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कड़कड़ाती ठंड में धधक रहे पिथौरागढ़ के जंगल, वन विभाग ने चरवाहों को बताया जिम्मेदार

सर्दियों में वनाग्नि का घटना बहुत की कम देखने को मिलती है, लेकिन इस बार बर्फबारी के बाद भी जंगलों में आग की घटनाएं सामने आ रही है. पिथौरागढ़ से पहले अल्मोड़ा में भी जंगलों में आग लगने की घटना सामने आई थी.

forest fire case in Pithoragarh
पिथौरागढ़ के जंगलों में लगी आग.
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Published : Dec 2, 2020, 6:33 PM IST

पिथौरागढ़: कड़कड़ाती ठंड के बीच पिथौरागढ़ में जंगल आग से धधक रहे हैं. आलम ये है कि निचले इलाकों के साथ ही उच्च हिमालयी इलाकों में भी कई जगहों पर आग लगी हुई है. आग लगने से बेसकीमती वन सम्पदा भी खाक हो रही है. वन विभाग का दावा है कि आग लगने पर बुझाने की पूरी कोशिश की जा रही है, साथ ही ग्रामीणों को जागरूक भी किया जा रहा है.

पढ़ें- रुड़की के सिविल अस्पताल की पार्किंग में खड़ी स्कूटी में लगी आग

असल में पहाड़ों में लम्बे समय से बारिश नहीं हुई है. जिस कारण आग लगने की घटनाओं में इजाफा हो रहा है. सर्दियों के मौसम में निचले इलाकों के साथ ही उच्च हिमालयी इलाकों में भी दावानल ने तांडव मचाया हुआ है. वन विभाग का आरोप है कि चरवाहों द्वारा ही जंगलों में आग लगाई जा रही है. दरअसल, शरद ऋतु (पतझड़) में जंगलों में भारी मात्रा में सुखी पत्तियां गिरती है और स्थानीय मान्यता है कि इन पत्तियों में आग लगाकर घास की पैदावार बढ़िया होती है, जो पशुओं के चारे के काम आती है. उच्च हिमालयी इलाकों से चरवाहे निचले इलाकों में आ रहे है. ऐसे में उन्हीं के द्वारा जंगलों में आग लगाई जा रही है.

वन विभाग के एडीएफओ नवीन पंत का कहना है कि जंगलों में आग लगने की सूचना मिलने पर उसे बुझाने के प्रयास किये जा रहे है. साथ ही विभाग द्वारा स्थानीय स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम भी चलाये जा रहे है. जिससे वन को होने वाले नुकसान से बचा जा सके.

पिथौरागढ़: कड़कड़ाती ठंड के बीच पिथौरागढ़ में जंगल आग से धधक रहे हैं. आलम ये है कि निचले इलाकों के साथ ही उच्च हिमालयी इलाकों में भी कई जगहों पर आग लगी हुई है. आग लगने से बेसकीमती वन सम्पदा भी खाक हो रही है. वन विभाग का दावा है कि आग लगने पर बुझाने की पूरी कोशिश की जा रही है, साथ ही ग्रामीणों को जागरूक भी किया जा रहा है.

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असल में पहाड़ों में लम्बे समय से बारिश नहीं हुई है. जिस कारण आग लगने की घटनाओं में इजाफा हो रहा है. सर्दियों के मौसम में निचले इलाकों के साथ ही उच्च हिमालयी इलाकों में भी दावानल ने तांडव मचाया हुआ है. वन विभाग का आरोप है कि चरवाहों द्वारा ही जंगलों में आग लगाई जा रही है. दरअसल, शरद ऋतु (पतझड़) में जंगलों में भारी मात्रा में सुखी पत्तियां गिरती है और स्थानीय मान्यता है कि इन पत्तियों में आग लगाकर घास की पैदावार बढ़िया होती है, जो पशुओं के चारे के काम आती है. उच्च हिमालयी इलाकों से चरवाहे निचले इलाकों में आ रहे है. ऐसे में उन्हीं के द्वारा जंगलों में आग लगाई जा रही है.

वन विभाग के एडीएफओ नवीन पंत का कहना है कि जंगलों में आग लगने की सूचना मिलने पर उसे बुझाने के प्रयास किये जा रहे है. साथ ही विभाग द्वारा स्थानीय स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम भी चलाये जा रहे है. जिससे वन को होने वाले नुकसान से बचा जा सके.

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