिए जाने की मांग की है.

Rajendra Singh Dhami
अरविंद पांडे से मिलते राजेंद्र सिंह धामी.

वहीं, डीएम विजय कुमार जोगदंडे ने कहा कि राजेंद्र सिंह धामी की आर्थिक स्थिति को देखते हुए जिला स्पोर्ट्स ऑफिसर से कहा है कि वह राजेंद्र को तुरंत पैसों की मदद पहुंचाए. साथ ही उन्हें मुख्मंत्री स्वरोजगार योजना या अन्य योजनाओं के तहत लाभ दिया जाएगा, ताकि वह भविष्य में आजीविका अर्जित कर सके.

  • Currently, his economic condition seems to be bad. We've asked Dist Sports Officer to provide him money as immediate help. He'll be given the benefits under Mukhyamantri Swarojgar Yojna or other schemes so that he's able to earn a livelihood in future: Dr Vijay Kumar Jogdande, DM https://t.co/xKtv5GG72u pic.twitter.com/hMhhsfNBU2

    — ANI (@ANI) July 28, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

कौन हैं राजेंद्र सिंह धामी

भारतीय व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के पूर्व कैप्टन राजेंद्र सिंह धामी 3 साल की उम्र में लकवाग्रस्त हो गए थे. राजेंद्र सिंह धामी इतिहास में मास्टर और बीएड की डिग्री हासिल की है. उन्हें सोशल मीडिया के जरिए 2014 में विशेष रूप से विकलांग क्रिकेट टीम के बारे में पता चला. इसके बावजूद हिम्मत न हारते हुए उन्होंने अपने प्रदर्शन से कई पुरस्कार जीते हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत और उत्तराखंड का नाम रोशन किया है.

रुद्रपुर/पिथौरागढ़: कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव के साथ ही हर हफ्ते किसी न किसी क्षेत्र से हजारों कर्मचारियों को बिना वेतन के छुट्टी देने, नौकरियों से निकालने या वेतन में भारी कटौती की खबरें सामने आ रही है. कोरोना और लॉकडाउन के चलते हर वर्ग के लोग परेशान हैं. कोरोना का असर खेलों की दुनिया पर भी हुआ है, कई टूर्नामेंट रद्द हो गए और स्पोर्ट्स के चैंपियन भी घुटने टेकते नजर आ रहे हैं.

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से मार्मिक तस्वीरें सामने आई हैं. जहां भारतीय व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के पूर्व कैप्टन राजेंद्र सिंह धामी परिवार की आजीविका चलाने के लिए मजदूर बन गए हैं और इन दिनों महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत सड़क निर्माण में इस्तेमाल किए जाने वाले पत्थरों को तोड़ने का काम कर रहे हैं.

मजबूरी में मनरेगा मजदूर बने राजेंद्र सिंह धामी.

लॉकडाउन से पहले रुद्रपुर में रहकर राजेंद्र सिंह धामी अपनी टीम को प्रशिक्षण दे रहे थे. लेकिन लॉकडाउन के चलते वापस अपने गांव रायकोट पिथौरागढ़ आना पड़ा. इस दौरान घर का खर्चा उनके छोटे भाई के कंधों पर आ गया था. इसी बीच गुजरात में काम कर रहे उनके भाई की नौकरी भी चली गई और उन्हें भी वापस घर लौटना पड़ा.

Rajendra Singh Dhami
मेडल जीतने के बाद राजेंद्र सिंह धामी.

घर की खराब आर्थिक स्थिति और बड़े भाई की जिम्मेदारी उठाते हुए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर राजेंद्र सिंह धामी अपने ही गांव में मजदूर बन गए और मनरेगा के तहत सड़क निर्माण में इस्तेमाल किए जाने वाले पत्थरों को तोड़ने का काम कर रहे हैं. उत्तराखंड व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के कैप्टन राजेंद्र सिंह धामी बल्लेबाजी, गेंदबाजी सहित क्रिकेट के विभिन्न पहलुओं में विशेष रूप से दिव्यांग किशोरों को प्रशिक्षित कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: हरिद्वार शहर पर 'पहाड़' का खतरा, तलहटी में 'फंसी' जान

ETV BHARAT से बातचीत में राजेंद्र सिंह धामी अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहते हैं कि मैंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश-प्रदेश का नाम रोशन किया है. लेकिन उत्तराखंड सरकार द्वारा अब तक कोई भी मदद नहीं दी गई. सरकार बदलती गई और सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा. राजेंद्र सिंह धामी ने राज्य सरकार से मदद की अपील करते हुए योग्यता के आधार पर नौकरी दिए जाने की मांग की है.

Rajendra Singh Dhami
अरविंद पांडे से मिलते राजेंद्र सिंह धामी.

वहीं, डीएम विजय कुमार जोगदंडे ने कहा कि राजेंद्र सिंह धामी की आर्थिक स्थिति को देखते हुए जिला स्पोर्ट्स ऑफिसर से कहा है कि वह राजेंद्र को तुरंत पैसों की मदद पहुंचाए. साथ ही उन्हें मुख्मंत्री स्वरोजगार योजना या अन्य योजनाओं के तहत लाभ दिया जाएगा, ताकि वह भविष्य में आजीविका अर्जित कर सके.

  • Currently, his economic condition seems to be bad. We've asked Dist Sports Officer to provide him money as immediate help. He'll be given the benefits under Mukhyamantri Swarojgar Yojna or other schemes so that he's able to earn a livelihood in future: Dr Vijay Kumar Jogdande, DM https://t.co/xKtv5GG72u pic.twitter.com/hMhhsfNBU2

    — ANI (@ANI) July 28, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

कौन हैं राजेंद्र सिंह धामी

भारतीय व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के पूर्व कैप्टन राजेंद्र सिंह धामी 3 साल की उम्र में लकवाग्रस्त हो गए थे. राजेंद्र सिंह धामी इतिहास में मास्टर और बीएड की डिग्री हासिल की है. उन्हें सोशल मीडिया के जरिए 2014 में विशेष रूप से विकलांग क्रिकेट टीम के बारे में पता चला. इसके बावजूद हिम्मत न हारते हुए उन्होंने अपने प्रदर्शन से कई पुरस्कार जीते हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत और उत्तराखंड का नाम रोशन किया है.

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