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पंत की भरपाई करना त्रिवेंद्र सरकार के लिए नहीं आसान

हंसमुख चेहरे, सौम्य व्यवहार और मीठी वाणी के नेता प्रकाश पंत की गैरमौजूदगी आज हर किसी को रुला रही है. दो दशकों तक उत्तराखण्ड की राजनीति में चमकने वाले प्रकाश का जाना लोगों के लिए किसी गहरे आघात से कम नहीं है.

पंत की भरपाई
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Published : Jun 9, 2019, 4:50 PM IST

पिथौरागढ़: उत्तराखंड की राजनीति में धूमकेतु की तरह चमकता सितारा हमेशा के लिए अस्त हो गया. कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत के दुनिया से अलविदा कहने से उत्तराखंड की राजनीति में जो शून्यता आयी है उसकी भरपाई कोई नहीं कर सकता.

भाजपा नेता ने कहा प्रकाश पंत की गैरमौजूदगी हर किसी को रुला रही है.

मौत के घने अंधेरे में प्रकाश के लीन होने से उत्तराखंड को तो भारी नुकसान हुआ ही है. वहीं बीजेपी को उनकी कमी हमेशा खलेगी. 5 जून को उत्तराखण्ड की राजनीति का एक बरगद हमेशा के लिए शून्य में विलीन हो गया.

किसी ने भी नहीं सोचा था कि उत्तराखंड के प्रकाश को मौत का घना अंधेरा इतनी जल्दी निगल जाएगा. लोगों के दिलों में राज करने प्रकाश कैंसर से जिंदगी की जंग हार गए.
यह भी पढ़ेंः पिथौरागढ़: दिल्ली से पहुंचे दिग्गजों ने 'प्रकाश' को दी विदाई, रामेश्वर घाट पर हुई अंत्येष्टि

हंसमुख चेहरे, सौम्य व्यवहार और मीठी वाणी के नेता प्रकाश पंत की गैरमौजूदगी आज हर किसी को रुला रही है. दो दशकों तक उत्तराखण्ड की राजनीति में चमकने वाले प्रकाश का जाना लोगों के लिए किसी गहरे आघात से कम नहीं है.

फार्मासिस्ट से राजनीति के शिखर पर पहुंचने वाले प्रकाश पंत को उत्तराखण्ड की राजनीति का अजातशत्रु माना जाता था.
पंत पिथौरागढ़ विधानसभा से तीन बार के विधायक रह चुके थे. खंडूरी, निशंक और त्रिवेंद्र तीनों ही सरकारों में प्रकाश पंत को अहम मंत्रालयों से नवाजा गया था.

पंत के नाम उत्तराखंड का पहला और सबसे कम उम्र का विधानसभा अध्यक्ष होने का भी रिकॉर्ड दर्ज है. राजनीति के शिखर में पहुंचने के बावजूद प्रकाश पंत आम कार्यकर्ता और जनता के लिए हमेशा एक जमीनी नेता ही रहे.

उत्तराखंड में भाजपा को पहचान दिलाने में जिन नेताओं की गिनती होती है उनमें प्रकाश पंत का नाम प्रमुखता से लिया जाता है. उत्तराखण्ड भाजपा में प्रकाश पंत एक ऐसा नाम था जो पिछले एक दशक से मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल रहा था.

पिथौरागढ़: उत्तराखंड की राजनीति में धूमकेतु की तरह चमकता सितारा हमेशा के लिए अस्त हो गया. कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत के दुनिया से अलविदा कहने से उत्तराखंड की राजनीति में जो शून्यता आयी है उसकी भरपाई कोई नहीं कर सकता.

भाजपा नेता ने कहा प्रकाश पंत की गैरमौजूदगी हर किसी को रुला रही है.

मौत के घने अंधेरे में प्रकाश के लीन होने से उत्तराखंड को तो भारी नुकसान हुआ ही है. वहीं बीजेपी को उनकी कमी हमेशा खलेगी. 5 जून को उत्तराखण्ड की राजनीति का एक बरगद हमेशा के लिए शून्य में विलीन हो गया.

किसी ने भी नहीं सोचा था कि उत्तराखंड के प्रकाश को मौत का घना अंधेरा इतनी जल्दी निगल जाएगा. लोगों के दिलों में राज करने प्रकाश कैंसर से जिंदगी की जंग हार गए.
यह भी पढ़ेंः पिथौरागढ़: दिल्ली से पहुंचे दिग्गजों ने 'प्रकाश' को दी विदाई, रामेश्वर घाट पर हुई अंत्येष्टि

हंसमुख चेहरे, सौम्य व्यवहार और मीठी वाणी के नेता प्रकाश पंत की गैरमौजूदगी आज हर किसी को रुला रही है. दो दशकों तक उत्तराखण्ड की राजनीति में चमकने वाले प्रकाश का जाना लोगों के लिए किसी गहरे आघात से कम नहीं है.

फार्मासिस्ट से राजनीति के शिखर पर पहुंचने वाले प्रकाश पंत को उत्तराखण्ड की राजनीति का अजातशत्रु माना जाता था.
पंत पिथौरागढ़ विधानसभा से तीन बार के विधायक रह चुके थे. खंडूरी, निशंक और त्रिवेंद्र तीनों ही सरकारों में प्रकाश पंत को अहम मंत्रालयों से नवाजा गया था.

पंत के नाम उत्तराखंड का पहला और सबसे कम उम्र का विधानसभा अध्यक्ष होने का भी रिकॉर्ड दर्ज है. राजनीति के शिखर में पहुंचने के बावजूद प्रकाश पंत आम कार्यकर्ता और जनता के लिए हमेशा एक जमीनी नेता ही रहे.

उत्तराखंड में भाजपा को पहचान दिलाने में जिन नेताओं की गिनती होती है उनमें प्रकाश पंत का नाम प्रमुखता से लिया जाता है. उत्तराखण्ड भाजपा में प्रकाश पंत एक ऐसा नाम था जो पिछले एक दशक से मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल रहा था.

Intro:नोट- सर इस स्टोरी में सपोर्टिंग विजुअल्स जोड़ लीजिए। पिथौरागढ़: उत्तराखंड की राजनीति में धूमकेतू की तरह चमकता सितारा हमेशा के लिए अस्त हो गया। कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत के दुनिया से अलविदा कहने से उत्तराखंड की राजनीति में जो शून्यता आयी है उसकी भरपाई कोई नही कर सकता। मौत के घने अंधेरे में प्रकाश के लीन होने से उत्तराखंड को तो भारी नुकसान हुआ ही है साथ ही भाजपा को उनकी कमी हमेशा खलेगी। 5 जून यानी पर्यावरण दिवस के दिन उत्तराखण्ड की राजनीति का एक बरगद हमेशा के लिए शून्य में विलीन हो गया। किसी ने भी नही सोचा था कि उत्तराखंड के प्रकाश को मौत का घना अंधेरा इतनी जल्दी निगल जाएगा। लोगों के दिलों में राज करने प्रकाश केंसर से जिंदगी की जंग हार गए। हँसमुख चेहरे, सौम्य व्यवहार और मीठी वाणी के नेता प्रकाश पंत की गैरमौजूदगी आज हर किसी को रुला रही है। दो दशकों तक उत्तराखण्ड की राजनीति में चमकने वाले प्रकाश का जाना लोगों के लिए किसी गहरे आघात से कम नही है। फार्मासिस्ट से राजनीति के शिखर पर पहुचने वाले प्रकाश पंत को उत्तराखण्ड की राजनीति का अजातशत्रु माना जाता था। विरोधी भी उनके व्यवहार, कौशल और नेतृत्व क्षमता से सीख लेते थे। मूल रूप से गंगोलीहाट के चोढियार गाँव मे जन्मे पंत पिथौरागढ़ विधानसभा से तीन बार के विधायक रह चुके थे। खंडूरी, निशंक और त्रिवेंद्र तीनो ही सरकारों ने प्रकाश पंत को अहम मंत्रालयों से नवाजा था। पंत के नाम उत्तराखंड का पहला और सबसे कम उम्र का विधानसभा अध्यक्ष होने का भी रिकॉर्ड दर्ज है। राजनीति के शिखर में पहुंचने के बावजूद प्रकाश पंत आम कार्यकर्ता और जनता के लिए हमेशा एक जमीनी नेता ही रहे। उत्तराखण्ड में भाजपा को पहचान दिलाने में जिन नेताओं की गिनती होती है उनमें प्रकाश पंत का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। उत्तराखण्ड भाजपा में प्रकाश पंत एक ऐसा नाम था जो पिछले एक दशक से मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल था। प्रकाश पंत भले ही मुख्यमंत्री नही बन पाए मगर उनका रुतबा सीएम से कम नही था। Byte: केदार जोशी, अध्यक्ष, केएमवीएन PTC


Body:पिथौरागढ़: उत्तराखंड की राजनीति में धूमकेतू की तरह चमकता सितारा हमेशा के लिए अस्त हो गया। कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत के दुनिया से अलविदा कहने से उत्तराखंड की राजनीति में जो शून्यता आयी है उसकी भरपाई कोई नही कर सकता। मौत के घने अंधेरे में प्रकाश के लीन होने से उत्तराखंड को तो भारी नुकसान हुआ ही है साथ ही भाजपा को उनकी कमी हमेशा खलेगी। 5 जून यानी पर्यावरण दिवस के दिन उत्तराखण्ड की राजनीति का एक बरगद हमेशा के लिए शून्य में विलीन हो गया। किसी ने भी नही सोचा था कि उत्तराखंड के प्रकाश को मौत का घना अंधेरा इतनी जल्दी निगल जाएगा। लोगों के दिलों में राज करने प्रकाश केंसर से जिंदगी की जंग हार गए। हँसमुख चेहरे, सौम्य व्यवहार और मीठी वाणी के नेता प्रकाश पंत की गैरमौजूदगी आज हर किसी को रुला रही है। दो दशकों तक उत्तराखण्ड की राजनीति में चमकने वाले प्रकाश का जाना लोगों के लिए किसी गहरे आघात से कम नही है। फार्मासिस्ट से राजनीति के शिखर पर पहुचने वाले प्रकाश पंत को उत्तराखण्ड की राजनीति का अजातशत्रु माना जाता था। विरोधी भी उनके व्यवहार, कौशल और नेतृत्व क्षमता से सीख लेते थे। मूल रूप से गंगोलीहाट के चोढियार गाँव मे जन्मे पंत पिथौरागढ़ विधानसभा से तीन बार के विधायक रह चुके थे। खंडूरी, निशंक और त्रिवेंद्र तीनो ही सरकारों ने प्रकाश पंत को अहम मंत्रालयों से नवाजा था। पंत के नाम उत्तराखंड का पहला और सबसे कम उम्र का विधानसभा अध्यक्ष होने का भी रिकॉर्ड दर्ज है। राजनीति के शिखर में पहुंचने के बावजूद प्रकाश पंत आम कार्यकर्ता और जनता के लिए हमेशा एक जमीनी नेता ही रहे। उत्तराखण्ड में भाजपा को पहचान दिलाने में जिन नेताओं की गिनती होती है उनमें प्रकाश पंत का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। उत्तराखण्ड भाजपा में प्रकाश पंत एक ऐसा नाम था जो पिछले एक दशक से मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल था। प्रकाश पंत भले ही मुख्यमंत्री नही बन पाए मगर उनका रुतबा सीएम से कम नही था। Byte: केदार जोशी, अध्यक्ष, केएमवीएन PTC


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