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हरेला सोसायटी तैयार कर रही 100 फीसदी हर्बल कलर, कई मायनों में हैं फायदेमंद - Harela Society is preparing herbal color

हरेला सोसायटी ने होली को ध्यान में रखते हुए 100 फीसदी हर्बल कलर बनाये हैं, जो कि औषधीय गुणों से युक्त हैं.

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हरेला सोसायटी तैयार कर रही 100 फीसदी हर्बल कलर
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Published : Mar 25, 2021, 10:08 PM IST

पिथौरागढ़: होली के त्योहार के लिए बाजार कई तरह के रंगों से सज गया है. ये रंग आपको अपनी ओर आकर्षित भी कर रहे होंगे, लेकिन कैमिकल से बने ये रंग आपकी त्वचा के लिये नुकसान दायक भी हो सकते हैं. ऐसे में पिथौरागढ़ की हरेला सोसायटी ने फूलों से 100 फीसदी हर्बल रंग तैयार किया है. हरेला सोसायटी ने स्थानीय स्तर पर बुरांश, फ्योंली, हल्दी, बिच्छू घास, गेंदा, डहेलिया, पालक, मूली, चुकंदर इत्यादि से रंग तैयार किये हैं, जो बाजार में फाल्गुन ऑर्गेनिक होली नाम से उपलब्ध हैं.

ये रंग अन्य कैमिकल से बने रंगों से महंगे जरूर है लेकिन इनसे आपकी त्वचा को कोई नुकसान नहीं होगा. साथ ही ये रंग औषधीय गुणों से भी युक्त हैं. इन हर्बल कलर्स की सोसाइटी के पास देशभर के शहरों से डिमांड आ रही है.

हरेला सोसायटी तैयार कर रही 100 फीसदी हर्बल कलर

पढ़ें- पिछले 24 घंटे में 53,476 लोग हुए कोरोना संक्रमित, 251 मौतें

हरेला सोसायटी फोर्टी (40) पर्सेंट सस्टेनेबल मैनजमेंट प्लान के तहत ये काम कर रही है. सोसायटी जंगलों में गिरे सिर्फ 40 फीसदी फूलों को ही उठाती है, साथ ही पेड़ों से भी 40 फीसदी फूलों को ही तोड़ा जाता है, ताकि जैव विविधता को भी संरक्षित रखा जा सके. यही नहीं रंगों से होने वाली कमाई का 40 फीसदी हिस्सा भी पर्यावरण के संरक्षण पर खर्च किया जाता है. जिसके तहत जंगलों को आग से बचाने की कोशिशों के साथ ही ऐसे पौधे लगाए जाते हैं जिससे हर्बल कलर तैयार होते हैं. सोसायटी की ये पहल युवाओं को रोजगार भी दे रही है.

पढ़ें- कोरोना से मरने वालों में 88 प्रतिशत की आयु 45 साल से ज्यादा : स्वास्थ्य मंत्रालय

हरेला सोसायटी ने रंगों की पैकिंग में भी पर्यावरण संरक्षण का खास ध्यान रखा है. प्लास्टिक के प्रयोग से बचने के लिए रंगों की पैकिंग कपड़ों की थैलियों में की गई है. हरेला सोसायटी का ये प्रयास एक तरफ तो लोगों को हानिकारक रंगों से होने वाले नुकसान से बचा रहा है साथ ही प्राकृतिक संतुलन को बनाते हुए लोगो को रोजगार से भी जोड़ रहा है.

पिथौरागढ़: होली के त्योहार के लिए बाजार कई तरह के रंगों से सज गया है. ये रंग आपको अपनी ओर आकर्षित भी कर रहे होंगे, लेकिन कैमिकल से बने ये रंग आपकी त्वचा के लिये नुकसान दायक भी हो सकते हैं. ऐसे में पिथौरागढ़ की हरेला सोसायटी ने फूलों से 100 फीसदी हर्बल रंग तैयार किया है. हरेला सोसायटी ने स्थानीय स्तर पर बुरांश, फ्योंली, हल्दी, बिच्छू घास, गेंदा, डहेलिया, पालक, मूली, चुकंदर इत्यादि से रंग तैयार किये हैं, जो बाजार में फाल्गुन ऑर्गेनिक होली नाम से उपलब्ध हैं.

ये रंग अन्य कैमिकल से बने रंगों से महंगे जरूर है लेकिन इनसे आपकी त्वचा को कोई नुकसान नहीं होगा. साथ ही ये रंग औषधीय गुणों से भी युक्त हैं. इन हर्बल कलर्स की सोसाइटी के पास देशभर के शहरों से डिमांड आ रही है.

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हरेला सोसायटी फोर्टी (40) पर्सेंट सस्टेनेबल मैनजमेंट प्लान के तहत ये काम कर रही है. सोसायटी जंगलों में गिरे सिर्फ 40 फीसदी फूलों को ही उठाती है, साथ ही पेड़ों से भी 40 फीसदी फूलों को ही तोड़ा जाता है, ताकि जैव विविधता को भी संरक्षित रखा जा सके. यही नहीं रंगों से होने वाली कमाई का 40 फीसदी हिस्सा भी पर्यावरण के संरक्षण पर खर्च किया जाता है. जिसके तहत जंगलों को आग से बचाने की कोशिशों के साथ ही ऐसे पौधे लगाए जाते हैं जिससे हर्बल कलर तैयार होते हैं. सोसायटी की ये पहल युवाओं को रोजगार भी दे रही है.

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हरेला सोसायटी ने रंगों की पैकिंग में भी पर्यावरण संरक्षण का खास ध्यान रखा है. प्लास्टिक के प्रयोग से बचने के लिए रंगों की पैकिंग कपड़ों की थैलियों में की गई है. हरेला सोसायटी का ये प्रयास एक तरफ तो लोगों को हानिकारक रंगों से होने वाले नुकसान से बचा रहा है साथ ही प्राकृतिक संतुलन को बनाते हुए लोगो को रोजगार से भी जोड़ रहा है.

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