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बेरीनाग: सरकार की बेरुखी के चलते ठप पड़ी करोड़ों की जल विद्युत परियोजनाएं

बेरीनाग स्थित थल और गराऊ की जल विद्युत परियोजनाएं सरकारी उपेक्षा के चलते पिछले दो वर्ष से बंद हैं. जिसके चलते बिजली का उत्पादन ठप पड़ा है. वहीं, अब रखरखाव की कमी के चलते करोड़ों की लागत से बनाए गए भवन और मशीनें खस्ताहाल होने लगी हैं.

Hydropower Projects News
जल विद्युत परियोजनाएं
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Published : Jan 1, 2020, 8:35 PM IST

बेरीनाग: पिथौरागढ़ जिले में जहां सरकार एक ओर पंचेश्वर सहित कई अन्य बांध बनाने की तैयारी कर रही है. वहीं, जिले में पहले चल रही छोटी जल विद्युत परियोजनाएं सरकारी उपेक्षा का शिकार हो रही हैं. जिसका ताजा उदाहरण बेरीनाग के थल और गराऊ की जल विद्युत परियोजनाएं हैं. जो पिछले दो वर्ष से बंद पड़ी हुई है. बिजली का उत्पादन तो ठप होने से करोड़ों की लागत से बनी ये जल विद्युत परियोजनाएं धूल फांक रही है.

सालों से बंद पडी है जल विद्युत परियोजनाएं.

बता दें कि थल स्थित 750 किलोवाट की बरार जल विद्युत परियोजना पिछले दो वर्ष से बंद पड़ी है. इस परियोजना से थल क्षेत्र के कई गांवों को बिजली मिलती थी. लेकिन रखरखाव और सही से संचालन न होने के चलते तीन वर्ष पूर्व सरकार ने तीन मेगावाट से कम क्षमता वाले सभी बिजली के परियोजनाओं को जल विद्युत निगम से हटाकर उरेडा को सौंप दिया है. लेकिन उरेडा ने इन परियोजना का संचालन ठेकेदारी में दे दिया. जिसके चलते ये परियोजना खस्ताहाल हो गई. हांलाकि, स्थानीय जनप्रतिनिधि कई बार योजना को शुरू करने की मांग कर चुके हैं. बावजूद इसके हालात जस के तस बने हुए है.

वहीं, गराऊ में स्थित जल विद्युत परियोजना में पिछले तीन वर्षों से ताला लटका हुआ है. जिसके चलते करोड़ों की लागत से बने भवन और मशीनें खराब हो रही हैं. वहीं, ठेकेदार ने कर्मचारियों को भी पिछले तीन वर्षों से भुगतान नहीं किया है.

ये भी पढ़ें: तीन जनवरी से प्रवीण तोगड़िया का कुमाऊं दौरा, अनेक कार्यक्रमों में करेंगे शिरकत

स्थानीय विधायक मीना गंगोला और सांसद अजय टम्टा ने बताया कि विभाग के अधिकारी द्वारा योजना बंद होने के कारणों की जांच और परियोजना को दोबारा शुरू करने के लिए शासन स्तर से कार्रवाई की जाएगी.

बेरीनाग: पिथौरागढ़ जिले में जहां सरकार एक ओर पंचेश्वर सहित कई अन्य बांध बनाने की तैयारी कर रही है. वहीं, जिले में पहले चल रही छोटी जल विद्युत परियोजनाएं सरकारी उपेक्षा का शिकार हो रही हैं. जिसका ताजा उदाहरण बेरीनाग के थल और गराऊ की जल विद्युत परियोजनाएं हैं. जो पिछले दो वर्ष से बंद पड़ी हुई है. बिजली का उत्पादन तो ठप होने से करोड़ों की लागत से बनी ये जल विद्युत परियोजनाएं धूल फांक रही है.

सालों से बंद पडी है जल विद्युत परियोजनाएं.

बता दें कि थल स्थित 750 किलोवाट की बरार जल विद्युत परियोजना पिछले दो वर्ष से बंद पड़ी है. इस परियोजना से थल क्षेत्र के कई गांवों को बिजली मिलती थी. लेकिन रखरखाव और सही से संचालन न होने के चलते तीन वर्ष पूर्व सरकार ने तीन मेगावाट से कम क्षमता वाले सभी बिजली के परियोजनाओं को जल विद्युत निगम से हटाकर उरेडा को सौंप दिया है. लेकिन उरेडा ने इन परियोजना का संचालन ठेकेदारी में दे दिया. जिसके चलते ये परियोजना खस्ताहाल हो गई. हांलाकि, स्थानीय जनप्रतिनिधि कई बार योजना को शुरू करने की मांग कर चुके हैं. बावजूद इसके हालात जस के तस बने हुए है.

वहीं, गराऊ में स्थित जल विद्युत परियोजना में पिछले तीन वर्षों से ताला लटका हुआ है. जिसके चलते करोड़ों की लागत से बने भवन और मशीनें खराब हो रही हैं. वहीं, ठेकेदार ने कर्मचारियों को भी पिछले तीन वर्षों से भुगतान नहीं किया है.

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स्थानीय विधायक मीना गंगोला और सांसद अजय टम्टा ने बताया कि विभाग के अधिकारी द्वारा योजना बंद होने के कारणों की जांच और परियोजना को दोबारा शुरू करने के लिए शासन स्तर से कार्रवाई की जाएगी.

Intro:ऊर्जा प्रदेश में परियोजना ठफ Body:टांप- बेरीनाग।
खास रिपोर्ट
स्लग- जल विद्युत परियोजना पिछले दो वर्ष से बंद

बेरीनाग एकर ।एक और प्रदेश को ऊर्जा प्रदेश कहा जाता है और पंचेश्वर सहित कई बंाध बनाने की तैयारी सरकार कर रही है। वही जिले में पहले चल रही छोटी जल विद्युत परियोजना उपेक्षा के कारण बंद हो रही है। सीमांत जिले में विकास खंड बेरीनाग में थल और गराऊ की जल विद्युत परियोजना पिछले दो वर्ष से बंद पड़ी हुई है। परियोजना बंद होने से जहां बिजली का उत्पादन तो ठप है ही वही करोड़ो की लागत से बनी योजना दयनीय हालत में पहुंच गयी है।
वीओ 01-थल में स्थित 750 किलोवाट की बरार जल विद्युत पिछले दो वर्ष से बंद पड़ी हुई है। इस परियोजना से थल क्षेत्र के कई गांवों को बिजली मिलती थी।लेकिन रखरखाव और सही से संचालन नही होने पर तीन वर्ष पूर्व सरकार ने तीन मेगावाट से कम क्षमता वाले सभी बिजली के परियोजना को जल विद्युत निगम से हटाकर उरेडा को सौंप।लेकिन उरेडा ने खुद परियोजना का संचालन नही कर सकी तो सहरानपुर के एक ठेकेदार यह चलाने को ठेका दे दिया। ठेकेदारी में जाने के इस परियोजना के खस्ताहाल हो गये है धीरे यहां पर बिजली का उत्पदान बंद हो गया।इस परियोजना से जिन गांवों को बिजली मिलती थी उन्हे अब ग्रिड की बिजली पर निर्भर होना पड़ रहा है।स्थानीय जनप्रतिनिधि कई बार योजना को शुरू करने की मांग कर चुक है लेकिन उसके बाद भी हालत जस के तस है
बाइट 1-सुरेन्द्र पांगती क्षेत्र पंचायत सदस्य थल।

वीओ 02- गराऊ मंें स्थित जल परियोजना के तो हाल और अधिक बुरे है। यहां पर भी पिछले तीन वर्षो से ताला लटका हुआ है करोडो की लागत से बने भवन और मशीन खराब हो रही है ठेकेदार के द्वारा पूर्व में यहां पर रखे हुए कर्मचारी का भी पिछले तीन वर्षो से भुगतान नही किया है। पूर्व में यहां के कर्मचारी धरना प्रदर्शन से लेकर अपनी गुहार सीएम तक लगा चुके है।उरेडा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा यहां के जनता के साथ यहां ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है।

बाइट2- विनीता बाफिला ब्लाक प्रमुख बेरीनाग।

वीओ 03-शासन की जो मंशा थी कि छोटी जल विद्युत परियोजनाओं का निर्माण कराकर लोगों को 24 घंटे बिजली मिले सके और यहां के लोगों को रोजगार मिल सके।लेकिन जिस पर प्रकार से जिले की दो योजनाये पिछले दो वर्षो से बंद पड़ी हुई है।उससे सरकार को राजस्व का नकुसान तो हो रहा है लोगों को बिजली नही मिल पा रही है। स्थानीय विधायक मीना गंगोला और सांसद अजय टम्टा का कहना है कि विभाग के अधिकारियोे को योजना शीघ्र शुरू करने के साथ बंद होने के कारणों की जांच भी जायेगी। शीघ्र योजना को शुरू करने कार्रवाई शासन स्तर से शुरू की जायेगी।उरेडा के विभागीय अधिकारियों का वही रटारटाया जबाब पिछले दो वर्ष से सुनने को मिल रहा है। दोनो योजनाओं को शुरू करवाने के लिए विभागीय स्तर पर कार्रवाई की जा रही है। परियोजना के मरम्म्त के टेंडर प्रकिया शुरू की जायेगी

फाइनल वीओ- सरकार की मंशा पर उरेड़ा विभाग केे द्वारा पलीता लगा कर ऊर्जा प्रदेश की बात प्रशन चिन्ह तो लगा दिया है लेकिन अधिकारियों की सही देखभाल और विभागीय लापरावाही का खामियाजा तो सरकार को भी भुगतना पड़ रहा है। जहां सरकार को प्रति माह लाखो का राजस्व का नकुसान हो रहा है वही कई लोगों से रोजगार भी छीन चुका है सरकार छोटी बिजली परियोजनाओं को बढ़ावा देेने के बजाय पहले से संचालित परियोजनाओं को ठप करने में तुली है। अब देखना होगा की सरकार इस योजना को शुरू करवाती है या इस हालत में छोड देती हैयह तो आने वाले दिनों में देखना होगा।
बेरीनाग से प्रदीप महरा की खार रिपोर्टConclusion:लापरवाही
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