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नेपाल ने छांगरु और तिंकर में जनगणना के लिए भारत से मांगा रास्ता, जानें वजह - Nepal seeks India's help for census

नेपाल ने छांगरु और तिंकर में जनगणना टीम भेजने के लिए भारत से मदद मांगी है. दरअसल, नेपाल के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बसे छांगरु और तिंकर गांव के लिए नेपाल से रास्ता नहीं है.

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नेपाल ने छांगरु और तिंकर में जनगणना के लिए भारत से मांगी मदद
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Published : Nov 18, 2021, 4:19 PM IST

Updated : Nov 18, 2021, 7:37 PM IST

पिथौरागढ़: पड़ोसी मुल्क नेपाल में 11 नवंबर से 12वीं राष्ट्रीय जनगणना का काम शुरू हो चुका है. जिसे हर हाल में 25 नवंबर तक पूरा होना है. लेकिन नेपाल के सामने दिक्कत ये है कि ये राष्ट्रीय जनगणना बिना भारत की इजाजत के पूरा नहीं हो सकता है. असल में पिथौरागढ़ बॉर्डर से सटे नेपाल के दो गांव छांगरू और तिंकर के लिए रास्ता सिर्फ भारत की सरजमीं से है.

नेपाल को लोगों को भारत परमिशन के आधार पर धारचूला से जाने की इजाजत देता रहा है. ऐसे में एक बार फिर नेपाल ने भारत से जनगणना टीम को इसी रास्ते दोनों गांवों में जाने देने की इजाजत मांगी है.

नेपाल ने छांगरु और तिंकर में जनगणना के लिए भारत से मांगी मदद

बॉर्डर का ये वही इलाका है, जहां नेपाल का भारत के साथ सीमा विवाद चल रहा है. कालापानी सीमा विवाद के बाद नेपाल ने चाइना बॉर्डर के करीब बसे 3 भारतीय गांवों में भी अपना दावा जताया है. यही नहीं भारत के गुंजी, नाबी और कुटी गांव को नेपाल ने नए राजनीतिक नक्शे में भी शामिल कर लिया है.

पढ़ें- फॉरेंसिक टीम ने सलमान खुर्शीद के घर से जुटाए सबूत, आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए तीन टीमें जुटीं

लिपुलेख रोड बनने के बाद इन तीनों गांवों की 425 वर्ग किलोमीटर की जमीन को नेपाल अपना बता रहा है, जबकि इन इलाकों में सदियों से भारतीय नागरिक रहते आ रहे हैं. भारत के सुरक्षाकर्मी भी दशकों से यहां सीमा पर तैनात हैं. वहीं चीन, नेपाल और भारत के इस ट्राई जंक्शन पर उठे सीमा विवाद के बाद इस इलाके में नेपाल ने भी अपना सुरक्षा तंत्र भी मजबूत किया है. सेना के अलावा अर्धसैनिकों बलों की 8 नई बीओपी साल के भीतर बनाई गईं हैं. बावजूद इसके अपने ही इलाके में जाने के लिए नेपाल आज भी भारत के रहमो-करम पर ही टिका है.

पिथौरागढ़: पड़ोसी मुल्क नेपाल में 11 नवंबर से 12वीं राष्ट्रीय जनगणना का काम शुरू हो चुका है. जिसे हर हाल में 25 नवंबर तक पूरा होना है. लेकिन नेपाल के सामने दिक्कत ये है कि ये राष्ट्रीय जनगणना बिना भारत की इजाजत के पूरा नहीं हो सकता है. असल में पिथौरागढ़ बॉर्डर से सटे नेपाल के दो गांव छांगरू और तिंकर के लिए रास्ता सिर्फ भारत की सरजमीं से है.

नेपाल को लोगों को भारत परमिशन के आधार पर धारचूला से जाने की इजाजत देता रहा है. ऐसे में एक बार फिर नेपाल ने भारत से जनगणना टीम को इसी रास्ते दोनों गांवों में जाने देने की इजाजत मांगी है.

नेपाल ने छांगरु और तिंकर में जनगणना के लिए भारत से मांगी मदद

बॉर्डर का ये वही इलाका है, जहां नेपाल का भारत के साथ सीमा विवाद चल रहा है. कालापानी सीमा विवाद के बाद नेपाल ने चाइना बॉर्डर के करीब बसे 3 भारतीय गांवों में भी अपना दावा जताया है. यही नहीं भारत के गुंजी, नाबी और कुटी गांव को नेपाल ने नए राजनीतिक नक्शे में भी शामिल कर लिया है.

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लिपुलेख रोड बनने के बाद इन तीनों गांवों की 425 वर्ग किलोमीटर की जमीन को नेपाल अपना बता रहा है, जबकि इन इलाकों में सदियों से भारतीय नागरिक रहते आ रहे हैं. भारत के सुरक्षाकर्मी भी दशकों से यहां सीमा पर तैनात हैं. वहीं चीन, नेपाल और भारत के इस ट्राई जंक्शन पर उठे सीमा विवाद के बाद इस इलाके में नेपाल ने भी अपना सुरक्षा तंत्र भी मजबूत किया है. सेना के अलावा अर्धसैनिकों बलों की 8 नई बीओपी साल के भीतर बनाई गईं हैं. बावजूद इसके अपने ही इलाके में जाने के लिए नेपाल आज भी भारत के रहमो-करम पर ही टिका है.

Last Updated : Nov 18, 2021, 7:37 PM IST
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