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जीआईसी गंगोलीहाट के संस्थापक भैरव दत्त पाठक ने किया गुमानी पार्क निर्माण का आह्वान - founder of gic gangolihaat bhairav dutt

हिमालयन ग्राम विकास समिति ने जीआईसी गंगोलीहाट के संस्थापक भैरव दत्त पाठक के सम्मान में समारोह का आयोजन किया.

सम्मान समारोह.
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Published : May 6, 2019, 8:01 PM IST

पिथौरागढ़: जीआईसी गंगोलीहाट के संस्थापक भैरव दत्त पाठक के सम्मान में हिमालयन ग्राम विकास समिति ने एक समारोह का आयोजन किया. जिसमें क्षेत्र के बुद्धिजीवियों और विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सेवा दे रहे उनके शिष्य मौजूद रहे. इस दौरान भैरव दत्त पाठक ने लोकमान्य पंथ गुमानी कवि की याद में जीआईसी के प्रधानाचार्य और क्षेत्रीय लोगों से गुमानी पार्क निर्माण करने का आह्वान किया.

सम्मान समारोह.

कार्यक्रम में मौजूद पद्मश्री इतिहास विद प्रोफेसर शेखर पाठक ने कहा की उन्हें गर्व है कि वे भैरव पाठक के शिष्य हैं. उन्होंने कहा कि जिस समय गंगोलीहाट के आसपास शिक्षा ग्रहण करने के लिए कोई विकल्प नहीं था. उस समय भैरव दत्त पाठक ने क्षेत्र को शिक्षित करने का काम किया. क्षेत्रीय सहयोग और श्रमदान से विद्यालय भवन का निर्माण भी करवाया.

पढ़ें: BJP नेताओं ने संभाली दूसरे राज्यों में चुनाव की कमान, सनी देओल को जिताने पंजाब पहुंचे निशंक

वहीं, भूवैज्ञानिक पद्म विभूषण प्रोफेसर केएस वल्दिया ने कहां की जिस समय पाठक यहां प्रधानाचार्य के पद पर सेवा दे रहे थे, उस वक्त वे बतौर भूवैज्ञानिक विद्यालय भवन तैयार किए जाने वाले पत्थरों का अध्ययन कर रहे थे और तब ही उनकी मुलाकात भैरव पाठक से हुई थी. उन्होंने कहा कि जिस पत्थर का वे अध्ययन कर रहे थे आज भू वैज्ञानिक उस पत्थर को गंगोलीहाट डायनामाइट के नाम से जानते हैं.

इस दौरान 90 वर्षीय भैरव दत्त पाठक ने विद्यालय संचालित करने और विद्यालय भवन निर्माण की यादें ताजा करते हुए अनेक किस्से सुनाए. उन्होंने कहा कि लोकमान्य पंथ गुमानी कवि की याद में वे विद्यालय में गुमानी पार्क बनाना चाहते थे. लेकिन उनका यह सपना आज भी अधूरा है. उन्होंने जीआईसी के प्रधानाचार्य और क्षेत्रीय लोगों से गुमानी पार्क निर्माण करने का आह्वान किया.

बता दें की 1950 में लोगों को शिक्षा देने वाले भैरव दत्त पाठक जिंदगी भर अविवाहित रहे. उनके पढ़ाए हुए छात्र विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका में हैं. उनके शिष्य रहे इतिहास विद पद्मश्री प्रोफेसर शेखर पाठक ने बताया कि उनसे शिक्षा लेकर आज अनेक लोग वैज्ञानिक, अधिकारी और कई अन्य क्षेत्रों में मुख्य पदों पर आसीन हैं.

पिथौरागढ़: जीआईसी गंगोलीहाट के संस्थापक भैरव दत्त पाठक के सम्मान में हिमालयन ग्राम विकास समिति ने एक समारोह का आयोजन किया. जिसमें क्षेत्र के बुद्धिजीवियों और विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सेवा दे रहे उनके शिष्य मौजूद रहे. इस दौरान भैरव दत्त पाठक ने लोकमान्य पंथ गुमानी कवि की याद में जीआईसी के प्रधानाचार्य और क्षेत्रीय लोगों से गुमानी पार्क निर्माण करने का आह्वान किया.

सम्मान समारोह.

कार्यक्रम में मौजूद पद्मश्री इतिहास विद प्रोफेसर शेखर पाठक ने कहा की उन्हें गर्व है कि वे भैरव पाठक के शिष्य हैं. उन्होंने कहा कि जिस समय गंगोलीहाट के आसपास शिक्षा ग्रहण करने के लिए कोई विकल्प नहीं था. उस समय भैरव दत्त पाठक ने क्षेत्र को शिक्षित करने का काम किया. क्षेत्रीय सहयोग और श्रमदान से विद्यालय भवन का निर्माण भी करवाया.

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वहीं, भूवैज्ञानिक पद्म विभूषण प्रोफेसर केएस वल्दिया ने कहां की जिस समय पाठक यहां प्रधानाचार्य के पद पर सेवा दे रहे थे, उस वक्त वे बतौर भूवैज्ञानिक विद्यालय भवन तैयार किए जाने वाले पत्थरों का अध्ययन कर रहे थे और तब ही उनकी मुलाकात भैरव पाठक से हुई थी. उन्होंने कहा कि जिस पत्थर का वे अध्ययन कर रहे थे आज भू वैज्ञानिक उस पत्थर को गंगोलीहाट डायनामाइट के नाम से जानते हैं.

इस दौरान 90 वर्षीय भैरव दत्त पाठक ने विद्यालय संचालित करने और विद्यालय भवन निर्माण की यादें ताजा करते हुए अनेक किस्से सुनाए. उन्होंने कहा कि लोकमान्य पंथ गुमानी कवि की याद में वे विद्यालय में गुमानी पार्क बनाना चाहते थे. लेकिन उनका यह सपना आज भी अधूरा है. उन्होंने जीआईसी के प्रधानाचार्य और क्षेत्रीय लोगों से गुमानी पार्क निर्माण करने का आह्वान किया.

बता दें की 1950 में लोगों को शिक्षा देने वाले भैरव दत्त पाठक जिंदगी भर अविवाहित रहे. उनके पढ़ाए हुए छात्र विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका में हैं. उनके शिष्य रहे इतिहास विद पद्मश्री प्रोफेसर शेखर पाठक ने बताया कि उनसे शिक्षा लेकर आज अनेक लोग वैज्ञानिक, अधिकारी और कई अन्य क्षेत्रों में मुख्य पदों पर आसीन हैं.

Intro:गंगोलीहाट आजादी के 3 वर्ष बाद 1950 में क्षेत्र में शिक्षा की अलग जगाने आने वाले जीआईसी गंगोलीहाट के संस्थापक प्रधानाचार्य भैरव दत्त पाठक का हिमालयन ग्राम विकास समिति क्षेत्र के बुद्धिजीवियों विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सेवा दे रहे उनके शिष्य ने भव्य सम्मान समारोह आयोजित किया इस मौके पर पद्मश्री इतिहास विद प्रोफ़ेसर शेखर पाठक ने कहा की जिस समय गंगोलीहाट के आसपास शिक्षा ग्रहण करने के लिए कोई विकल्प नहीं था उस समय श्री भैरव दत्त पाठक ने क्षेत्र को शिक्षित करने का काम किया और क्षेत्रीय सहयोग एवं श्रमदान से विद्यालय भवन का निर्माण करवाया उन्होंने कहा कि मुझे गर्व है कि मैं श्री पाठक का शिष्य रहा भूवैज्ञानिक पद्म विभूषण प्रोफेसर केएस वल्दिया ने कहां की जिस समय पाठक यहां प्रधानाचार्य के पद पर सेवा दे रहे थे और भवन निर्माण के लिए पत्थर एकत्रित किए गए थे उस समय बतौर भूवैज्ञानिक उन पत्थरों का अध्ययन करते समय उनकी मुलाकात श्री पाठक से हुई और जिस पत्थर का वे अध्ययन कर रहे थे उसकी महत्ता इतनी अधिक विज्ञान मैं रही आज भू वैज्ञानिक उस पत्थर को गंगोलीहाट डायनामाइट के नाम से जानते हैंBody:90 वर्ष के भैरव दत्त पाठक ने विद्यालय संचालित करने और विद्यालय भवन निर्माण की यादें ताजा करते हुए अनेक किस्से सुनाए उन्होंने कहा कि लोकमान्य पंथ गुमानी कवि की याद में विद्यालय में गुमानी पार्क बनाना चाहते थे लेकिन उनका यह सपना आज भी अधूरा है उन्होंने जीआईसी के प्रधानाचार्य और क्षेत्रीय लोगों से गुमानी पार्क निर्माण करने का आह्वान कियाConclusion:यहां बता दें की 1950 में शिक्षा की अलग चलाने वाले भैरव दत्त पाठक जिंदगी भर अविवाहित रहे उनके पढ़ाए हुए छात्र विभिन्न क्षेत्रों अग्रणी भूमिका अदा कर रहे हैं उनके शिष्य रहे इतिहास विद पद्मश्री प्रोफ़ेसर शेखर पाठक ने बताया उनसे शिक्षा लेकर आज अनेक लोग फौज में अधिकारी है वैज्ञानिक है कई शिक्षण संस्थानों के मुख्य पदों पर आसीन है
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