बेरीनाग: विकासखंड के बरसायत गांव के बजेत निवासी गिरीश पंत दुबई में रहकर भारतीयों के लिए देवदूत की भूमिका निभा रहे हैं. निस्वार्थ भाव से समाज की भलाई के लिए काम करते हैं. गिरीश पंत को दुबई में बजरंगी भाईजान (Girish pant Bajrangi Bhaijaan) के रूप में भी जाने जाते हैं. गिरीश पंत ने सीमित संसाधनों के साथ असीमित जुनून के साथ, व्हाट्सएप पर एक समूह के माध्यम से यूक्रेन में असहाय छात्रों को निकालने की योजना बनाई.
विदेश और दूतावास में उन्होंने सक्रिय रूप से व्यथित छात्रों को योजना बनाने के बारे में निर्देशित किया. दिन के दौरान कई घंटे काम किया. गिरीश पंत ने पिछले कुछ वर्षों में अपने मानवीय कार्यों के माध्यम से संयुक्त अरब अमीरात में एक बड़ी छाप छोड़ी है. उन्हें 5000 से अधिक भारतीयों और अन्य देशों जैसे श्रीलंका, रूस, उज्बेकिस्तान, फिलीपींस, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नाइजीरिया, सूडान, मलेशिया, बैंकॉक और नेपाल और अन्य जीसीसी देशों के लोगों को उनके वतन लौटने में मदद करने के लिए जाना जाता है. उनके सभी कार्यों के लिए उन्हें भारत प्यार से बजरंगी भाईजान कहा जाता है. उनके प्रयासों और कार्यों को भारत सरकार द्वारा उचित मान्यता मिली और 2019 में प्रवासी भारतीय सम्मान से सम्मानित किया गया.
पढे़ं- मलेशिया में फंसे राहुल को मिला 'बजरंगी भाईजान' का साथ, कराई घर वापसी
गिरीश ने कोविड-19 महामारी ने दुनिया भर के लोगों की मदद की. दुबई में भारतीय वाणिज्य दूतावास को 500 से अधिक कोविड रोगियों को स्वदेश भेजने में उनकी मदद उल्लेखनीय है. उन्होंने जरूरतमंदों के लिए भोजन और दवाओं की व्यवस्था की. वीबीएम और चार्टर्ड उड़ानों पर प्रत्यावर्तन के लिए सबसे ज्यादा जरूरत वाले लोगों की पहचान की. उन्होंने बड़ी संख्या में भारतीयों को अस्पताल के अधिकारियों से भी जोड़ा और कई अन्य लोगों को फोन पर सांत्वना दी. उन्होंने न केवल यूएई बल्कि ईरान और यमन सहित अन्य देशों में भी समस्याओं का सामना कर रहे लोगों की मदद की. पंत ने 2500 से अधिक नाविकों, मजदूरों के प्रत्यावर्तन में भी मदद की है.
पढे़ं- दुबई में जब भी किसी भारतवासी को होती है 'दोस्त' की जरूरत, 'बजरंगी भाईजान' आते हैं याद
गांव की समस्याओं को लेकर निराश: गिरीश पंत अपने गांव बरसात पहुंचे. जहां पर गांव में पानी, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य की मूलभूत समस्याओं को देखकर वे काफी निराश हुए. गांव की आज भी 20 साल पहले की जो समस्या थी, वह आज भी उसी तरह है. वहीं घर के पास में स्थित जीआईसी जाबुकाथल की दयनीय हालत को देखकर चिंता व्यक्त की. जिसको लेकर सीएम पुष्कर सिंह धामी से वार्ता करने की बात कही.
पढे़ं-मिलिए उत्तराखंड के 'बजरंगी भाईजान' से, विदेशों में फंसे भारतीयों के लिए बन जाते हैं देवदूत
गृह क्षेत्र बेरीनाग में हुआ भव्य स्वागत सम्मान: प्रवासी भारतीय पुरस्कार मिलने के बाद गिरीश पंत पहली बार गृह क्षेत्र बेरीनाग पहुंचे. जहां जीआईसी जाबुकाथल में स्कूली बच्चों और शिक्षकों और ग्रामीणों ने स्वागत किया. सीएचसी बेरीनाग में सीमांत सेवा फाउंडेशन और स्वास्थ्य विभाग के द्वारा शाल उड़ाकर स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया.